- वार्षिक लेखा-जोखा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी में न प्रस्तुत करने का मामला

LUCKNOW: सहारा इंडिया की दस कंपनियों का वार्षिक लेखा-जोखा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी में न प्रस्तुत करने के मामले में निदेशक सुब्रत राय सहारा ने तिहाड़ जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जुर्म स्वीकार किया है। अदालत ने सुब्रत राय सहारा सहित अन्य अधिकारियों पर नौ-नौ सौ रुपये अर्थदंड लगाया है।

सहारा इंडिया की कंपनी मैसर्स सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड द्वारा रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के समक्ष समय से वार्षिक लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं किया गया था। इस पर सहायक रजिस्ट्रार आलोक टंडन की ओर से वकील विनय कृष्ण पांडेय ने गत पांच अगस्त को विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कस्टम) की अदालत में दस परिवाद दाखिल किए थे। इसमें आठ मामलों में सुब्रत राय सहारा डायरेक्टर हैं। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (कस्टम) बाल कृष्ण एन। रंजन के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि वर्तमान में सुब्रत राय सहारा तिहाड़ जेल में निरुद्ध हैं। लिहाजा वकील के जरिए जुर्म इकबाल प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया जाए। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से एक अन्य अर्जी प्रस्तुत कर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए तिहाड़ जेल से सुब्रत राय सहारा का जुर्म इकबाल स्वीकार करने की मांग की। बचाव पक्ष के प्रार्थना-पत्र को स्वीकार कर वीडियो क्रांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करते हुए सुब्रत राय सहारा के स्वीकारोक्ति के बयान के आधार पर उन्हें दोषी ठहराते हुए प्रत्येक मामले में नौ सौ रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि अर्थदंड की धनराशि अदा न करने पर आरोपी को एक सप्ताह का साधारण कारावास भुगतना होगा।

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