- मेरठ के 36 गांव हेपेटाइटिस-सी के शिकार

- पीजीआई में हेपेटाइटिस सी पर सीएमई

- संक्रमण से डैमेज हो रहा लीवर

- सेंट्रल यूपी में खतरा कम

LUCKNOW: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 36 गांवों में लोग खतरनाक वायरस हेपेटाइटिस सी की चपेट में है। इन गांवों के 12 से 40 परसेंट तक लोग हेपैटाइटिस सी के शिकार हैं। यह जानकारी संडे को एसजीपीजीआई में 'हैंडलिंग द बर्डन आफ हिपैटाइटिस सी इन यूपी' विषय पर आयोजित सीएमई में मेरठ से आए डॉ। एसके त्यागी ने दी। उन्होंने बताया कि इसके कारण बड़े स्तर पर लोगों के लीवर डैमेज होने की समस्या हो रही है। इसलिए वायरस का संक्रमण को रोकना जरूरी है।

समस्या अनुमान से कहीं अधिक

प्राइवेट प्रैक्टिशनर डॉ। त्यागी ने बताया कि लगातार कुछ इलाकों से मरीजों की संख्या बढ़ रही थी तो मैंने उन इलाकों में जाकर स्क्रीनिंग कैंप शुरू किया। पिछले डेढ़ साल में 36 गांवों में 5,375 लोगों की स्क्रीनिंग की। पता चला कि इन गांवों में 18 गांव ऐसे थे जिनके 10 से 40 परसेंट तक लोग हेपेटाइटिस के शिकार थे। 9 गांव 3 से 10 परसेंट और 4 गांवों के 2 परसेंट लोग हेपेटाइटिस सी की चपेट में थे। सबसे बड़ी बात इनमें से अधिकतम लोग ऐसे हैं, जिन्हें बीमारी की जानकारी ही नहीं है। जब लीवर की बीमारी का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। जिससे लोगों की जान जा रही है। ऐसे ही मथुरा के एक गांव में ही अकेले 250 लोगों में हेपेटाइटिस सी पाया गया है।

पूर्वाचल की स्थिति भी ठीक नहीं

बीएचयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। वीके दीक्षित ने पिछले एक साल में बीएचयू में आने वाले और ब्लड बैंक में पॉजिटिव मिलने वाले मरीजों की स्टडी के आधार पर बताया कि वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़ जिलों में हेपेटाइटिस सी का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि इलाज के लिए आए 184 मरीजों से 26 परसेंट अकेले वाराणसी के ही थी। इसके अलावा अम्बेडकर नगर के अंतर्गत आने वाले एक गांव के मरीजों में संक्रमण 20 से 40 परसेंट तक पाया गया है। दोनों ही जगहों पर की गई स्टडी में संक्रमण के शिकार मरीजों में पुरुषों की संख्या अधिक है। हेपेटाइटिस सी के एक व्यक्ति के इलाज में रोजाना करीबन 350 रुपए की दवा खानी पड़ती है। यूपी में रूरल एरियाज में मरीजों के लिए यह खर्च उठा पाना आसान नहीं है।

प्रमुख सचिव ने दिए योजना बनाने के निर्देश

कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि यूपी में स्थिति की जानकारी है। वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए नेशनल हेल्थ मिशन, स्वास्थ्य विभाग और यूपी सैक्स मिलकर एनालिसिस और एडवाइज मांगी गई है। ताकि इस पर योजना बनाकर इसकी पहचान की जा सके और इलाज किया जा सके। डॉ। सारस्वत ने बताया कि जिन लोगों के शरीर में हेपेटाइटिस है, उनमें से 95 परसेंट को पता ही नहीं कि उन्हें यह बीमारी है।

यूपी में 15 लाख लोग चपेट में

संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। वी सारस्वत ने बताया कि यूपी में बहुत से हाट स्पाट चिन्हित किए गए हैं। जहां हेपेटाइटिस का संक्रमण अधिक है। उन्होंने बताया कि अनुमान के मुताबिक इंडिया में लगभग 87 लाख लोग हेपेटाइटिस सी की चपेट में हैं। वहीं हर साल लगभग दो लाख 88 हजार मरीजों में इसकी पुष्टि होती है। यही नहीं करीबन 15 लाख लोग यूपी में इस वायरस की चपेट में हैं। नेशनल डाटा के अनुसार .7 परसेंट लोग इंफेक्शन की चपेट में है। महंगे इलाज के कारण देश भर में 2014 में सिर्फ 15000 लोगों को ही इसका इलाज मिल सका है। अब यह बीमारी 85-90 परसेंट तक क्योरेबल हैं लेकिन महंगे इलाज के कारण अधिकतर मरीज इलाज करा ही नहीं पाते।

हिपेटाइटिस सी बढ़ा रहा गरीबी

कांफ्रेंस में डॉ। पुनीत मेहरोत्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस सी के इलाज में 86 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। पहले बीमारी के इलाज में 6 से 7 लाख रुपए का खर्च आता था लेकिन अब खाने की दवाएं मार्केट में उपलब्ध हैं, जिससे डेढ़ लाख रुपए तक में इलाज संभव है। लेकिन अभी भी यह बहुत महंगा है। महंगे इलाज के कारण लोग उधार लेते हैं और इसके कारण गरीबी में पहुंच जाते हैं।

बिना जरूरत लगाए जाते हैं इंजेक्शन

प्रो। सारस्वत ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक 1.8 अरब असुरक्षित इंजेक्शन लोगों को लगते है। जिसक कारण हिपेटाइटिस सी, बी एचआईवी का संक्रमण फैलता है। इनमें से 80 फीसदी इंजेक्शन बिना जरूरत के ही लोगों को ताकत, या दर्द से निजात के लिए लगा दिए जाते हैं। इनसे बचने की जरूरत है। इंजेक्शन लगवाते समय यह देखे कि सिरिंज आटो डिस्पोजेबुल ही है। इसका दुबारा यूज रोकना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा इंफेक्शन ब्लड ट्रांसफ्यूजन से होता है।

जरूरी जानकारी लें इन नंबरों पर

हिपेटाइटिस सी के लिए अब तक कोई वैक्सीन नहीं है। इसलिए सावधानी ही इसका बचाव है। सुरक्षित और मान्यता प्राप्त ब्लड बैंक से ही ब्लड लें। हमेशा डिस्पोजेबल सुई इस्तेमाल करें और सुरक्षित शारीरिक संबंध रखें। स्टरलाइज होने के बाद ही टैटू बनवाएं। अपनी सेविंग ब्लेड किसी के साथ शेयर न करें। गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। विवेक सारस्वत ने बताया कि पेट संबंधी परेशानी के इलाज के लिए मरीज 09236050481 पर एसएमएस और 0522-2494080, 2495009 पर सुबह 10 से शाम 4 बजे तक पर फोन करके सलाह ले सकते हैं। इन नम्बरों पर मेडिकल सोशल वर्कर और डॉक्टर मरीजों के सवालों का जवाब देने के लिए उपलब्ध रहते हैं।