लखनऊ (ब्यूरो)। गर्भावस्था के दौरान आम तौर पर एनीमिया, डायबिटीज व बीपी आदि जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। हालांकि, इनके अलावा टॉर्च इंफेक्शन जैसी अन्य समस्याएं भी देखने को मिल जाती हैं, जो एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। इस इंफेक्शन का असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है, जिसकी वजह से बच्चे में कोई समस्या या अंधता तक आ सकती है। पर समय रहते इसकी पहचान कर ली जाये तो बच्चे पर इसका असर कम किया जा सकता है। केजीएमयू के क्वीन मेरी में हर माह इस तरह के 4-5 मामले आते हैं।

बांझपन भी हो सकता है

क्वीन मेरी की डॉ। रेखा सचान के मुताबिक, टॉर्च इंफेक्शन टोक्सोप्लामोसिस, रेबैला, हर्पीस आदि जैसे कई तरह के इंफेक्शन से मिलकर बनता है। यह इंफेक्शन मां से बच्चे में आ जाता है, जिससे प्लेसेंटा के टॉक्सिक होने से खतरा बढ़ रहा है। इससे रेबैला होने का खतरा अधिक होता है, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे में डिफेक्ट हो जाता है और बच्चा जन्म के समय अंधता का भी शिकार हो सकता है। अगर टॉर्च इंफेक्शन होने के बावजूद बच्चा पैदा हो गए तो इलाज कराना पड़ता है। इसके अलावा, अगर इंफेक्शन बढ़ जाये तो गर्भपात तक का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही, बांझपन की भी समस्या हो सकती है।

रेशेज होने लगते हैं

अमूमन इस इंफेक्शन के कोई खास लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं, लेकिन गर्भावस्था के दौरान रेशेज नजर आयें तो सर्तक हो जाना चाहिए। गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में टॉर्च इंफेक्शन की जांच जरूरी करवानी चाहिए। पहले इसके मामले रेयर ही देखने को मिलते थे, पर अब कई मामले देखने को मिल रहे हैं। हालांकि, अगर टॉर्च इंफेक्शन एकबार हो गया तो जल्दी दोबारा नहीं होता है, क्योंकि इसके खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती है। गर्भावस्था के दौरान नियमित चेकअप जरूर कराना चाहिए और अपने खानपान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। कोई भी समस्या होने पर अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।