गोरखपुर (ब्यूरो)। डॉक्टर्स के लिए भी यह रिसर्च का विषय बन गया है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति विभाग में महिलाओं पर हुए स्टडी में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

अच्छी डाइड्स से दुष्परिणाम

अच्छी डाइट्स से दूरी का दुष्पपरिणाम अत्यधिक ब्लीडिंग की कमी के रूप में सामने आई हैं। इसकी मुख्य वजह 15 वर्ष से ही सीवियर एनीमिया से ग्रसित गर्भवतियों की संख्या बढ़ी और अधिकतर प्रसव के बाद ब्लीडिंग की शिकार हुई है। इससे होने वाली मौतों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। साथ ही प्लेसेंटा प्रीविया, एंटीपार्टम हैमरेज के पेशेंट्स की संख्या में भी वृद्धि देखी गई हैं।

21 हजार गर्भवतियों पर स्टडी

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग की एचओडी डॉ। रूमा सरकार के निर्देश में डॉ। अंजली गुप्ता ने 2006-2008 तथा 2021-2023 के बीच मेडिकल कॉलेज में एडमिट 21 हजार गर्भवतियों की बीमारियों पर स्टडी किया। इसमें 2006 से 2008 के दौरान 8500 और 2021 से 2023 के बीच 12500 गर्भवतियां एडमिट हुई थीं। इसमें गर्भपात, प्रसव के दौरान इंफेक्शन, बच्चेदानी के फटने व झटका आने वालों संख्या में कमी पाई गई।

दवाओं से डाइट्स की पूर्ति

स्टडी में शामिल डॉक्टर्स का मानना है कि गर्भवती महिलाएं डाइट्स की पूर्ति दवाओं से कर रही हैं, लेकिन खान-पान से मिलने वाली पौष्टिक आहर के मुकाबले वह कम हैं। ये डाइट्स की जगह फास्ट फूड व जंक फूड का ज्यादा सेवन किया जा रहा है। जो हानिकारक हैं। 15 वर्षो में जो बीमारियां बढ़ी हैं। उसके लिए अधूरा खान-पान और लाइफस्टाइल भी काफी जिम्मेदार हैं।

पेशेंट्स की बढ़ती और घटती संख्या, मृत्यु दर में कमी

बीमारी 2006-08 मौत 2021-23 मौत

अत्यधिक ब्लड की कमी 160 23 519 15

प्रसव के दौरान ब्लीडिंग 56 19 250 21

28 सप्ताह बाद ब्लीडिंग 108 08 210 21

गलत तरीके से गर्भपात 107 22 21 10

प्रसव के दौरान इंफेक्शन 48 07 13 04

बच्चेदानी का फट जाना 72 09 23 02

झटके आना 240 42 224 33

ऐसे समझे एनीमिया का स्तर

महिलाओं में

= 12 से 17 ग्राम एचबी-स्वस्थ्य

-10 से 12 ग्राम एचबी-माइल्ड एनीमिया

-7 से 10 ग्राम एचबी-मॉड्रेट एनीमिया

-7 ग्राम से नीचे एचबी-सीवियर एनीमिया

प्रसव के दौरान ब्लीडिंग का एक कारण अत्यधिक ब्लड की कमी भी है। रक्त की कमी की वजह से प्रसव के बाद बच्चेदानी संकुचित नहीं हो पाती, इसलिए ब्लीडिंग होती है। इससे बचने के लिए हर गर्भवती को उचित डाइट्स पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

डॉ। रूमा सरकार, एचओडी, स्त्री व प्रसूति रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज