अब तक पांच प्रतिशत ही बिल्डरों ने लिया था सर्टिफिकेट

तमाम प्रयासों के बाद एक प्रतिशत बढ़े सर्टिफिकेट लेने वाले

Meerut शहर में सुनियोजित विकास का दावा करने वाला एमडीए खुद ही अवैध निर्माण की बेल को सींचने में लगा है। नतीजा, शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है। एमडीए से संबद्ध 94 प्रतिशत इमारतों को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है।

क्या है कंप्लीशन सर्टिफिकेट

दरअसल, कोई भी निर्माण करने से पूर्व निर्माणकर्ता को मेरठ विकास प्राधिकरण से नक्शा स्वीकृत कराना होता है। इसी नक्शे के माध्यम से एमडीए संबंधित बिल्डिंग का स्ट्रक्चर तय करता है। संबंधित निर्माण पूर्ण होने के बाद निर्माणकर्ता को एमडीए से उस निर्माण का कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है। जब निर्माणकर्ता एमडीए में कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करता है तो प्राधिकरण की एक टीम संबंधित निर्माण को स्वीकृत नक्शे की कसौटी पर कसती है। यदि निर्माण नक्शे के मुताबिक पाया जाता है तो निर्माणकर्ता को कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। निर्माण में यदि 10 प्रतिशत से अधिक बदलाव पाया जाता है तो उस निर्माण को अवैध करार दिया जाता है।

94 प्रतिशत निर्माण अधूरे

एमडीए की मानें तो शहर में 95 प्रतिशत निर्माणों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किए गए हैं। जबकि खुद एमडीए के प्रयासों से यह स्तर 96 प्रतिशत तक बढ़ा है। शहर स्थित कई मॉल्स व बड़े-बड़े कॉंप्लेक्सेस को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है। इस लिए इन निर्माणों को अभी तक वैधता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।

कॉलोनियां भी बेहाल

वर्तमान में एमडीए से संबंद्ध 57 कॉलोनियां हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है इन कॉलोनियों में से भी केवल 4 कॉलोनी के पास ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट हैं। खुद एमडीए की कॉलोनियों का यह हाल है तो अन्य निर्माणों का हाल क्या होगा इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

सर्टिफिकेट की आड़ में खेल

कंप्लीशन सर्टिफिकेट की आड़ में बिल्डर और एमडीए अधिकारी बड़ा खेल करने में लगे हैं। कंप्लीशन सर्टिफिकेट न लेने की सबसे बड़ी वजह नक्शे के मुताबिक निर्माण का न होना है। दरअसल, बिल्डर एमडीए से नक्शा तो स्वीकृत करा लेता है, लेकिन नक्शे की आड़ में मनचाहा निर्माण कराता है। यहां तक कि एमडीए और नक्शे के सारे नियम कायदे ताक पर रख दिए जाते हैं। यह खेल बिल्डर अकेले नहीं बल्कि एमडीए अफसरों की मदद से खेलता है। निर्माण के बाद बिल्डर न तो कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करता है और न ही एमडीए उक्त भवन का निरीक्षण करना मुनासिब समझता है।

जनता को नुकसान

कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिना कोई भी कॉलोनी अपूर्ण ही मानी जाती है। यही कारण है कि नगर निगम ऐसी कॉलोनियों को टेक ओवर नहीं कर पाता। जिसका परिणाम यह निकलता है कि इन कॉलोनियों का ठीक से रखरखाव नहीं हो पाता। और यहां हमेशा बिजली, पानी व सड़कों आदि की समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं।

जनता हो जाए जागरुक

एमडीए के पूर्व चीफ टाउन प्लानर यशपाल सिंह ने बताया कि किसी भी एमडीए स्वीकृत कॉलोनी में फ्लैट लेने से पूर्व उसकी बारीकी से छानबीन आवश्यक है। कस्टमर को चाहिए कि वो खुद जाकर एमडीए में संबंधित कॉलोनी की जांच करे। पता लगाए कि वो कॉलोनी स्वीकृत है भी या नहीं। यदि है तो क्या उसने कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट अनिवार्य है। इसके लिए एक अलग से अभियान शुरू किया जाएगा। जो बिल्डर कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं करेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।

-राजेश कुमार, वीसी एमडीए