- 4.7 करोड़ लोग बधिरता से हैं पीडि़त

- 3.5 करोड़ बच्चे झेल रहे हैं बधिरता दंश

- 38 बधिर बच्चों पर किया गया रिसर्च

- 38 नॉर्मल लोगों पर किया गया रिसर्च

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हेडिंग-

- सीबीएमआर के साइंटिस्ट की डिफ्यूज टेंसर मैपिंग स्टडी में मिले पॉजिटिव रिजल्ट

- बधिर बच्चों की पढ़ाई को लेकर बनाया जा सकेगा स्पेशल कोर्स

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW : जो बच्चे सुन नहीं सकते हैं, उनके दिमाग की कनेक्टिविटी में बदलाव आ जाता है यानि एक सेंस में कमी के चलते दूसरे सेंस में बदलाव देखने को मिलता है। ऐसे में अगर बधिर बच्चों को विजुअली हाई कंटेंट दिखाया जाएं तो उनके ऑक्सीपिटल एरिया और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, जिससे बधिर बच्चों को चीजें ज्यादा तेजी से समझ में आती हैं। यह जानकारी सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च के साइंटिस्ट डॉ। उत्तम कुमार की एक रिसर्च में सामने आया है।

ब्रेन के व्हाइट मैटर की मैपिंग

एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में करीब 4.7 करोड़ लोग बधिरता से पीडि़त हैं, जिसमें 3.5 करोड़ बच्चे हैं। बधिर लोगों की समस्या को देखते हुए सीबीएमआर के साइंटिस्ट डॉ। उत्तम कुमार द्वारा डिफ्यूज टेंसर मैपिंग करते हुए रिसर्च किया गया। इसमें 18-22 वर्ष के 38 बधिर और 38 नॉर्मल लोगों को शामिल किया गया था। रिसर्च के दौरान एमआरआई की मदद से सभी के ब्रेन में व्हाइट मैटर की मैपिंग की गई। व्हाइट मैटर दिमाग के विभिन्न हिस्से की कनेक्टिविटी का काम करते हैं। उसी को लेकर असेसमेंट किया गया।

ऑक्सीपिटल एरिया ज्यादा हुआ एक्टिव

डॉ। उत्तम बताते हैं कि जो बधिर बच्चे होते हैं, उनके ब्रेन का स्ट्रक्चर चेंज हो जाता है। अगर एक सेंस सही से काम नहीं कर पा रहा है तो उसकी वजह से कनेक्टिविटी कैसे बदल जाती है और किस तरह से नई कनेक्टविटी बनती है, जिससे उनको फायदा मिले। इसी पर रिसर्च किया गया था। रिसर्च में पाया गया कि उनका ऑक्सीपिटल एरिया, जो विजुअल देखकर चीजों को पहचानने में मदद करता है। वो इस दौरान ज्यादा एक्टिव देखने को मिला। यानि अगर विजुअली कंटेंट तैयार करके कोई उनको पढ़ाए तो वो जल्दी उसे समझ सकेंगे। जैसे पिक्चर की मूवमेंट, ब्राइट कलर जो उनको अट्रेक्ट करे। इसके अलावा मोशन आब्जेक्ट में उनको सिखाया जाए तो इससे उनका विजुअल सेंस ज्यादा तेजी से काम करता है।

तैयार हो रिच विजुअल कंटेंट

डॉ। उत्तम कुमार ने बताया कि रिसर्च से बधिर बच्चों को सबसे ज्यादा फायदा, उनकी पढ़ाई के दौरान मिलेगा। खासकर टीचर जो बधिर बच्चों को पढ़ाते हैं अगर वो मोशन ऑप्शन यानि मूवमेंट वाले कंटेंट के सहारे पढ़ाएं तो बच्चों को ज्यादा जल्दी समझने में मदद मिलेगी, जो उनके डवलपमेंट में मददगार साबित होगी। यह स्टडी उनके लिए एक बहुत बड़ी खोज है कि कैसे वो पढ़ाई के दौरान बच्चों के ब्रेन के विभिन्न कामों को यूटिलाइज बेहतर डंग से करे सकें।

यह है ऑक्सीपिटल एरिया

रिसर्च में पाया गया कि बधिर लोगों का ऑक्सीपिटल एरिया, जो विजुअल देखकर चीजों को पहचानने में मदद करता है। वो इस दौरान ज्यादा एक्टिव देखने को मिला। इससे यह पता चला कि बधिर बच्चे व बड़े विजुअल कंटेंट को आसानी से कैच कर लेते हैं।

कोट

इस स्टडी से बधिर बच्चों को सही तरीके से पढ़ाने में मदद मिलेगी। अगर टीचर विजुअली रिच कंटेंट को शामिल करें तो बधिर बच्चे ज्यादा तेजी से उसे समझ सकेंगे।

- डॉ। उत्तम कुमार, साइंटिस्ट सीबीएमआर