लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में गणेश उत्सव का इतिहास एक शताब्दी से भी पुराना है। जहां मराठा सामाज के द्वारा स्थापित की गई एक अनूठी परंपरा आज एक भव्य रूप ले चुकी है। राजधानी में जगह-जगह पंडालों में प्रथम पूज्य गणेशजी विराजमान होते हैं। इस बार कोई समिति अपना शताब्दी वर्ष तो कोई 80 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष आयोजन की तैयारी में जुटी हुई है। जिनकी शुरुआत होने का अपना एक रोचक इतिहास है। इस बार गणेश उत्सव 31 अगस्त से शुरू होने वाला है। पेश है राजधानी के विभिन्न गणेश समितियों के रोचक इतिहास को लेकर विशेष रिपोर्ट।

वीर सावरकर आए थे स्थापना पर

महाराष्ट्र समाज के कार्यवाहक सेक्रेट्री दिनेश जोशी ने बताया कि इसबार समिति अपना शताब्दी वर्ष मना रही है। गणेश उत्सव की शुरुआत वर्ष 1921 में हुई थी। स्थापना के वक्त वीर सावरकर भी आए थे। इसे महाराष्ट्र समाज के श्रीकृष्ण नारायण और गोविंद नारायण द्वारा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के स्वाधीनता संग्राम आंदोलन और आपसी सौहार्द के आह्वान पर शुरू किया था। गणेश उत्सव पूरे पारंपरिक तरीके से आयोजित किया जाता है। जिसमें किसी भी तरह का कोई दिखावा नहीं किया जाता है। यहां भंडारा में महाराष्ट्रीयन व्यंजन परोसे जाते हैं।

भक्त भेंट करते है गणेशजी की मूर्ति

अमीनाबाद के प्रताप मार्केट स्थित श्रीराम दरबार में होने वाला गणेश उत्सव इस बार अपना 32वां वर्ष मना रहा है, जो 'अमीनाबाद का राजा' के नाम से विख्यात है। अतुल अवस्थी, संयोजक श्री गणेश उत्सव मंडल अमीनाबाद ने बताया कि इसकी शुरुआत आज से 32 वर्ष पूर्व तानाजी राव पांड्रे ने की थी। उस समय हमारे यहां महाराष्ट्र समाज के परिवार सोने-चांदी के प्यूरीफिकेशन का काम करते थे। उन्होंने अपनी छोटी सी दुकान से इसकी शुरुआत की थी। इसके बाद कपिल कपूर के सहयोग से इसे आगे बढ़ाया गया, बड़ी पूजा शुरू की गई और आकार बढ़ता रहा। पर बीते 27 वर्षों से यह पूजा श्रीराम रोड थाने के पास हो रही है। इस बार भी सभी आयोजन यहीं पर होंगे।

80 वर्ष पुरानी परंपरा आज भी जारी

चौक के रानी कटरा में गणेश उत्सव को करीब 80 वर्ष होने वाले हैं। इसे गणेश महामंडल समिति के तहत शुरू किया गया था। उस दौरान स्व। क्षमापति वाजपेयी ने रानी कटरा चौक में मंदिर बनावाया था। जिसके बाद राम स्वरूप गौण, प्रभुदयाल गौण ने गणेश पूजन शुरू कराया। जो धीरे-धीरे विराट स्वरूप लेता गया। वहीं, आयोजक बुजुर्ग होने लगे तो उस समय युवाओं द्वारा करीब 35 साल पहले गणेश युवा मंडल की स्थापना की गई और गणेश उत्सव अहियागंज में शुरू किया था, जो आज भी जारी है।

मनौतियां पूरी करने वाले गणेशजी

गणेश प्राकट्य समिति द्वारा 2005 में गणेश उत्सव की शुरुआत की गई थी। उस समय यह आईटी के पास किया जाता था, जो बाद में रामधीन सिंह इंटर कॉलेज परिसर में होने लगा। पर अब यह प्रोग्राम गोमती तट स्थित झूलेलाल वाटिका में किया जाता है। कमेटी के संरक्षक भारत भूषण ने बताया कि इस बार हमारा 18वां कार्यक्रम चल रहा है। यहां गणेशजी को 'मनौतियां का राजा' माना जाता है, जहां भक्त अपनी समस्या लिखकर गणेशजी को समर्पित करते है। यह प्रदेश की सबसे बड़ी आयोजन समिति है। जहां रोजाना 15 हजार से अधिक भक्त दर्शन के लिए आते हैं। दूसरी ओर, श्रीगणेश उत्सव मंडल चौक के संयोजक उमेश पाटिल ने बताया कि हमारे समाज द्वारा 1985 से गणेश उत्सव व पूजन मनाया जा रहा है। पर बीते 15 साल से मंदिर कल्ली जी राम मंदिर में पूजन कर रहे हैं। पूर्व गवर्नर राम नाइक अपने कार्यकाल के दौरान लगातार पांच साल यहां आ चुके हैं।