- टी प्वाइंट पर न ट्रैफिक लाइट, न ट्रैफिक कंट्रोलर, हर दिन होते है हादसे

- 10 किमी की दूरी पर तय सफर का मानक 4 से 5 मिनट का लेकिन 25 से 30 मिनट में पूरा होता है सफर

- सर्विस लेन चोक, हाईवे पर रोड किनारे खड़े किए जा रहे व्हीकल

- 511 चौराहे और तिराहे शहर में

- 132 चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल लाइट से दौड़ रहा ट्रैफिक

- 7 सौ सीसीटीवी कैमरे से निगरानी का दावा

LUCKNOW:

राजधानी में ट्रैफिक सबसे बड़ी समस्या हैं। ट्रैफिक सिस्टम को स्मूथ करने लिए सीएम ने भी ट्रैफिक निदेशालय को निर्देश दिए है। लगातार काम भी किया जा रहा है, बावजूद इसके प्रॉब्लम खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। शहर में 511 चौराहों पर और मात्र 132 चौराहों पर डिपार्टमेंट का फोकस है जबकि कई एरिया ऐसे है जहां समस्या गंभीर है लेकिन उसका निदान है। दैनिक जागरण आई नेस्क्ट ने टीम ने सोमवार को इसी समस्या को सामने लाने के लिए निशातगंज से कमता चौराहों फैजाबाद रूट पर रियल्टी चेक किया। इस रियल्टी चेक में सामने आया कि ट्रैफिक व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए सबसे ज्यादा टी प्वाइंट जिम्मेदार है। जहां न तो ट्रैफिक ड्यूटी लगाई जा रही है और न ही ट्रैफिक सिग्नल है जिसके चलते हर तरफ से आने वाले जाम का कारण बन रहे हैं।

कुकरैल बंधा

सिग्नल बिना ही चलता ट्रैफिक

कुकरैल बंधे पर सबसे तेज स्पीड से ट्रैफिक दौड़ता है। यहां से अकबर नगर से आने वाले गाडि़यां बंधे पर चढ़ती हैं और खुर्रम नगर से आने वाला ट्रैफिक उतरता भी है। इसके अलावा ओवर ब्रिज से ट्रैफिक दाहिने तो भी मूव करता है। कुकरैल बंधे में टी प्वाइंट से ज्यादा खतरनाक है। यहां तो कोई टै्रफिक सिग्नल है और न ही चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी रहती है। यहीं नहीं चौराहों पर कोई सांकेतिक बोर्ड तक नहीं है।

लेखराज

कोई ट्रैफिक पुलिस नहीं

निशातंगज व कुकरैल बंधे से पॉलीटेक्निक चौराहों की तरह सबसे ज्यादा ट्रैफिक मूव करता है। वहीं पॉलीटेक्निक से वापस आने वाली ट्रैफिक का भी मूवमेंट रहता है। लेखराज मेट्रो स्टेशन के नीचे टी प्वाइंट है जहां न तो टै्रफिक लाइट है और न ही ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी लगती है। ए ब्लॉक व इस रूट पर जाने वाले तीन तरफ से वाहन आते है और हर बार छोटे-छोटे जाम में फंसते हैं।

भूतनाथ तिराहा

लगता है भीषण जाम

भूतनाथ तिराहा इंदिरानगर के ए, बी, सी ब्लॉक के अलावा कई और रास्तों को जोड़ता है। इसके चलते तिराहे पर दिन भर ट्रैफिक का मूवमेंट रहता है। भूतनाथ मार्केट के चलते तिराहे पर शाम को जाम की स्थित बन जाती है। कई बार सामने और पीछे से आने वाली गाडि़यों की भिड़ंत तक हो चुकी है। इस चौराहों पर न तो ट्रैफिक ड्यूटी लगाई जाती है और न ही ट्रैफिक सिग्नल लाइट लगाई गई जबकि यहां पर इसकी काफी जरूरत है। खासकर शाम के वक्त तो अक्सर लंबा जाम लग जाता है।

एचएएल तिराहा

ट्रैफिक सबसे ज्यादा पर ड्यूटी पर कोई नहीं

एचएएल तिराहा पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक मूवमेंट होता है। पॉलीटेक्निक आने वाले ट्रैफिक के साथ-साथ लेखराज व नीलगिरी की तरह जाने वाले ट्रैफिक है। एचएएल से भी गाडि़यों निकली है। जबकि एचएएल के सामने बड़ी मार्केट होने के चलते सबसे ज्यादा ट्रैफिक प्रेशर इस प्वाइंट पर होता है। यहां न तो ट्रैफिक ड्यूटी लगाई जाती है और न ही ट्रैफिक कंट्रोलर तैनात रहता है। हर दिन यहां छोटे-छोटे एक्सीडेंट होते हैं।

