- गांव के कई परिवार कच्ची शराब बनाने में लिप्त

- आस-पास के कई गांव में होती है सप्लाई

LUCKNOW :

महेश और दिलीप की मौत भले ही थिनर पीने से हुई हो लेकिन जबरौली गांव की हकीकत यह है कि यहां मौत का पउआ केवल 20 रुपये में मिलता है। गांव के कई परिवार कच्ची शराब बनाने के धंधे में लिप्त हैं। कुछ दबंग और बड़े नाम भी इस कारोबार में शामिल हैं। गांव की महिलाओं को इस धंधे पर मुंह खोलने की मनाही है और पुरुष दबंगों से दुश्मनी के डर से सब कुछ जानते हुए भी मुंह बंद रखने को मजबूर हैं। कच्ची का नशा गांव की युवा नस्ल को खराब करने का काम कर रहा है।

सुबह से लगती है लाइन

गांव के अश्वनी शर्मा बताते हैं कि यहां कच्ची शराब के लिए सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लाइन लगी रहती है। घरों में चलने वाली भट्ठी सुबह-शाम धधकती रहती हैं। दिहाड़ी मजदूरी और किसानी करने वालों को 20 रुपये में शराब का एक पउवा बेचा जाता है।

चुनाव में फ्री बंटती है शराब

गांव की महिलाओं ने बताया कि जब भी चुनाव आता है तो यह धंधा और भी फलने-फूलने लगता है। दिन रात शराब की भट्ठियां जलती रहती हैं। लोगों को फ्री शराब पिलाई जाती है। इससे पूर्व गांव में प्रधानी के चुनाव में कच्ची शराब पीकर गुलजारी नाम के युवक की मौत हो गई थी।

कई गांवों से आते लोग

मोहनलालगंज के गौरा, कुराना, बेलाहनी, सेवा खेड़ा, कूरी, गद्दवा, बाजार खेड़ा, गोमत खेड़ा, फरसापुर, कुसमौड़ा आदि गांव से लोग कच्ची पीने जबरौली गांव आते हैं।

ये कर रहे कच्ची शराब का धंधा

स्थानीय लोगों के अनुसार जबरौली गांव में कच्ची शराब के कारोबार में छोटन का नाम आता है। इनके लिए ननकू सिंह, कल्लू, गुडि़या, केसरीनाथ आदि कच्ची की भट्ठी चलाते हैं।

पुलिस भी लाचार

मोहनलालगंज पुलिस और आबकारी विभाग गांव में रेड करने से कतराता है। दो साल पहले यहां पुलिस ने रेड मारी थी तो महिलाओं ने उस पर हमला कर दिया था। चौकी में महिला सिपाही नहीं है, इससे पुलिस इस कारोबार में शामिल लोगों के घरों पर रेड नहीं करती है।

पब्लिक कोट

गांव में कच्ची शराब का धंधा काफी समय से चल रहा है। जानते सभी हैं, लेकिन कोई विरोध नहीं करता। यहां अधिकतर लोग कच्ची शराब पीने के बाद घर की महिलाओं से मारपीट करते हैं।

अश्वनी कुमार शर्मा

कनका चौकी के सिपाही भी जानते हैं कि इस शराब का कारोबार कौन कर रहा है। लोग दुश्मनी के डर से इसकी शिकायत नहीं करते हैं। महिलाओं की मदद के लिए पुलिस नहीं आती है।

विजय लक्ष्मी

गांव के बहुत से लोग शराब की लत का शिकार हैं। दूसरी जगह से भी लोग यहां शराब पीने आते हैं। अगर यह कारोबार खत्म हो जाए तो गांव के युवाओं की जिन्दगी सुधर जाएगी।

जितेंद्र सिंह