एक दिन, एक टाइम और तीन तीन एग्जाम्स, किसे दें और किसे ना दें। इसी उलझन में शहर के सैकड़ों यंगस्टर्स पिछले कई दिनों से फंसे हुए थे। लास्ट में किसी ने पीसीएस प्री का एग्जाम दिया तो कोई नेट के सवालों से जुझता रहा। कुछ ने सीबीएसई की सीटीईटी का एग्जाम देना ज्यादा बेहतर समझा। जी, हां संडे को सिटी में एक ही समय पर पीसीएस प्री, यूजीसी नेट और सीटीईटी जैसे तीन बड़े एग्जाम थे जो सिटी के 104 सेंटर्स पर हुए। इनमें करीब 75 हजार से अधिक कैंडीडेट्स ने अपना एग्जाम दिया।

यह बहुत नाइंसाफी है

आशीष ने साल भर तक पीसीएस प्री की तैयारी की मगर उन्होंने यूजीसी नेट का भी फार्म भरा था। मगर जब एग्जाम की डेट आई तो वह असमंजस में पड़ गए कि अब वह क्या करें। क्योंकि दोनों एग्जाम सुबह 9.30 बजे से शुरु हो रहे थे। काफी मंथन के बाद उन्होंने पीसीएस प्री का एग्जाम दिया। आशीष का कहना है कि सरकार और यूजीसी दोनों को सोचना चाहिए कि बहुत से कैंडीडेट एक साथ दोनों कम्पटीशन की तैयारी करते हैं। इसलिए एक ही दिन दोनों इग्जाम रखना बहुत ही गलत है। ऐसा सिर्फ आशीष के साथ ही नहीं हुआ सिटी में सैकड़ों स्टूडेंट्स ऐसे थे जिन्होंने इन दोनों कम्पटीशन में अप्लाई किया था। विवेक बताते हैं कि अगर उनको पता होता तो वह यूजीसी का फार्म नहीं भरते। एक ही दिन दोनों पेपर पडऩे की वजह से 500 रुपए बरबाद चले गए।

यूजीसी नेट के एग्जाम के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी और एलयू न्यू कैंपस को सेंटर बनाया गया था। जहां पर करीब 8 हजार कैंडीडेट्स ने एग्जाम दिया। फस्र्ट पेपर में स्टूडेंट्स का रीजनिंग और एप्टीट्यूड टेस्ट हुआ तो सेकेंड पाली में सब्जेक्टिव पेपर हुआ। इस बार जर्नलिज्म के पेपर में सोशल नेटवर्किंग साइट्स से लेकर पेड न्यूज तक स्टूडेंट्स से सवाल पूछे गए थे। स्टूडेंट्स का कहना था कि इस बार यूजीसी नेट का पेपर बहुत ही आसान आया था। सवाल बहुत ज्यादा टफ नहीं थे। जिसने इस पेपर की थोड़ी भी तैयारी की होगी उसका सेलेक्शन आसानी से हो जाएगा।

सामान्य ज्ञान रहा असामान्य

पीसीएस प्री के पेपर में जरनल स्टडी का पेपर स्टूडेंट्स की उम्मीद पर खरा नहीं उतरा। जो पेपर स्टूडेंट्स तैयार करके गए थे, उसमें से सिर्फ बीस परसेंट ही पेपर में आया। इस बार पीसीएस प्री का भी पैटर्न बदल गया है। स्टूडेंट्स का कहना था कि पीसीएस में जनरल स्टडी का पेपर हर साल 50 परसेंट से ज्यादा रिपीट होता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार ज्यादातर सवाल जनगणना और करंट टॉपिक्स पर पूछे गए थे। इनमें कौन सा पुरस्कार किसने जीता था।

किस राइटर को कौन सी किताब के लिए कौन सा ईनाम मिला था। इस बार राज्य व्यवस्था, नेशनल मूवमेंट और हिस्ट्री पर बहुत कम सवाल पूछे गए थे जबकि स्टूडेंट्स का कहना था कि हमेशा इस टॉपिक से बहुत सवाल पूछे जाते थे। इस वजह से अधिकतर स्टूडेंट्स का जरनल नॉलेज का पेपर अच्छा नहीं हुआ। वहीं अगले साल से पीसीएस प्री का भी पैटर्न चेंज होने वाला है। अगले साल से आईएएस एग्जाम की तर्ज पर इसमें एप्टीट्यूड टेस्ट होगा।

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