200 होल सेलर्स हैं राजधानी में

3 हजार से अधिक रिटेलर भी शहर में

1 करोड़ से अधिक की डिमांड डेली

- लॉकडाउन के बाद भी जरदोजी उद्योग में नहीं आएगी तेजी

LUCKNOW: दूल्हे की शेरवानी हो या फिर दुल्हन का लहंगा, सबकी खूबसूरती उसकी कढ़ाई बढ़ाती है और इसके पीछे मेहनत होती है जरदोजी का काम करने वालों की। कई दिन और कई रात की मेहनत के बाद वे एक पीस तैयार करते हैं। यही कारण है कि इसके दाम भी अधिक होते हैं। जरदोजी का काम मशीनों से भी किया जाने लगा है, जिसका खामियाजा हाथ से कढ़ाई करने वाले कारीगरों को उठाना पड़ रहा है, वहीं अब लॉकडाउन ने उनकी कमर ही तोड़कर रख दी है। इस कारोबार से जुड़े व्यापारियों को तगड़ा नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि शादियों का सीजन निकल रहा है और ईद भी लॉकडाउन में ही बीतेगी, ऐसे में इस उद्योग को अब सिर्फ वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट स्कीम से ही बचाया जा सकता है

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सरकार से उम्मीदें

- इसके कारीगरों की लिस्ट बनाई जाए, ताकि उनकी मदद हो सके।

- इसके व्यापारियों से सरकार माल खरीदे और इस कारोबार को प्रमोट करने के लिए इसे ओडीओपी योजना में लाए।

- अधिकतर व्यापारी इस काम को लोन लेकर करते हैं, उनका लोन माफ किया जाए।

- व्यापारियों को बिजली के फिक्स्ड चार्ज से आजाद किया जाए।

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सबसे बड़ी मार्केट दिल्ली

लखनऊ के जरदोजी की डिमांड पूरी दुनिया में है लेकिन इसकी सबसे बड़ी मार्केट दिल्ली है। वहीं मुंबई, कोलकाता और पंजाब में भी इसकी अच्छी डिमांड है। ये सभी जगहें कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हैं। ऐसे में वहां से भी जल्द इसकी डिमांड आने की संभावना नहीं है।

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एक्सपोर्ट रहेगा बंद

यहां की जरदोजी की दुबई, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, श्रीलंका आदि देशों में काफी डिमांड है। करोड़ों का माल वहां हर साल एक्सपोर्ट किया जाता है। कोरोना के चलते लंबे समय तक एक्सपोर्ट से होने वाली इनकम भी बंद रहने की आशंका है।

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कहां से आता है कपड़ा

इसके लिए कपड़ा बंगलुरु और सूरत से आता है। यह काम प्योर सिल्क, प्योर शिफान, प्योर क्रेप कपड़े पर होता है। लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई के कारीगर कपड़ा लेकर जाते हैं और माल तैयार करके लाते हैं।

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अब बदल रहा है ट्रेंड

सुई-धागे से होने वाली जरदोजी आसान नहीं है, इसका काम भी कम हो गया है। आरी जरदोजी का काम बढ़ रहा है। दिल्ली और सूरत में मशीनों से यह काम किया जा रहा है। अब महीन वर्क पसंद किया जा रहा है। इस समय सीप, मोती, स्टोन का काम भी हो रहा है।

बातचीत

लॉकडाउन के चलते इसके कारीगर पूरी तरह टूट जाएंगे और लखनवी जरदोजी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। कारीगरों को बचाने के लिए कोई खास स्कीम लानी होगी, तभी इस उद्योग को बचाया जा सकेगा।

उत्तम कपूर, व्यापारी

जरदोजी वर्क वाले जो आइटम बिकते थे, इस सीजन में वे लॉकडाउन की भेंट चढ़ गए। इसके कारीगर परेशान होकर घूम रहे हैं। पुश्तैनी धंधे से लोग किनारा कर रहे हैं। इसके कारीगरों की कमी होती जा रही है।

अनिल अरोरा, व्यापारी

कारीगरों की कमी से जरदोजी किए कपड़े महंगे होते जा रहे हैं। सरकार को ऐसी स्कीम लानी चाहिए कि लोग इस काम को न छोड़ें। लखनऊ की जरदोजी की पूरी दुनिया में डिमांड है।

कब्बन नवाब, व्यापारी

हमें जब काम करने के लिए कपड़ा नहीं मिलेगा तो हम इंब्राइडरी किस पर करेंगे। हमें कपड़ा दिया जाए और तैयार माल हमसे लिया जाए। लॉकडाउन में इस साल तो हुए नुकसान का असर अगले साल तक दिखेगा।

मो। जावेद, कारखाना जरदोजी, हुसैनाबाद