लखनऊ (ब्यूरो)। थेराप्यूटिक प्लाज्मा एक्सचेंज की मदद से अब जीबी सिंड्रोम, न्यूरोलॉजिकल डिस्आर्डर, लीवर और जहर के गंभीर असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इस तकनीक की मदद से मरीजों को सस्ते इलाज का फायदा मिलेगा। इसको लेकर केजीएमयू में 40 मरीजों पर स्टडी की गई है, जिसमें काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।

ट्रीटमेंट के मिले अच्छे रिजल्ट

केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि थेराप्यूटिक प्लाज्मा एक्सचेंज को लेकर मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु के साथ स्टडी की गई। इसमें जीबी सिंड्रोम, न्यूरोलॉजिकल डिस्आर्डर के मरीजों को शामिल किया गया। जिसके तहत दोनों समस्याओं वाले 20-20 मरीजों को लेकर दो अलग-अलग ग्रुप बनाये गये थे। जिनको लेकर स्टडी की गई थी। स्टडी में काफी अच्छे रिजल्ट देखने को मिले।

बेहद सस्ता होगा इलाज

डॉ। तूलिका चंद्रा ने बताया कि इस थेरेपी की सबसे खास बात यह है कि इसका खर्च करीब 8 हजार के आसपास ही आता है। साथ ही फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा फ्री में दिया जाता है। ऐसे में इसका खर्च बेहद कम है। इस थेरेपी में 4-5 साइकिल होती है। वहीं, इसी इलाज के लिए आईवी इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन भी दिया जाता है। यह एक इंजेक्शन 1 लाख रुपये के करीब आता है और इलाज के दौरान यह करीब 5-6 लग जाते हैं। हालांकि, इंजेक्शन की डोज मरीज की रिकवरी के ऊपर होती है। जो कई बार सात इंजेक्शन के ऊपर तक चली जाती है। ऐसे में यह बेहद महंगा इलाज हो जाता है।

ऐसे करता है काम

डॉ। तूलिका चंद्रा ने आगे बताया कि इस ट्रीटमेंट में पेशेंट का प्लाज्मा धीरे-धीरे निकालते हैं। जिसमें कई ऐसी एंटीबॉडी भी होती हैं, जो बीमारी का कारण भी होती हैं। ऐसे में धीरे-धीरे फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा को चढ़ाया जाता है, जिससे अच्छी एंटीबॉडी शरीर में पहुंचती है। इस प्रोसिजर में करीब 2-3 घंटे का समय लग जाता है।

अन्य बीमारियों में भी कारगर

इस थेरेपी को कई अन्य बीमारियों में भी यूज किया जाता है। पर पहली बार टारगेटेड बीमारी के लिए इसका प्रयोग किया गया है। जिसके तहत लीवर की समस्या वाले या फिर जो लोग जहर खा लेते है, उनमें भी यह थेरेपी बेहद कारगर साबित होती है।