मेरठ (ब्यूरो)। आज से करीब सवा साल पहले मेडिकल कॉलेज में पांच करोड़ से ज्यादा की लागत से बनी बर्न यूनिट की उद्घाटन बीते वर्ष मई में सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था। मेडिकल कॉलेज द्वारा ये दावा किया गया था कि अब मेरठ और आसपास के गंभीर रूप से जले हुए मरीजों का इलाज मेडिकल कालेज में ही किया जाएगा। मगर आंकड़ों पर गौर करें तो सामान्य तौर हर माह मेडिकल कॉलेज में आने वाले 25 से 35 गंभीर जले हुए मरीजों को यहां आज भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण ये है कि बर्न यूनिट में मरीजों को मिलने वाली ऑक्सीजन की पाइपलाइन आज तक कनेक्ट नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं, कई प्रमुख इक्यूपमेंट भी अभी तक बर्न यूनिट में स्थापित ही नहीं हो पाए हैं। ऐसे में बिना बर्न केस को दिल्ली रेफर किया जा रहा है।

ये थी पूरी प्लानिंग
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में आने वाले गंभीर जले हुए मरीजों को दिल्ली रेफर किया जाता है। इस समस्या को देखते हुए करीब पांच करोड़ से अधिक बजट से साल 2021 में नवंबर माह में बर्न यूनिट में में पांच बेड का आईसीयू तैयार किया गया था। इसके साथ ही 20 बेड का जनरल वार्ड भी तैयार किया गया था। योजना के अनुसार इस बर्न यूनिट में सर्जन और अन्य स्टाफ भी रखा जाना था। इसके अलावा बर्न यूनिट को पूरी तरह बैक्टीरिया फ्र बनाया जाना था। ताकि यहां आने वाले मरीजों को किसी प्रकार का इंफ्ेक्शन ना हो। इस बर्न यूनिट में एसिड अटैक पीडि़ताओं के लिए भी खास व्यवस्थाओं का दावा किया गया था।

करीब 30 लाख का खर्च
उद्घाटन के करीब सवा साल बाद भी इस बर्न यूनिट की इमारत में मरीजों के लिए ओपीडी रूम तैयार है इतना ही नहीं, कमरों में बेड भी बिछा दिए गए हैं। मगर यहां भर्ती होने वाले मरीजों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी ऑक्सीजन पाइप लाइन की व्यवस्था अभी तक नहीं की गई है। इस व्यवस्था में करीब 30 लाख का खर्च आना है।

फैक्ट्स एक नजर में
मेडिकल कॉलेज में सामान्य तौर पर हर माह 25 से 35 गंभीर जले हुए मरीज आते हैं।
हर साल ये आंकड़ा 300 से 400 के बीच रहता है।
कम जले हुए मरीजों को अभी पुराने बर्न वार्ड में भर्ती कर लिया जाता है।
गंभीर रुप से जले हुए मरीजों को दिल्ली रेफर करना पड़ता है।
बर्न यूनिट का लोकार्पण 10 मई 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था।
इस बर्न यूनिट में पांच बेड की आईसीयू है और 20 बेड का जनरल वार्ड है।
अभी तक बर्न यूनिट में उपकरण और स्टाफ ही नहीं है।
बर्न यूनिट में मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन सप्लाई के लिए पाइपलाइन की व्यवस्था अधर में।
ऑक्सीजन पाइप लाइन के लिए करीब 30 लाख रुपये का खर्च आएगा।

बर्न यूनिट के नाम पर केवल इमारत खड़ी कर दी है। केवल निजी हॉस्पिटल ही मरीजों के लिए सहारा बने हुए हैं।
कल्पना

सरकारी अस्पतालों में अधिकतर गरीब मरीज ही इलाज के लिए जाते हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि स्वास्थ्य संबंधित सुविधाओं को समय से पूरा किया जाए।
रविंद्र

सुपर स्पेशियलिटी, इमरजेंसी, बर्न यूनिट के नाम पर केवल इमारतें खड़ी की जा रही है। इनमें न स्टाफ है और न ही सुविधाएं उपलब्ध हैं।
मनीष

शासन से ऑक्सीजन पाइपलाइन के लिए पत्राचार चल रहा है। साथ ही स्टाफ और अन्य सुविधाओं की पूर्ति जल्द की जाएगी। हालांकि अभी भी कुछ मरीजों को भर्ती करने की व्यवस्था है।
आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज