लखनऊ (ब्यूरो)। पुलिस आकड़ों के मुताबिक, शहर में सबसे ज्यादा नशा तस्करी के मामले आलमबाग, चारबाग, नाका, हुसैनगंज, बाजारखाला, चिनहट, जानकीपुरम, मडिय़ांव, हसनगंज सहित कई इलाकों में नशा तस्करी का मकडज़ाल फैला हुआ है। आए दिन पुलिस इन जगहों से नशा तस्करों को गिरफ्तार कर करती रहती है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले ढाई साल में 35 से अधिक महिला नशा तस्कर को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, इनमें से ज्यादा महिला तस्कर झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाली महिलाएं हैं।

पकड़े जाने के डर से बनाया जा रहा तस्कर

नशे के कारोबार पर एसटीएफ भी लगातार प्रहार कर रही है। जिससे अब बड़े नशा सप्लायर महिलाओं को पैडलर्स बना रहे हैं। नशे की बिक्री से लेकर एक शहर से दूसरे शहर तक पहुंचाने में महिलाओं का बड़े पैमाने पर यूज किया जा रहा है। ऐसी कई महिलाएं गिरफ्तार की जा चुकी हैं। राजधानी में भी ऐसे कई ऐेसे प्वाइंट हैं जहां पर महिलाएं नशा बेचने का काम कर रही हैं।

इसलिए बनाया जा रहा मुखबिर

पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहर के कई ऐसे एरिया हैं, जहां नशा तस्करी का खेल चल रहा है। जब पुलिस मौके पर पहुंचती है तो ये अलर्ट हो जाते हैं, जिससे यह तस्कर पुलिस की पकड़ से दूर हो जाते हैं। कई केसों में पकड़े तस्करों से पूछताछ में सामने आया कि यह लोग गलियों के बाहर बच्चों को मुखबिर बनाकर खड़ा कर देते हैं और जैसे ही पुलिस या कोई अंजान शख्स दिखता है तो फौरन अलर्ट कर देते हैं। बच्चों को मुखबिर बनाने की एक वजह यह भी है कि कोई इन पर शक नहीं करता है।

यह भी जान लीजिए

हाल में पकड़ी गई एक महिला तस्कर ने पुलिस पूछताछ में बताया था कि ग्राहकों को गांजा की 5 ग्राम की पुडिय़ा 50 से 100 रुपये तक में बेची जाती है। वहीं स्मैक की बात करें तो एक ग्राम की पुडिय़ा 100 से 200 रुपये और चरस की दो ग्राम की एक गोट (पुडिय़ा) 150 से 200 रुपये तक बेची जाती है। नशा खरीदने के लिए लोग दूर दराज से आते हैं, इनमें अधिकतर कस्टमर्स परमानेंट होते हैं।

पुलिस नशा तस्करों पर लगाम लगाने के लिए अभियान चलाती रहती है। कई महिलाएं और पुरुषों को नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। तस्करी को रोकने के लिए पुलिस सख्ती से काम कर रही है।

अपर्णा रजत कौशिक, डीसीपी पुलिस प्रवक्ता