- यूनिवर्सिटी के सामने पार्टियों के खेमे में लग रही जमकर भीड़

- रात में इन खेमों में चल रहा बड़ा खेल, हो सकता हैं बड़ा पंगा

- तंबुओं में लग रहा बाहरी लोगों और छात्र नेताओं का जमावड़ा

Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी और मेरठ कॉलेज में होने वाले छात्र संघ चुनावों पर सबकी नजरें रहती हैं। इन दोनों जगहों पर पुलिस और प्रशासन को जमकर मशक्कत करनी पड़ती है। यहां चुनाव के दौरान पंगा ना हो ऐसा कभी नहीं होता। हमेशा चुनाव के रिजल्ट को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं। पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ता है। इस बार तो इन छात्र संघ चुनावों में प्रतिद्वंदिता कुछ अधिक ही नजर आ रही है। चुनावी साजो-सामान तैयार हो गया है। टेंट गड़ गए और बिसात बिछने लग गई है। जहां पंगेबाजी की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं।

यह है सीन

सीसीएस यूनिवर्सिटी में क्फ् नवंबर को और मेरठ कॉलेज में क्भ् नवंबर को छात्र संघ चुनाव के लिए मतदान होना है। नामांकन के दिन से ही यूनिवर्सिटी और मेरठ कॉलेज में बाहरी लोगों का आवागमन लगभग बंद कर दिया गया। यूनिवर्सिटी में मेन गेट और डीएसडब्ल्यू ऑफिस के आसपास बैरिकेटिंग कर दी गई। कैंपस में प्रवेश करने के लिए केवल वैध स्टूडेंट्स को ही इजाजत दी जा रही है। जिसके पास आईकार्ड है वही अंदर जा रहा है। इसके अलावा किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा। पुलिस और आरएएफ की खासी व्यवस्था है। वहीं मेन गेट के बाहर छात्र नेताओं ने अपने तंबू कई दिन पहले ही गाड़ लिए।

कैंडीडेट्स का सीन

सीसीएस यूनिवर्सिटी में नामांकन करने वाले कैंडीडेट्स में अध्यक्ष पद पर ग्यारह, उपाध्यक्ष पर छह, महामंत्री पर ग्यारह, संयुक्त सचिव के लिए चार और कोषाध्यक्ष के लिए पांच शामिल थे। अगले दिन आठ नवंबर को नाम वापसी के बाद अध्यक्ष पद के लिए ग्यारह में से छह रह गए। उपाध्यक्ष के लिए तीन, महामंत्री के लिए चार, संयुक्त सचिव के लिए तीन और कोषाध्यक्ष के लिए तीन कैंडीडेट्स रह गए। ऐसा ही हाल कुछ मेरठ कॉलेज में भी रहा। जहां नामांकन करने वालों की एक लंबी लिस्ट थी। जिसमें नाम वापसी के बाद पांच अध्यक्ष पद के लिए, पांच ही उपाध्यक्ष पद पर, चार महामंत्री पद पर, छह संयुक्त सचिव और तीन कोषाध्यक्ष पर रह गए।

तंबुओं में प्लानिंग

कभी चुनाव होने से एक दिन पहले ही यूनिवर्सिटी और मेरठ कॉलेज के बाहर तंबू लगा करते थे। लेकिन इस बार छात्र संघ चुनाव कुछ छात्र नेताओं की साख पर बन आए हैं। इसके चलते नामांकन के एक दिन बाद ही यूनिवर्सिटी और मेरठ कॉलेज के बाहर चुनावी तंबू गाड़ दिए गए। इन तंबुओं में चुनावी बिसात बिछने लगी है। दिन और रात यहां भीड़ लगी रहती है। यूनिवर्सिटी के मेन गेट से चंद कदम की दूरी पर सपा, एनएसयूआई और एबीवीपी के तंबू गड़े हुए हैं। जिनमें स्टूडेंट्स लीडर के साथ बाहरी लोगों की भीड़ जुटने लगी है। यहीं रात में छात्र नेता अपने समर्थकों संग मीटिंग कर रहे हैं।

बढ़ रहे पंगे के आसार

यूनिवर्सिटी के बाहर लगे इन तंबुओं में जुटने वाले लोगों में प्रतिद्वंदिता बढ़ती जा रही है। यही सीन कुछ मेरठ कॉलेज के बाहर भी है। ऐसे में पंगेबाजी की संभावनाएं भी जन्म ले रही हैं। यूनिवर्सिटी में पहले ही गोलियां चलने की घटना आम होती है, अब तो यहां तंबुओं में जमकर भीड़ जुटने लगी है। जिससे लोग एक दूसरे से अड़ने को तैयार बैठे हैं। जिसका सीन कमजोर दिखेगा वही पंगा करने में आगे आएगा। भले ही यहां पुलिस की खासी व्यवस्था हो। रविवार की रात में भी यूनिवर्सिटी के सामने कुछ युवकों में पंगा हुआ था। वहीं कैंडीडेट्स मतदाताओं को रिझाने के लिए खासा पैसा भी लुटा रहे हैं।

होर्डिग्स की होड़

यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ रहे स्टूडेंट्स लीडर के बड़े-बड़े होर्डिग्स सड़क पर लगे हैं। देखा जाए तो लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें यहां फेल होती नजर आ रही हैं। प्रत्येक कैंडीडेट को रोज अपने खर्चे का ब्यौरा देना होता है, लेकिन कोई नहीं दे रहा है। खर्चे की बात करें तो इन होर्डिंग्स और तंबुओं में चल रहा खाना पीना काफी खर्चीला है। जबकि एक कैंडीडेट्स पांच हजार रुपए से अधिक खर्च नहीं कर सकता। यूनिवर्सिटी रोड पर होर्डिग्स की होड़ साफ दिखाई दे रही है। जिसमें अच्छा खासा पैसा लग रहा है। प्रशासन और पुलिस केवल व्यवस्था देखने में लगे हैं, लेकिन असलियत तक कोई नहीं पहुंच रहा है।