लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग के हेड प्रो। सूर्यकांत के मुताबिक बदलते मौसम में दो कारणों से अस्थमा की समस्या बढ़ जाती है। पहला बदलता तापमान है, क्योंकि सुबह-शाम सर्दी और दिन में गर्मी हो रही है। ऐसे में लोग कम कपड़े पहनकर निकल रहे हंै। सर्दी से बचाव नहीं किया तो बॉडी का थर्मो रेगुलेट्री एडजस्ट नहीं हो पाता है और सांस नली में सूजन आ जाती है। दूसरा कारण नए फूल और परागकण होते हंै। यह समय पॉलिनेशन का होता है। जबकि परागकण करीब 200 किलो मीटर तक का सफर करते हैं। सांस लेने में यह शरीर के अंदर जाकर सांस नली में सूजन ले आते हैं।
ओपीडी में आ रहे मरीज
प्रो। सूर्यकांत बताते हैं कि इन बदलावों की वजह हर किसी में एक जैसी समस्या इसलिए नहीं होती क्योंकि जिनकी पैदाइश के समय से सांस की नली कमजोर होती है, वो अतिसंवेदनशील होते है। इसलिए उनमें यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। यह समस्या मई माह तक बढ़ेगी और ऐसे में विशेष सावधानी रखने की जरूरत है। सांस लेने में कोई दिक्कत आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

अस्थमा के लक्षण
- बार-बार खांसी आना
- सांस फूलना
- बेचैनी होना
- सीने में जकड़न और भारीपन
- सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना

अस्थमा से बचाव कैसे करें
- बारिश, सर्दी और धूल भरी जगह से बचें
- नमी वाले वातावरण मेें जाने से बचें
- मास्क लगाकर घर से निकलें
- धुंध व धुएं वाली जगह जाने से बचें
- धूम्रपान करने वालों से दूर रहें
- लाइफ स्टाइल में बदलाव लाएं