- बीएससी एग्रीकल्चर में कुलपति कांस्य पदक जीते वाले छविकांत के पिता हैं यूनिवर्सिटी में संविदा कर्मचारी

- आकांक्षा ने नहीं ली पिता से सीख, डॉक्टर बनने की जगह लिया एग्रीकल्चर सब्जेक्ट, अब आईआईटी खड़गपुर में कर रही हैं एमटेक

Meerut : एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में पदक जीतने वालों ने अपने पेरेंट्स का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। छविकांत की बात करें तो इसी यूनिवर्सिटी में उनके पिता डेलीवेज के कर्मचारी हैं। पिछले एक महीने से अपनी मांगों को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ लड़ रहे हैं। वहीं बरेली की आकांक्षा मिश्रा ने अपनी फैमिली से अलग हटकर स्ट्रीम को चुना। आइए जानते हैं इस सभी के बारे में

कुछ नया करने की इच्छा थी

ये एक अपकमिंग फील्ड है। फ्यूचर में इसका काफी स्कोप है। साथ ही कुछ नया भी करना था। इसलिए इस सब्जेक्ट को चुना। अब करनाल से एमटेक कर रही हूं। ये मेरे लिए काफी गर्व की बात है कि मुझे कुलपति और कुलाधिपति के लिए चुना गया।

- ज्योति गहलोत, बायोटेक, कुलपति एवं कुलाधिपति गोल्ड मेडलिस्ट

गोल्ड से चूकने का नहीं है गम

मेरे पास प्लस टू में भी यही सब्जेक्ट था। इसलिए बायोटेक को चुना। इसलिए फैमिली ने भी काफी सपोर्ट किया। इसी सब्जेक्ट में अब मैं आईआईटी खड़गपुर से एमटेक भी कर रही हूं। मुझे इस बात का गम नहीं है कि मैं गोल्ड से चूक गई। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं जो करना चाहती थी वो कर रही हूं।

- जूही वर्मा, बायोटेक, कुलपति सिल्वर मेडलिस्ट

इससे बेहतर कोई और सब्जेक्ट नहीं

मुझे इससे बेहतर कोई सब्जेक्ट नहीं लगा। इसलिए चुना। घर से कोई प्रेशर नहीं था। इसलिए आज टॉपर की गिनती में हूं। अब मैं एनडीआरआई से एनिमल बायोटेक से एमटेक कर रही हूं।

- अमीना अंबरीन, कुलपति ब्रांज मेडल

पिता ने नहीं नाना जी ने प्रेरित किया

एग्रीकल्चर से पढ़ाई करने के लिए मुझे मेरे पिता ने नहीं बल्कि नानाजी और मामाजी ने प्रेरित किया। पापा डॉक्टर थे, लेकिन मुझे डॉक्टर नहीं बनना था। आज गोल्ड मेडल पाकर मेरे पापा और सभी खुश हैं।

- आकांक्षा सिंह, बीएससी एग्री, कुलपति गोल्ड मेडलिस्ट

लड़कियां कम हैं इसलिए इसे चुना

मेडिकल और इंजीनियरिंग की फील्ड में तो सभी जाते हैं, लेकिन एग्रीकल्चर के फील्ड में काफी कम लोग हैं। खासकर लड़कियां। इसलिए मैंने इस फील्ड को चुना। अगर आप में स्किल है तो आप किसी भी फील्ड में नाम कमा सकते हैं।

- वत्सा मिश्रा, बीएससी एग्री, कुलपति सिल्वर मेडलिस्ट

क्योंकि इसमें भी है देश सेवा

अपने देश की सेवा करने के लिए लोग फौज में जाते हैं। पुलिस में भर्ती होते हैं, लेकिन मेरे फादर ने मुझे एग्रीकल्चर में पढ़ाई करने को कहा। आज मुझे मेडल मिला। मेरे फादर इसी यूनिवर्सिटी में डेली वेज में काम करते हैं। उनका सिर गर्व से ऊंचा है।

- छविकांत, बीएससी एग्री, कुलपति सिल्वर मेडलिसट