- बढ़ती जनसंख्या के कारण बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हो रही पूरी
- शासन और प्रशासन की ओर से नहीं हो रहे सार्थक प्रयास
मेरठ। जिस हिसाब से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है। उस हिसाब से शहर में संसाधन नहीं बढ़ रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि बुनियादी सुविधाएं कम हो रही है। जनसंख्या नियंत्रण की ओर खास पहल नहीं की जा रही है जिसका असर सुविधाओं पर दिखाई दे रहा है।
यह है स्थिति
2001 में जनसंख्या- 29,97,361
पुरूषों की संख्या- 16,01,578
महिलाओं की संख्या- 13,95,783
2011 में जनसंख्या- 34,43,689
पुरूषों की संख्या- 18,25,743
महिलाओं की संख्या- 16,17,946
लिंगानुपात- 886
बच्चों की संख्या 0 से 6 वर्ष- 5,03,719
औसत शैक्षिक दर- 72.84
यह सभी आंकड़े सेंसेस 2011 से लिए गए हैं।
- 2.75 लाख उपभोक्ता हैं बिजली के उपभोक्ता
- 1900 मिलियन यूनिट की सालाना आवश्यकता है।
- 1560 मिलियन यूनिट महज मिल रही है।
- 135 लीटर पानी चाहिए प्रति व्यक्ति मिलना चाहिए।
- 125 लीटर प्रति व्यक्ति ही पानी की उपलब्धता है।
-25वां स्थान है प्रदेश में जनसंख्या के हिसाब से
- 45वां स्थान है लिंगानुपात में प्रदेश में
- 13 वां स्थान है साक्षरता के दृष्टिकोण से
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धर्मगुरू देंगे संदेश
उत्तर प्रदेश की प्रजनन दर 2.7 के मुकाबले मेरठ की प्रजनन दर 3.1 है। स्थिति चिंताजनक है। इसको नियंत्रित करने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग धर्मगुरुओं के जरिए लोगों को बढ़ती जनसख्या के नुकसान और इसको रोकने के बारे में बताएगा। 11 जुलाई से 25 जुलाई से चलने वाले जनसंख्या पखवाड़ा के दूसरे चरण के तहत विभाग जनपद और ब्लॉक स्तर पर जागरूकता फैलाने के लिए यह कदम उठाने जा रहा है। इसके अलावा विभाग ब्लॉक स्तरीय रैली, मेला आयोजन, प्रदर्शनी व परिवार नियोजन मेला कैंप के जरिए भी लोगों को जागरूक करेगा।
24 जुलाई को सम्मेलन
जनसंख्या पखवाड़ा के तहत 24 जुलाई को सीएमओ ऑफिस में धर्मगुरुओं का सम्मेलन करवाया जाएगा। जिसमें अलग-अलग समुदाय के धर्मगुरु हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में एक्सपर्ट इस बारे में धर्मगुरुओं को सभी जानकारी प्रदान करेंगे जिसके बाद सभी धर्मगुरु जनसंख्या नियंत्रण के बारे में लोगों के बीच प्रचार-प्रसार करेंगे।
वर्जन
जनसख्या पखवाड़ा के तहत अलग-अलग प्रोग्राम करवाकर लोगों को जनसंख्या स्थिरता के लिए जनजागरूकता के लिए सभी कार्यक्रम करवाएं जा रहे हैं।
राज कुमार चौधरी, सीएमओ