लखनऊ (ब्यूरो)। एसकेडी न्यू स्टेंडर्ड कोचिंग इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर मनीष सिंह बताते हैं कि राजधानी के स्टूडेंट यूक्रेन, जार्जिया, रूस, चीन, तजाकिस्तान, मॉरिशस समेत यूरोप के कई देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। वहां एडमीशन के लिए आपको केवल यूजी-नीट ही पास करना होता है। जिनको यहां के मेडिकल कॉलेज में एडमीशन नहीं मिलता है या जो निजी कॉलेजों की महंगी फीस नहीं दे सकते हैं, वे इन देशों में जाकर पढ़ाई करना बेहतर समझते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि यहां आपको एडमिशन के लिए अलग से कोई टेस्ट नहीं देना होता है।

फीस भी है काफी कम

मनीष सिंह ने बताया कि भारत मे एमबीबीएस की पांच साल की पढ़ाई में 80 लाख से एक करोड़ रुपए तक खर्च हो जाते हैं, वहीं इन देशों में यह कोर्स सिर्फ 30 से 40 लाख रुपए में पूरा हो जाता है। इस खर्च में वहां के हॉस्टल की फीस भी शामिल है। यूक्रेन में तो आप भारत की तुलना में एक चौथाई खर्च पर ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकते हैं।

आसान होती है पढ़ाई

मेडिकल एक्सपर्ट शाहनवाज खान ने बताया कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई के लिए प्रवेश परीक्षा काफी कठिन होती है, वहीं विदेशों में प्रवेश परीक्षा होती ही नहीं है। आप नीट पास हैं तो वहां आसानी से एडमिशन हो जाएगा। इन देशों का कल्चर भी फ्रेंडली है और वहां स्टूडेंट आसानी से पास भी हो जाते हैं। यूक्रेन में भारतीयों के लिए नियम भी आसान है। वहीं अमेरिका में नियम कड़े होने से पढ़ाई भी महंगी हो जाती है।

नियमों में किया बदलाव

पहले अगर कोई स्टूडेंट विदेश से एमबीबीएस करके आता था तो उसे इंडिया फारेन मेडिकल ग्रेजुएट टेस्ट देना होता था। जिसमें अब कुछ बदलाव करके एग्जिट एग्जाम नाम दे दिया गया है। जिसके अंतर्गत दो बार एग्जाम देना होता है। वहीं सरकार ने अब पांच साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्न को ही लीगल मान लिया है।

यूक्रेन में ज्यादा होते हैं एडमिशन

शाहनवाज बताते हैं कि हमारे यहां 200 से 250 स्टूडेंट््स को ही एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए एडमिशन दिया जाता है। वहीं यूक्रेन में एक कॉलेज में 800 से 900 तक स्टूडेंट्स को हर साल एडमिशन दिया जाता है। यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों ने भारतीय स्टूडेंट्स की अधिक संख्या को देखते हुए ऐसे इंतजाम कर रखे हैं कि वे वहां पढ़ाई के साथ भारत में टेस्ट देने की भी तैयारी कर सकें।

वहां आपको प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होती है। इसके अलावा पढ़ाई का खर्च भी वहां बाकी देशों की तुलना में कम है। यही कारण है कि भारतीय छात्र यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने जाते हैं।

मनीष सिंह, डायरेक्टर, एसकेडी न्यू स्टेंडर्ड कोचिंग इंस्टीट्यूट

भारत में प्रवेश परीक्षा काफी टफ होने के साथ सीमित संख्या में ही एडमीशन होते हंै। जबकि यूक्रेन में कोई टेस्ट देने की जरूरत नहीं है। वहां छात्रों को बड़ी संख्या में एडमीशन भी आसानी से मिल जाता है।

शाहनवाज खान, मेडिकल एक्सपर्ट