- एमडीए से आरटीआई के जवाब में हुआ खुलासा

- सिटी के चार स्कूलों और दो नर्सिग होम लगे हुए मोबाइल टॉवर

i exclusive

sharma.saurabh@inext.co.in

Meerut : मेरठ की ऊंची इमारतों में लगे हुए 268 मोबाइल टॉवर पूरी तरह से अवैध हैं। इनमें से 6 मोबाइल टॉवर तो एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस और नर्सिग होम्स में लगे हुए हैं। ये सब बातें एमडीए ने आरटीआई एक्टीविस्ट नरेश अग्रवाल द्वारा डाली गई आरटीआई के जवाब में बताई। जब एमडीए के अधिकारियों से हवा में खड़े इलीगल मोबाइल टॉवरों के बारे में पूछा तो साफ कहा कि एमडीए में बिल्डिंग के ऊपर मोबाइल टॉवर लगाने को लेकर कोई रूल और रेगुलेशन नहीं है। ताज्जुब की बात तो ये है कि एमडी की बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बाईलॉज-2008 चैप्टर नंबर 12 में मोबाइल टॉवर की परमीशन को लेकर कंप्लीट गाइडलाइंस दी हुई हैं।

लेनी होती है एनओसी

अधिकारियों की मानें तो सिटी में 268 मोबाइल टॉवर पूरी तरह से इलीगल हैं। एमडीए की ओर से इन्हें कोई परमीशन नहीं दी गई है। वहीं अधिकारियों ने ये भी बताया कि बिल्डिंग पर मोबाइल टॉवर लगाने से पहले आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चर इंजीनियर से 'स्ट्रक्चरल सेफ्टी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' लेना होता है। आर्किटेक्ट और स्ट्रक्चर इंजीनियर काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से इनरोल होना चाहिए। जबकि मेरठ में अधिकतर टॉवर अवैध इमारतों पर खड़े हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खिलाफी

ताज्जुब की बात तो ये है कि मोबाइल टॉवर लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों की खिलाफी हो रही है। आरटीआई एक्टीविस्ट नरेश अग्रवाल ने बताया कि मेरठ में स्कूलों और नर्सिग होम पर भी मोबाइल टॉवर लगे हुए हैं। आंकड़ों पर बात करें तो चार स्कूल बिल्डिंग और दो नर्सिग होम्स की बिल्डिंग में मोबाइल टॉवर लगे हुए हैं।

एमडीए के झूठे दावे

जब एमडीए के वीसी राजेश कुमार यादव से पिछले 6 महीनों में इलीगल टॉवर पर कार्रवाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अवैध मोबाइल टॉवर को चेक करने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। फिर भी हमने पिछले छह महीनों में 100 मोबाइल टॉवर को हटाने का दावा किया है। उन्होंने आगे कहा कि जब भी उनके पास कोई कंप्लेन आती है तो उस पर कार्रवाई की जाती है। जब इस बारे में एडीशनल सेकेट्री बैजनाथ इस बारे में पूछा गया तो काफी चौंकाने वाली बात बताई। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में एमडीए की ओर से सिर्फ 3 मोबाइल टॉवर्स को सील किया है। मोबाइल टॉवर हटाया नहीं गया है। जब न हटाने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे पास इतनी बड़ी क्रेन नहीं है कि मोबाइल टॉवर को हटाया जा सके।

आखिर क्या कहता है नगर निगम?

वहीं नगर निगम के अधिकारियों का कुछ ही अलग ही कहना है। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार वो किसी तरह के मोबाइल टॉवर को परमीशन नहीं देते हैं। हमारी ओर से सिर्फ उन्हीं टॉवर को परमीशन दी जाती है जो नगर निगम की जमीन पर लगाने के अप्लाई करता है। ताज्जुब की बात तो ये है कि नगर निगम आज तक उनकी लैंड पर लगे मोबाइल टॉवर्स को नहीं हटा सका है।

प्रशासन की अपनी मजबूरी

वहीं डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की के पास भी इलीगल टॉवर की शिकायतें आती हैं। एडीएम सिटी कार्यालय के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले छह महीने में 15 शिकायतें पहुंच चुकी हैं। कर्मचारियों की मानें तो कुछ शिकायतें तो एडीएम सिटी सीधे पुलिस, एमडीए और नगर निगम को रेफर कर देते हैं। फाइल तक भी नहीं पहुंच पाती है। वहीं एडीम सिटी आशुतोष मोहन का कहना है कि मेरे पास जो भी शिकायत आती है उस एक्शन कराता हूं। बकायदा उसे फॉलो भी करता हूं।

वर्जन

मेरे पास अक्सर इलीगल मोबाइल टॉवर लगाने कों लेकर शिकायत आती रहती है। इन शिकायतों को मैं संबंधित विभाग और पुलिस को रेफर कर देता हूं। साथ ही कार्रवाई को लेकर फॉलोअप भी देता हूं।

- आशुतोष मोहन अग्निहोत्री, एडीएम सिटी

पिछले छह महीनों में हमने कई मोबाइल टॉवर हटाए हैं। वहीं हमारे पास जो भी शिकायत आती है उन पर एक्शन लिया जाता है। किसी को छोड़ा नहीं जाता है।

- राजेश कुमार, वीसी एमडीए

हम किसी भी पर्टिकुलर बिल्डिंग पर मोबाइल टॉवर लगाने के लिए परमीशन नहीं देते हैं। हमारी ओर से उन्हीं लोगों को परमीशन दी जाती है जो नगर निगम की लैंड पर टॉवर लगाने के लिए अप्लाई करता है।

- कुलभूषण वा‌र्ष्णेय, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

एमडीए की ओर से आए जवाब में एमडीए ने 268 मोबाइल टॉवर्स इलीगल बताए हैं। जिनमें से 4 स्कूलों में लगे हुए हैं। वहीं 2 टॉवर नर्सिग होम लगे हुए हैं। जोकि काफी खतरनाक हैं।

- नरेश अग्रवाल, आरटीआई एक्टिविस्ट