लखनऊ (ब्यूरो)। गाजियाबाद में डॉग बाइट से हुई किशोर की मौत का मामला सोशल मीडिया पर जोर पकड़ रहा है। यह कोई पहला मामला नहीं है। ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं। राजधानी लखनऊ में भी हर माह तीन से चार ऐसे केस आ ही जाते हैं। राजधानी में भी एक लाख से अधिक स्ट्रीट डॉग्स हैं। जिससे खतरे का अंदाजा लगाया जा सकता है। बदलते मौसम का असर और भरपेट भोजन न मिलना भी डॉग्स को आक्रामक बना रहा है। नगर निगम की ओर से डॉग्स का वैक्सीनेशन और बधियाकरण तो कराया जा रहा है लेकिन इसकी रफ्तार कम है। डॉग्स के बिहेवियर चेंज को कैसे पहचाने, वैक्सीनेशन, बधियाकरण और डॉग बाइट से बचाव से जुड़े कई बिंदुओं से जुड़ी जानकारी आप तक पहुंचाई जाएगी, पढ़ें ये रिपोर्ट

66 हजार का वैक्सीनेशन-बधियाकरण

नगर निगम सीमा अंतर्गत करीब एक लाख स्ट्रीट डॉग्स हैैं। हालांकि इनकी संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है। अब अगर बात की जाए तो इनके वैक्सीनेशन और बधियाकरण की तो स्थिति थोड़ी चिंताजनक है। अभी तक सिर्फ 66 हजार डॉग्स का ही वैक्सीनेशन और बधियाकरण हुआ है। निगम के पशु कल्याण विभाग के अधिकारियों की माने तो दो से तीन माह के अंदर सभी डॉग्स का वैक्सीनेशन और बधियाकरण करा लिया जाएगा। जब तक एक लाख डॉग्स का बधियाकरण और वैक्सीनेशन होगा, तब तक उनकी संख्या में और इजाफा हो जाएगा।

इस वजह से हो रहे आक्रामक

पशु चिकित्सकों की माने तो डॉग्स के आक्रामक होने की दो प्रमुख वजह हैं। एक तो मौसम में बदलाव और दूसरा उन्हें प्रॉपर भोजन न मिलना। बारिश के मौसम में सर्वाधिक वे डॉग्स आक्रामक होते हैैं, जो रैबीज ग्रसित होते हैैं। वहीं प्रॉपर भोजन न मिलने से भी 50 फीसदी से अधिक डॉग्स हमलावर हो जाते हैैं। लोगों से बार बार अपील की जाती है कि अपने मोहल्ले या गली के डॉग्स को कुछ न कुछ खाने को जरूर दें।

केस एक

हाल में ही जानकीपुरम विस्तार स्थित सृष्टि अपार्टमेंट में कुत्तों ने एक बच्चे पर हमला कर दिया था और उसे बुरी तरह से काटा था। बच्चे को तत्काल उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया था।

केस दो

जानकीपुरम एरिया में ही घर से दूध लेने निकले एक बुजुर्ग पर कुत्तों ने हमला कर दिया था। जिसमें वो बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। वहां से गुजर रहे लोगों ने उन्हें बामुश्किल बचाया था।

ये कदम तुरंत उठाएं

पशु चिकित्सकों की माने तो अगर आपको कोई भी डॉग बाइट करता है तो तुरंत रैबीज का इंजेक्शन लगवाएं और प्रॉपर ट्रीटमेंट लें। कई बार देखने में आता है कि ज्यादातर लोग डॉग बाइट को हल्के में लेते हैैं और बाद में उन्हें खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ते हैैं। पैरेंट्स की भी जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चों को जरूर जागरूक करें कि अगर उन्हें कोई डॉग बाइट करता है तो वह तुरंत जानकारी दे, जिससे तुरंत ट्रीटमेंट शुरू कराया जा सके।

लाइसेंस जरूर बनवाएं

अब अगर पेट डॉग्स की बात की जाए तो ज्यादातर पेट ओनर्स की ओर से डॉग्स के लाइसेंस तक नहीं बनवाए जाते हैैं। इसकी वजह यह है कि लाइसेंस के लिए डॉग का वैक्सीनेशन होना जरूरी है। वैक्सीनेशन न कराना पड़े, इसके लिए लाइसेंस नहीं बनवाते हैैं। राजधानी में लाइसेंस संबंधी आंकड़े कुछ इस प्रकार हैैं

लाइसेंस एक नजर में

7845 कुल डॉग लाइसेंस बने हैैं

3525 विदेशी बड़ी ब्रीड के डॉग

2560 विदेशी छोटी ब्रीड के डॉग

1760 देशी ब्रीड के डॉग हैैं