लखनऊ (ब्यूरो)। सीएमएस के क्लास 9वीं के छात्र की अचानक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आशंका हार्ट अटैक की जताई जा रही है। डॉक्टर्स की माने तो बच्चों में सडन डेथ की कई कारण हो सकते हैं। बच्चों और बड़ों में हार्ट अटैक अलग होता है। बच्चे में यह मामला कार्डियक अरेस्ट का हो सकता है। हालांकि, असल मौत का कारण ऑटाप्सी रिपोर्ट से ही पता चलेगा।

कार्डियक अरेस्ट के कई कारण

संजय गांधी पीजीआई में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। अंकित साहू के मुताबिक, बच्चों में सडन डेथ बेहद कॉमन होती है। खासतौर पर एक माह या दो-तीन दिन के नवजात में यह ज्यादा कॉमन है। जहां तक बड़े बच्चों की बात है तो इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे कई बार जन्म के वक्त हार्ट की नसें नार्मल जगह न होकर अबनार्मल जगह से निकल आती हैं या फिर बचपन से हार्ट की दीवारें मोटी होती हैं। इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री भी हो सकती है। बच्चों में हार्ट अटैक बड़ों की तरह नहीं होता है।

फैमिली की स्क्रीनिंग बेहद जरूरी

डॉ। अंकित आगे बताते हैं कि बच्चों में कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। इसके भी कई कारण होते हैं जो हार्ट से जुड़े हो सकते हैं या न नहीं भी हो सकते हैं। जैसे कोई रेस्पेरेट्री समस्या होना या हार्ट की गति कम या ज्यादा हो गई है। लेकिन, कई बार पता नहीं चलता है और इसका पहला लक्षण ही सडन डेथ के रूप में सामने आता है। अगर बच्चे की सडन डेथ की बात करें तो उसके भाई-बहन में भी रिस्क बढ़ सकता है। इसके लिए उनकी और पैरेंट्स की स्क्रीनिंग कराना जरूरी है। ताकि पता चल सके कि ऐसी कोई बीमारी तो नहीं जो फैमिली में हो और पता नहीं हो।

अन्य कारण हो सकते हैं

केजीएमयू में चाइल्ड साइकियाट्रिस्ट डॉ। अमित आर्य बताते हैं कि सडन डेथ का कारण कार्डियक डिस्आर्डर हो सकता है। इसके लिए फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री देखनी चाहिए। क्योंकि स्कूली छात्रों को मार्क्स और पढ़ाई की टेंशन होती है, पर ऐसी कोई मेंटल वजह नहीं होती है जिससे सडन डेथ हो जाये। ऐसे में पैरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चों को खुशनुमा माहौल दें, उनपर अनावश्यक दवाब न बनाएं।