मेरठ (ब्यूरो)। भैंसाली मैदान में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा चल रही है, जो 12 जुलाई तक चलेगी। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज भागवत कथा का वाचन कर रहे हैं। मंगलवार को कथा के दौरान अनिरुद्धाचार्य महाराज ने बताया कि स्त्रियों को खाली जमीन पर कभी नहीं लेटना चाहिए। उन्होंने कहा कि दंडवत प्रणाम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पृथ्वी डगमगाने लगती है, इसलिए स्त्रियों को घुटनों को जमीन पर व माथा जमीन पर रखकर प्रणाम करना चाहिए।

गोवर्धन महाराज की कथा सुनाई
इसके बाद उन्होंने गोवर्धन महाराज की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान ने गोर्वधन उठाया सबको पता है। क्यों उठाया इसका रहस्य बताया। उन्होंने बताया कि भगवान ने पहाड़ उठाकर समाज को शिक्षा दी कि आप अपने प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखिएगा। उन्होंने हिमाचल व कुल्लू मनाली जैसे एरिया में हो रही बारिश से तबाही की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज सुना है हिमाचल में कुल्लू मनाली में इतना पानी आया कि घर बह गए, ब्रिज बह गए। जानते हो क्यों, क्योंकि उन पहाड़ों का आपने दोहन कर लिया है। पहाड़ों में आपने घर होटल बना लिए, आपने नदियों के किनारे अतिक्रमण कर लिया कब्जा कर लिया। आपकी इच्छाएं इतनी होती है की आपका बस चले तो सब जगह कब्जा कर लो। तो देखो प्रकृति कहीं न कहीं तो अपना रास्ता निकालेगी। इसलिए भगवान ने गोवर्धन उठाकर मैसेज दिया कि ये पहाड़ व वृक्ष तुम्हारे रक्षक हैं। उन्होंने कहा कि विकास करने के चक्कर में प्रकृति न उजड़ जाए इसकी चिंता भी करना। इंसान को प्रकृति से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।

भगवान ने कपड़े क्यों चुराए
महाराज ने कहा कि मैं कथा का सार सुनाऊंगा, कथा से जो मैसेज मिलना है वो बताऊंगा, भगवान ने कपड़े चुराए ये तो सबको पता है पर कपड़े क्यों चुराए ये किसी को नहीं पता। यहीं सार मैं आपको बताऊंगा। क्योंकि गोपियां निर्वस्त्र नहा रही थी। वो भी पब्लिक प्लेस में अर्थात नदी में। भगवान को लगा ये बड़ा गलत है तो उन्होंने कपड़े चुरा लिए। गोपियों ने पूछा आपने कपड़े क्यों चुराए। तो भगवान ने कहा कि आप सब गलत कर रही थी। महाराज ने कहानी सुनाते हुए कहा कि भगवान का कपड़े चुराने का उद्देश्य था कि गोपियों को शिक्षा देना। क्योंकि ये मर्यादा के अनुकुल नहीं है। भगवान तो भगवान है, उनकी हर बात में शिक्षा या संदेश होता है। उद्द्ेश्य होता है। भगवान ने जो लीलाएं की उन लीलाओं के पीछे समाज को मैसेज है। आप अपने घर पर भी स्नान के समय निर्वस्त्र न होंं, क्योंकि निर्वस्त्र होकर स्नान करने से लक्ष्मी की हानि होती है। चाहे स्त्री हो या पुरुष शरीर में वस्त्र होना चाहिए। निर्वस्त्र होकर स्नान करने से वरुण देवता और लक्ष्मी जी नाराज होती है। निर्वस्त्र होकर जानवर चलते है, निर्वस्त्र होकर खड़ा होना भी अपराध है। अंत में सभी ने राधे कृष्णा के नाम का जाप किया।