एक बच्चे पर चार हजार
सीबीएसई स्कूलों में इन दिनों नर्सरी क्लास के एडमिशन के रजिस्ट्रेशन चल रहे हैैं। कहीं 300 रुपए रजिस्ट्रेशन फीस तो कहीं 500 रुपए. अभिभावक भी अच्छे से अच्छे स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए कम से कम तीन या चार स्कूल का रजिस्टे्रशन फॉर्म खरीदते हैं। स्कूलों में उपलब्ध सीट्स को लेकर पेरेंट्स टेंशन में हैैं। अगर रजिस्टे्रशन खर्च की बात की जाए तो एक बच्चे के रजिस्टे्रशन में तीन या चार हजार रुपए खर्च होना बेहद मामूली बात है।
फायदे का सौदा
एक स्कूल में नर्सरी या फर्स्ट की जितनी सीटें हैं, उससे कहीं ज्यादा रजिस्ट्रेशन फॉर्म सेल किए जा रहे हैैं। वहीं पेरेंट्स भी एक बच्चे के लिए तीन या चार स्कूलों में रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। इस कॉम्पटीशन में स्कूलों को फायदा हो रहा है तो पेरेंट्स को नुकसान हो रहा है।
सीट्स कम, दावेदार ज्यादा
नर्सरी क्लास के लिए ट्रांसलेम स्कूल में 60, आईपीएस में 48, डीपीएस में 70, जीटीबी में 60 सीट, एमपीएस 60, एमपीजीएस में 60, फस्र्ट क्लास के लिए दीवान पब्लिक स्कूल में 50 सीट्स उपलब्ध हैं।
शनिवार तक बिके रजिस्ट्रेशन फार्म
स्कूल - फॉर्म फी - सेल हुए फॉर्म - इनकम
सिटी वोकेशनल -100 रु। - 1000 - 1,00,000 रु।
सेंट जोंस -200/250रु - 400 -1,00,000 रु।
आईपीएस - 200-250रु। - 200 - 50,000 रु।
ऑल एमपीएस -600रु. - 6000-3,60,000रु।
दीवान स्कूल - 300रु। - 1000-3,00,000 रु।
जीटीबी - 500रु। -500-2,50,000रु।
ऋषभ -50 रु. - 1000-50,000रु।
डीपीएस -500 रु.-1000-5,00,000 रु।
सेंट मैरी-500 रु.-2500-12,50,000रु।
ट्रांसलेम-600 रु.-1000 रु.-6,00,000रु।
"बेटी के एडमिशन का फस्र्ट क्लास में करवाना है। एक हफ्ते से स्कूलों में ही चक्कर लग रहे हैं। दीवान, एमपीजीएस दोनों के ही फार्म लिए है। अभी तक स्कूलों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। काफी परेशानी हो रहीं है."
-गोविंद, कंकरखेड़ा
"हापुड़ रोड से रोज-रोज आने में किराए-भाड़े का खर्च। ऊपर से तीन से चार स्कूलों के फार्म खरीदने में ही तीन हजार रुपये खर्च हो चुके है। उसके बाद भी पता नहीं एडमिशन होगा या नहीं."
-रहमान, अभिभावक
"एडमिशन के लिए रजिस्टे्रशन तो जरुरी होता ही है। स्कूल चैरीटेबल होते हैं। इनका इनकम टैक्स या सेल टैक्स से कोई सरोकार नहीं है."
-डॉ। पूनम देवदत्त, सीबीएसई काउंसलर
"अगर स्कूल में ड्रेस, डायरी, नोट बुक, सोवनियर, स्टेशनरी आदि की सेल हो रही है तो पांच प्रतिशत सेलटैक्स बनता है। बावजूद इसके स्कूल नॉन प्रोफेशनल होने का दावा कर टैक्स से बच जाते हैं."
-संजीव गोयल, सेलटैक्स वकील
"किसी भी प्राइवेट इंस्टीïट्यूट को कायदे से 2.5 प्रतिशत इनकम टैक्स अदा करना चाहिए, लेकिन स्कूल चैरीटेबल होने के कारण टैक्स के दायरे में नहीं आते."
- नूतन शर्मा, इनकम टैक्स कमिश्नर
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