लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग क्वीन मेरी की डॉक्टरों ने क्रोनिक किडनी बीमारी (सीकेडी) के बावजूद गर्भवती की सफल डिलीवरी कराई है। इस अवस्था में डॉक्टर प्रेग्नेंसी की सलाह नहीं देते हैं और यदि प्रेग्नेंसी होती है तो अर्बाशन की सलाह देते हैं।

सीकेडी लेवल तीन से थी ग्रसित

क्वीन मेरी की डॉ। रेखा सचान ने बताया कि 28 वर्षीय पांच माह की गर्भवती महिला जांच के लिए आई तो किरेटनिन लेवल 5 एमजी था। जबकि, 1.5 एमजी तक नार्मल माना जाता है। यूरिन इंफेक्शन भी था। किसी तरह ट्रीटमेंट की मदद से लेवल को 2.5 एमजी लाने के बाद उसे वापस भेजा। सातवें माह में जब वो दोबारा आई तो किरेटनिन लेवल बढ़कर 8 एमजी हो चुका था। साथ ही बीपी भी अधिक था। जो प्रेग्नेंसी के लिए बेहद खतरनाक था। इस दौरान उसका 5 बार डायलिसिस किया गया। जिसके बाद किरेटनिन लेवल घटकर 3 होने और बीपी कंट्रोल होने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।

कराई सफल डिलीवरी

आठवें माह में उसे दोबारा एडमिट किया गया और करीब 35 वीक की प्रेग्नेसी में उसकी प्री-टर्म डिलीवरी कराई गई। जिसमें उसे करीब 1.7 किलो की बच्ची हुई। बच्चे को करीब दो दिन गहन निगरानी में रखने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। साथ ही महिला को भी सावधानियों को समझाकर घर भेज दिया गया। जहां उसकी हालत में सुधार हो रहा है।

इसलिए होता है खतरनाक

डॉ। रेखा सचान के मुताबिक सीकेडी से ग्रसित महिला के गर्भवती होने पर कई तरह की दिक्कतें होती हैं। जिसमें जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ सकती है। वहीं, ऐसी स्थिति में बच्चे का सही से विकास न होना, गर्भवती का बीपी हाई रहना, वेंटीलेटर पर जाने का खतरा आदि समस्या हो सकती है। इस तरह की स्थिति अब 2-3 ही डिलीवरी हुई हैं। ऐसे में यह एक अति गंभीर मामला था।