नहीं होने दिया जाएगा पश्चिमांचल का निजीकरण

कर्मचारी संघ, जूनियर इंजीनियर संघ व संविदा कर्मचारियों की बैठक में लिया गया निर्णय

Meerut। बिजली निजीकरण की घोषणा के बाद से ही पूरे पश्चिमांचल में विरोध के स्वर उठने लगे हैं। सोमवार को बिजली विभाग से जुडे सभी कर्मचारी संघों ने अलग-अलग बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि एक ही बैनर तले बिजली के निजीकरण का विरोध किया जाएगा। किसी भी हाल में पश्चिमांचल का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। इसे लेकर सभी यूनियन 27 मार्च को कार्य वहिष्कार भी करेंगी।

पहले भी हुआ विरोध

मेरठ की बिजली को निजी कंपनी के हाथों में देने की योजना चार साल पहले तत्कालीन सपा सरकार लाई थी। हालांकि विरोध देखते हुए सपा सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया था। प्रदेश में योगी सरकार आते ही फिर से मेरठ की बिजली को निजी हाथों में देने की योजना बन रही है।

15 साल पहले

15 साल पहले यानि 2003 में पीवीवीएनएल को स्थापित किया गया था। इसको स्थापित करने के बाद पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को 25 साल तक चलाने की बात हुई थी। लेकिन अब इसको निजी कंपनी को सौंपने की तैयारी चल रही है।

------------------------

पश्चिमांचल का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। एक ही बैनर तले इसका विरोध करेंगे।

भूपेंद्र सिंह, निविदा संविदा कर्मचारी समिति

उच्च अधिकारियों से मुलाकात कर शासन तक अपनी बात पहुंचाई जाएगी। यदि सरकार हमारी मांग को नहीं मानती है तो निजीकरण का विरोध किया जाएगा।

साहब सिंह, अध्यक्ष, जूनियर इंजीनियर संघ, मेरठ