- लखनऊ पुलिस की सोशल मीडिया पुलिसिंग पड़ी शहर वासियों पर भारी

- उपद्रवियों के मंसूबों को भांप पाने में रही पूरी तरह नाकाम

LUCKNOW: सपा, कांग्रेस समेत 28 संगठनों के आह्वान पर जुटी भीड़ ने शहर की शांति को छिन्न-भिन्न कर दिया। उपद्रवियों ने जमकर हिंसा करते रहे और पुलिस बेबस होकर देखती रही। ऐसे में सवाल उठता है कि राजधानी में ऐसा क्या हुआ कि उपद्रवी अपनी करतूत में सिलसिलेवार ढंग से कामयाब होते रहे और पुलिस सांप निकलने के बाद लकीर पीटती नजर आई। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने गुरुवार को पूरे दिन के घटनाक्रम की करीब से पड़ताल की तो लखनऊ पुलिस की कदम दर कदम चूक सामने आई। आइये आपको बताते हैं सोशल मीडिया पुलिसिंग के जरिए बढ़-चढ़कर दावे करने वाली लखनऊ पुलिस की उन चूक के बारे में, जिनकी वजह से शहर में हिंसा की चिंगारी भड़की और दो पुलिस चौकी, दो रोडवेज बस, एक कार और डेढ़ दर्जन वाहन जलकर खाक हो गए।

1 बैकअप प्लान फुस्स

सपा, कांग्रेस समेत 28 संगठनों के आहवान पर परिवर्तन चौक से हजरतगंज तक मार्च का आयोजन किया गया था। इसे देखते हुए लखनऊ पुलिस की ओर से बैकअप प्लान तैयार किया गया। जिसमें तमाम जगहों पर बैरिकेडिंग, फोर्स डिप्लॉयमेंट व अन्य एहतियाती कदम उठाकर इस प्रदर्शन को न होने देने का दावा किया गया था। पर, यह बैकअप प्लान असल हालात से बिलकुल जुदा था। लिहाजा, उपद्रवियों ने जहां भी जो भी चाहा वह किया और पुलिस सिर्फ तमाशबीन बनी देखती रही। यहां तक कि शहर के विभिन्न हिस्सों से उपद्रवी झुंड में चलकर परिवर्तन चौक तक पहुंचने में कामयाब हो गए और उन्हें किसी ने रोका या टोका तक नहीं।

2 लीडरशिप का अभाव

हसनगंज का मदेयगंज संवेदनशील एरिया था। हालांकि, लखनऊ पुलिस की ओर से मौके पर पर्याप्त फोर्स का इंतजाम नहीं किया गया। लिहाजा, हजारों उपद्रवियों की भीड़ सड़क पर काफी देर तक तांडव करती रही। एडीजी जोन एसएन साबत, आईजी रेंज एसके भगत और एसएसपी कलानिधि नैथानी सड़कों पर थे लेकिन, लीडरशिप के अभाव में उनकी मौजूदगी का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था। यही वजह है कि उपद्रवियों ने न सिर्फ मदेयगंज चौकी के सामने खड़े वाहन फूंकने में सफल हो गए। बल्कि, सतखंडा पुलिस चौकी फूंक डाली। इसके अलावा परिवर्तन चौक पर भी जमकर कोहराम मचाया। लेकिन, पुलिसकर्मी पानी सिर से गुजर जाने की हद तक तमाशबीन बने रहे।

3 सोशल मीडिया पर निगरानी का कोरा दावा

प्रदर्शन से पहले एसएसपी नैथानी ने सोशल मीडिया पर निगरानी का दावा किया था। लखनऊ पुलिस की ओर से लोगों को चेतावनी दी जा रही थी कि कोई भी अफवाह या भड़काऊ पोस्ट शेयर न करें नहीं तो कार्रवाई होगी। बुधवार रात तीन लोगों को अरेस्ट भी किया गया। पर, पुलिस की यह चेतावनी उपद्रवियों ने अनसुनी कर दी। मार्च को लेकर मैसेज धड़ाधड़ शेयर व फॉरवर्ड होते रहे। जिसका नतीजा यह रहा कि गुरुवार को शहर के विभिन्न इलाकों से भीड़ सड़कों पर निकली और परिवर्तन चौक तक जा पहुंची।

4 संवाद की भारी कमी

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जिला प्रशासन के निर्देश पर सभी थानाक्षेत्रों में पीस कमेटी की मीटिंगें आयोजित कर लोगों से सीधा संवाद कायम किया गया था। पर, सीएए को लेकर मचे हंगामे के दौरान ऐसी कोई कवायद पुलिस की ओर से नहीं की गई। जब इलाकों के संभ्रांत लोगों से संवाद ही कायम नहीं किया जा सका तो वे भी पुलिस की मदद को आगे नहीं आए और उपद्रवी अपनी कोशिशों में कामयाब हो गए।