कमता तिराहा

ट्रैफिक लाइट का टाइम बड़ी समस्या

फैजाबाद रूट पर कमता तिराहा सबसे ज्यादा व्यस्त तिराहा है। यह हर घंटे पांच हजार व्हीकल मूव करते है। कहने तो ट्रैफिक लाइट है, लेकिन न तो वह ठीक तरह से चलती है और न ही उसका कोई टाइमिंग सेट है। तिराहे पर ट्रैफिक ड्यूटी के साथ पुलिस कर्मियों की भी ड्यूटी लगाई जाती है लेकिन सबसे ज्यादा टै्रफिक ध्वस्त इसी तिराहे पर होता है। पॉलीटेक्निक से आने वाले टै्रफिक शहीद पथ पर मूव करता है और कुछ ट्रैफिक फैजाबाद बीबीडी की तरह जाता है लेकिन न तो लेफ्ट फ्री की व्यवस्था है और न ही ट्रैफिक को कंट्रोल करने लिए कोई मैनेजमेंट है। अवैध स्टैंड और ज्यादा समस्या पैदा करता है।

ये भी बड़ी बाधा

अवैध स्टैंड चलाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं

कमता चौराहे पर अवैध डग्गेमार वाहनों के स्टैंड से जाम की समस्या बनी रहती है। इस रूट पर फैजाबाद व पूर्वाचल के लिए डग्गामार वाहन चलते हैं। सवारियों के लालच में डग्गेमार वाहन रोड पर ही आड़े-तिरछे खड़ा कर देते हैं। जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। कहने को ट्रैफिक कंट्रोलर और स्थानीय पुलिस की जिम्मेदारी है, लेकिन यहां न तो डग्गामार और अवैध स्टैंड चलाने वालों पर कोई कार्रवाई होती है और न ही उन्हें हटाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि डग्गामार वाहन और अवैध स्टैंड पुलिस और नगर निगम कर्मचारियों की शह पर चल रहा है।

हर जगह दिखता है अवैध कब्जा

लेखराज से कमता चौराहे तक एक तरफ हाइवे किनारे अवैध पार्किंग तो दूसरी तरफ लगने वाली फुटपाथ पर कब्जा होने के चलते जाम लगता है। फुटपाथ पर पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं है। फुटकर दुकानदार और सब्जी ठेला वालों के साथ पान की गुमटी ने कब्जा कर रखा है। साइकिल और पैदल चलने वाले भी मेन रोड का यूज करते है। जिससे ट्रैफिक स्लो हो जाता है। इस रूट में अक्सर शाम के समय भीषण जाम लगता है। गाडि़यों का काफिला इतना लंबा होता है कि दो किमी का सफर तय करने में एक घंटा तक का समय लग जाता है।

तो बन जाती है जाम की समस्या

एचएल के सामने कार सर्विस सेंटर है। जहां सर्विस होने आने वाली कार को बाहर ही टोकन दिया जाता है। सामने टी प्वाइंट होने के चलते अक्सर इस रूट पर तीन तरफ से वाहन आने चलते जाम लग जाता है। वाहन भी बेतरतीब खड़े होते हैं। आस-पास सड़क तक लाइन लगती है। यहीं नहीं वाहनों को रोड पर पार्क कर दिया जाता है। जिसकी वजह से मेन रोड की चौड़ाई कम हो जाती है। दोनों तरफ से पहले से ही अतिक्रमण और फिर वाहनों के खड़े होने से रोड की चौड़ाई और कम हो जाती है, जिससे जाम की स्थिति बन जाती है।

ट्रैफिक हो जाता है ध्वस्त

फैजाबाद रूट पर सबसे ज्यादा जाम सुबह और शाम के समय लगता है। सिटी से बाहर जाने के लिए बाहरी वाहनों की इंट्री होती है। चौराहे पर ट्रैफिक कंट्रोलर न होने के चलते ट्रैफिक पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है। सिटी के आउटर साइड पर ट्रैफिक कंट्रोलर की गैरमौजूदगी में बड़े वाहन इंट्री के दौरान फंस जाते है। जिसके चलते जाम लग जाता है।

5 मिनट का सफर पर लगता 30 मिनट

कुकरैल बंधे से कमता चौराहों पर करीब 10 किमी का सफर है। मानक लिए 40 किमी की रफ्तार से चलते वाले वाहनों को यह सफर तय करने में 4 से 5 मिनट लगना चाहिए लेकिन यह सफर 25 से 30 मिनट में तय करना पड़ता है। यहीं नहीं अगर जाम लगा गया तो एक घंटा भी कम लगाता है मात्र 10 किमी के सफर को तय करने में। इससे न केवल दो गुना ईधन की खपत होती है इससे लोगों के जेब पर असर पड़ता है बल्कि गाड़ी के मेनटीनेंस पर भी इसका बुरा असर पड़ रहता है। इसके पीछे का कारण है अतिक्रमण, नो पार्किग में पार्किग, टी प्वाइंट में ट्रैफिक सिस्टम न होना।

इस रूट पर आने वाली समस्या तो दूर करने लिए जल्द की अभियान चलाकर दूर किया जाएगा। इसके अलावा जिन प्वाइंट पर ट्रैफिक सिग्नल की जरूरत है वहां, सिस्टम लगाया जाएगा और ट््रैफिक कंट्रोलर की भी ड्यूटी लगाई जाएगी।

-श्रवण कुमार सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक