लखनऊ (ब्यूरो)। रमजान का महीना चल रहा है, मुस्लिम समुदाय के लोग इस पूरे महीने कुरान की तिलावत और नमाज को समर्पित करते हैं। इस महीने लोगों की ख्वाहिश ज्यादा से ज्यादा नेकी कर सबाब कमाने की होती है, लेकिन अमूमन काम काजी लोगों के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है। किसी का रोजा प्रभावित होता है तो किसी का काम, लेकिन शहर में ऐसे युवा भी हैं, जो काम के साथ रोजे रख रहे हैं। उनका कहना है कि शेड्यूल में थोड़े बदलाव से काम के साथ इबादत भी चलती रहती है।

सुबह का काम मिडनाइट में शिफ्ट

शहाना बिलाल किदवई पेशे से प्रॉपराइटर हैं। उनका बेकिंग का काम है, जो ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी चलता है। वह कहती हैं कि रमजान की वजह से ब्रेड स्टफ की डिमांड बढ़ी है। ऐसे में काम भी बढ़ा है, लेकिन रमजान की वजह मैनेज कर रही हूं। अपना शेडयूल इस तरह बनाया है कि रात से लेकर सहरी के वक्त तक बेकिंग का काम करती हूं। उसके बाद सहरी खाकर नमाज व तिलावत करके सो जाती हूं। इसके बाद सुबह से जोहर के वक्त तक डेकोरेशन का काम पूरा कर लेती हूं। फिर जोहर से लेकर इशा तक तिलावत और घर के काम वगैरह होते हैं। इससे काम भी हो रहा है और इबादत भी चल रही है। घरवाले भी पूरा सपोर्ट कर रहे हैं।

-शहाना बिलाल किदवई

सोने के टाइम में कटौती

सरदार पटेल कॉलेज में पढ़ा रहीं फरहा शीबा खान होमसाइंस की असोसिएट प्रोफेसर हैं। वह बताती हैं कि सुबह सहरी करके कुरान पढ़कर सोने के बाद मैं सुबह 8 बजे से पहले कॉलेज के लिए निकल जाती हूं। इसके बाद घर आकर दो बजे फैमिली कोर्ट में काउंसलर की ड्यूटी करती हूं। पांच बजे आने के बाद इफ्तार की तैयारी करती हूं और इफ्तार करती हूं। मगरिब की नमाज से लेकर इशा की नमाज तक इबाइत करती हूं। कॉलेज की जो तैयारी करनी होती है उसे देर रात कर लेती हूं। शेड्यूल ऐसा रखती हूं कि मेरा सब काम और तिलावत होती रही। हां, बस नींद थोड़ी कम पूरी होती है।

-फरहा शीबा खान

डाइट चार्ट फॉलो कर रहा हूं

गोमतीनगर निवासी अमान एयरपोर्ट पर काम करते हैं। वह कहते हैं कि 8-10 घंटे की नौकरी होती है और उस दौरान रोजे भी रखता हूं। मैंने अपना डाइट चार्ट बनाया हुआ है। उसी के हिसाब से डाइट फॉलो करता हूं। सहरी में न्यूट्रिशनल खाना खाता हूं ताकि दिन भर एनर्जेटिक फील हो सके।

-अमान खान

काम पर रहता है पूरा फोकस

अमौसी एयरपोर्ट पर काम करने वाले यजाली कहते हैं कि रमजान में रोजे रखने के दौरान मैं काम पर पूरा फोकस करता हूं, इससे मुझे भूख का एहसास नहीं होता। काम पर फोकस करने से रोजे का वक्त भी पता नहीं चलता और मेरा दिन भी अच्छे से गुजर जाता है।

-यजाली