मेरठ ब्यूरो। बोर्ड एग्जाम की डेट नजदीक आ रही है। ऐसे स्टूडेंट्स की टेंशन बढ़ रही है। यही नहीं, स्टूडेंट्स को कई तरह की बीमारियों से भी दो चार होना पड़ रहा है। एक्सपर्ट के मुताबिक इन दिनों बच्चों को नींद न आना, स्ट्रेस और डिप्रेशन की जैसी दिक्कतें आ रही है। इसका एक कारण ये भी है कि स्टूडेंट्स फास्ट फूड ज्यादा खाते हैं, इससे उनकी बॉडी का केमिकल बैलेंस बिगड़ रहा है। इस कारण ऐसी प्रॉब्लम आ रही है। अब हालत यह है कि सीबीएसई के काउंसलर्स के पास बच्चों के पास ऐसी शिकायतें के फोन पहुंच रहे हैं। इस पर काउंसलर्स उन्हें टिप्स दे रहे हैं। करीब 60 फीसदी बढ़ी बीमारी इन दिनों अनिद्रा, स्टे्रस और टेंशन की बीमारियों के कारण बच्चों के फोन काउंसलर्स के पास पहुंच रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों के पास रोजाना 10 छात्रों में से 6 ऐसे ही छात्रों के फोन पहुंच रहे हैं। जिन्हें फास्ट फूड खाने के कारण अनिद्रा, स्ट्रेस जैसी बीमारियां हो रही हैं। बोर्ड के प्रैक्टिकल व प्री बोर्ड देने वाले स्टूडेंट्स में चिड़चिड़ापन, अनिद्रा और टेंशन की समस्या हो रही है। इससे उनका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है। 11 से 16 साल तक के बच्चों के बीच इस प्रकार की समस्याएं ज्यादा बढ़ रहीं हैं।

मेटाबॉलिज्म पर असर

वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ। देवेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार जंकफूड में केवल फैट और कैलोरीज होती हैं। रेशेदार कुछ भी नहीं होता, इसमें मैदा, चीनी, नमक, रिफाइंड का बहुत ज्यादा प्रयोग होता है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म पर असर डालता है। आयरन और जिंक की मात्रा सही

डायटिशियन डॉ। भावना गांधी ने बताया कि जंकफूड अधिक खाने से बी3, बी 12 तो कम होता है। इसके साथ ही बॉडी में मैग्नीशियम और जिंक की भी कमी होती है। आयरन की मात्रा पर भी असर पड़ता है। इस कारण बच्चों की लर्निंग पॉवर कम हो जाती है। इस कारण स्ट्रेस बढ़ती है। नींद नहीं आती है। इससे स्टडी पर प्रभाव पड़ता है। बच्चों में डिप्रेशन, एकाग्रता में कमी, एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर की समस्या बढ़ती जा रही है। दो-चार महीने में एकाध बार जंकफूड तो ठीक है पर इसके लगातार सेवन से शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती चली जाती है,जंकफूड जब भी खाएं, साथ में खूब सारा सलाद और हरी सब्जियां जरूर खाएं। ------------------

डायट को ठीक करना जरूरी

सीबीएसई काउंसलर्स डॉ। पूनम देवदत्त ने बताया कि एग्जाम के समय स्टूडेंट्स की डायट काफी खराब हो जाती है। स्ट्रेस में स्टूड़ेंट्स के लिए हेल्दी खाना मुश्किल हो जाता है। वो जंक फूड ज्यादा खाते हैं। कुछ हफ्तों की खराब डायट भी उनकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। नींद न आने की समस्या धीरे-धीरे तनाव में परिवर्तित हो रही है, ऐसे में हम काउंसिलिंग के साथ डायटिशियन के पास जाने की भी सलाह देते है ताकि सहीं से डायट दिया जाए ताकि दोबारा वापस ठीक हो सके।

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जंक फूड से ये नुकसान

-जंक फूड से ब्रेन, किडनी, फेफड़े प्रभावित होते हैं -अमाशय के लिए सबसे ज्यादा घातक हैं। -हार्ट कोरोनरी डिसीस को खुला न्यौता -बच्चे भी बीपी और टाइप-टू शुगर की चपेट में -शारीरिक व मानसिक रोगों का सबसे बड़ा कारण -हाइपरटेंशन, अवसाद और ध्यान न लगा पाने की दिक्कत -गुस्सा, अस्थिरता, चिड़चिड़ापन -इन्फर्टिलिटी का भी बन रहा कारण -मोटापा और ब्लड प्रेशर का कारक -रोग प्रतिरोधक क्षमता और एनर्जी में गिरावट -थकान, कमजोरी और आलस्य का कारण -नींद न आने की समस्या, जिससे तनाव बढ़ता है

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ये विकल्प भी हो सकते हैं

-बर्गर के बजाए घर पर बनी आलू या दाल की टिक्की खाएं। -फ्र ंच फाइज के लिए आलू को फ्र ाई कर ऊपर से काला नमक, भुना जीरा और हींग का तकड़ा दें। -सत्तू का पराठा, दाल का भरा पराठा या बाटी चोखा खाएं -रोटी दाल न खाने का मन हो तो दाल में आटे की टिक्की डालकर बनाएं। अरबी के पत्ती की पकौडिय़ां चटनी के संग खाई जा सकती है। -सैंडविच बनाने के लिए व्हाइट के बजाए ब्राउन ब्रेड का इस्तेमाल करें। -नूडल्स खाने का मन है तो मोटी सेंवई को सब्जियों और सॉस के साथ बनाएं -चिली पनीर और मंचूरियन के बजाए मिक्सवेज और पनीर पुलाव बनाएं -कोल्ड ड्रिंक्स के बजाए नींबू की शिकंजी, छाछ और लस्सी का सेवन करें या फिर सर्दियों में सूप दें -कॉफी के बजाए ग्रीन टी का सेवन ज्यादा कारगर है -भीगे हुए चने, अंकुरित दालों के साथ खीरा, ककड़ी, टमाटर, नमक डालकर खाएं। -रोटी पराठे न खाने का मन हो तो मेथी, मूली, मिक्स वेज, पनीर, पालक पराठे चटनी के संग खाएं।