लखनऊ (ब्यूरो) । महोत्सव स्थल पर उत्तराखंड के पौंजी, नथ, गलोबंद आदि जेवरात संग पिछौड़ा, ऐंपण आदि का स्टाल लगाया गया है। गहत, भट, मुंस्यारी की राजमा, गडेरी, मूली, नींबू, गेठी, बाल मिठाई, रेडीमेड व ऊनी वस्त्र, कश्मीरी शाल, घर के सजावट का सामान, फर्नीचर, ड्राई रूट्स व खान-पान आदि के स्टालों पर जाकर लोग खूब खरीदारी कर रहे हैं।

कथक ने बांधा समां

उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य दल मेला परिसर में धूम घूम कर अपनी लोक कला का प्रदर्शन करता रहा। पूनम कनवाल एवं हरितिमा पंत के संचालन में जया श्रीवास्तव के नेतृत्व में अटल कला साहित्य मंच की टीम ने लोक प्रस्तुतियां, सुरताल संगम संस्था ने वालीवुड थीम पर कार्यक्रम, रामलीला समिति महानगर के दल ने देवी भवानी मेरि सेवा लिया, स्वर्ग तारा आदि लोक गीतोंं से समा बांध दिया। पीयूष पांडे का कथक सबको काफी पसंद आया।

भवई नृत्य ने किया रोमांचित

राजस्थान की टीम ने लीला देवी के नेतृत्व में भवई नृत्य जिसमें नृत्यांगना शांता देवी ने सिर पर सात मटके रखकर तलवार, कांच के टुकड़ों पर नृत्य किया। यह राजस्थान का फेमस लोक नृत्य है। वहीं शांता देवी, शायरी देवी, राधा, सीता, हंजा देवी, रमेश दास, सोहन लाल, श्रवण दास, रमेश, विष्णु आदि ने धूमर पेश कर लोगों की वाह-वाही लूटी।