- एक साल पहले 210 बी को किया गया था ध्वस्त, हादसे में हुई थी चार लोगों की मौत

- एक बीतने पर भी कैंट क्षेत्र में कम नहीं हो सके अतिक्रमण

मेरठ। 210 बी आरआर मॉल हादसे को आज एक साल पूरा हो गया। बीते साल 9 जुलाई 2016 की सुबह 210 बी आरआर मॉल कैंट बोर्ड ने ध्वस्त कर दिया था। ध्वस्तीकरण के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी। जिस पर एक माह तक जमकर बवाल हुआ था। बावजूद इसके कैंट में अवैध निर्माण की स्थिति जस की तस बनी हुई है।

नहीं रूके अवैध निर्माण

210 बी आरआर मॉल ध्वस्त होने के हादसे के बाद भी कैंट में अवैध निर्माण नहीं रुके हैं। हालांकि कैंट बोर्ड ने 150 से अधिक नोटिस जारी किए। लेकिन अभी तक किसी भी अवैध निर्माण पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। हां इतना जरूर है कि छोटे अवैध निर्माण पर कैंट बोर्ड ने कार्रवाई की है।

यह है केस की स्थिति

210 बी मॉल ध्वस्त होने के बाद भी अभी तक केस कोर्ट में ही चल रहा है। इस केस में सीईओ समेत छह लोगों के खिलाफ हत्या के मामले एफआईआर दर्ज हुई थी। जिसमें से सीईई अनुज सिंह का जेल जाना पड़ा था। जबकि अन्य लोगों की गिरफ्तारी पर कोर्ट से स्टे हो गया था। अनुज सिंह को सस्पेंड कर दिया गया था। अभी तक उनकी बहाली नहीं हुई है। जांच अधिकारी ने इस मामले को हादसा करार दिया है।

वादे नहीं हुए पूरे

210 बी आरआर मॉल में पंडित नान वाले सहित चार लोगों को मौत हो गई थी। इस पर कैंट बोर्ड ने मृतकों के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और नौकरी देने का आश्वासन दिया था। परिजनों को मुआवजा तो मिल गया। लेकिन अभी तक किसी को नौकरी नहीं मिली है। वहीं पंडित जी नान वाले के भाई को सी लैंड पर एक दुकान की जमीन देने का वादा भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है। जबकि जमीन देने को लेकर बोर्ड में भी प्रस्ताव पारित हो गया था।

पूरी बिल्डिंग नहीं टूटी

आरआर मॉल का ऊपरी दो मंजिल तो कैंट बोर्ड ने ध्वस्त कर दी थी। लेकिन नीचे बनी दुकान अभी जस की तस बनी हुई है। अभी कैंट बोर्ड ने उनको तोड़ा नहीं है। वहीं, कैंट बोर्ड की सीईओ राजीव श्रीवास्तव से जब संबंध में बात करने की कोशिश की गई। तो उनसे बात नहीं हो पाई।

मृतकों को मुआवजा दे दिया गया था। परिजन की किसी सदस्य को नौकरी देने का प्रस्ताव भी बोर्ड ने मंजूर कर लिया था। इस बार दोबारा से इस मामले का बोर्ड में उठाया जाएगा। जो भी मदद होगी वह की जाएगी।

बीना वाधवा, उपाध्यक्ष कैंट बोर्ड

एक माह पहले सीईओ से इस संबंध में बात हुई थी। उन्होंने बताया था कि परिजन नौकरी की जगह दुकान देने की मांग कर रहे हैं। परिजनों को जहां भी मदद चाहिए उनकी पूरी मदद की जाएगी।

राजेंद्र अग्रवाल, सांसद