-डिजिटल हेल्प कर रहीं बच्चों की परवरिश, दे रहीं गाइडेंस

- स्वादिष्ट व्यंजन बनाने को लिए जा रहे ऑनलाइन टिप्स

-बच्चों के साथ ग्रुप चैटिंग का भी आनंद ले रहीं मदर्स

Meerut : मां की तस्वीर आमतौर पर बच्चों की देखभाल करने वाली और घर के प्रति जिम्मेदार की रही है, लेकिन आज डिजिटल जमाने में मम्मियों में भी डिजिटल होने का ट्रेंड है। वेबसाइट, फेसबुक और वॉट्सएप जैसे शब्दों से अब कोई भी अंजान नहीं है। अब मां ने भी दौड़ते जमाने के साथ खुद को ढालते हुए डिजिटल व‌र्ल्ड में एंट्री ले ली है और बन गई हैं डिजिटल मॉम।

बेटा रहता है विदेश में

शास्त्रीनगर रहने वाली डॉ। मंजू गुप्ता का बेटा तन्मय जॉब के सिलसिले में छह साल से न्यूयॉर्क रहता है। उनकी बेटी की शादी भी अमेरिका में हुई है। वह अक्सर अपने बच्चों से वॉट्सएप और फेसबुक के जरिए बात करती हैं। उन्हें अच्छा लगता है अपने बच्चों के टच में रहना और उनसे बात कर उनका हालचाल जानना। डॉ। मंजू बताती हैं कि ऐसा करने से रिश्तों में निकटता बनी रहती है और एक दूसरे के हालचाल भी पता चलते हैं। वह बताती हैं कि उनके बेटा-बहू और बेटी सभी बाहर हैं। अक्सर सभी लोग आपस में ऑनलाइन बात करते हैं। मेरा बेटा पिछले छह साल से जॉब के सिलसिले में न्यूयॉर्क में रहता है। बेटी की शादी भी अमेरिका में हो गई है। अब मैं और मेरे हसबेंड मेरठ में रहते हैं। अपने बच्चों से जुड़े रहने के लिए मैनें भी खुद को डिजिटल बनाया है।

आजकल वॉट्सएप, फेसबुक जैसी सुविधाएं हैं जो दूर बैठे अपनों से जुड़े रहने का अच्छा जरिया है। वैसे तो कभी कभार बच्चे मेरठ आते हैं, लेकिन दिनभर का हाल जानने के लिए व अपनी हर छोटी-छोटी खुशियों को बांटने के लिए हम एक दूसरे जुड़े रहना चाहते हैं।

-डॉ। मंजू गुप्ता, शास्त्रीनगर

ताकि न हो कोई दिक्कत

भैसाली ग्राउंड के निकट रहने वाली पूजा की शादी को चार साल हो चुके हैं। उनका एक ढाई साल का बेटा है जिसका वह बहुत ही ख्याल रखती हैं। वैसे तो उनके बेटे के पालन पोषण में कोई भी कमी नहीं रही है। आगे की प्लानिंग में भी वह पहले से ही नॉलेज लेने में लगी हुई है। वह अक्सर ऑनलाइन वेबसाइट व मोबाइल एप्स के जरिए अपनी डाइट व अन्य जानकारी लेती रहती है। जिससे उन्हें भविष्य में प्लानिंग करनी हो तो किसी भी तरह की कमी न रहें। पूजा बताती हैं कि उनकी शादी को चार साल हो चुके हैं, मेरा ढाई साल का एक बेटा है। वैसे तो उसके पालन पोषण में किसी भी तरह की कमी नहीं है। लेकिन फिर भी आगे की प्लानिंग में किसी तरह की कमी न रहे मैं इसके लिए ऑनलाइन नॉलेज लेती रहती हूं।

मैं फोन में भी विभिन्न तरह के नॉलेजेवल एप्स से भी नॉलेज लेती रहती हूं। अपनी डाइट के बारे में व अन्य नॉलेज भी लेती रहती हूं ताकि भविष्य में अगर मैं नेक्स्ट बेबी की प्लानिंग करुं तो कोई कमी न रह जाए।

-पूजा, निकट भैंसाली ग्राउंड निवासी

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बच्चों पर नजर रखना है हमारी जिम्मेदारी

सदर निवासी रीना सिंघल का एक बेटा है और एक बेटी है दोनों ही बहुत समझदार हैं। रीना फिर भी एक मां होने की जिम्मेदारी निभाते हुए उनपर नजर रखती है। रीना एक डिजिटल मॉम की तरह फेसबुक और वाट्सएप चलाती है। फेसबुक, हाइक, वॉट्सएप पर वह अपने बच्चों की फ्रेंड हैं। रीना का मानना है कि आजकल जमाना बहुत ही खराब है, इसलिए मां-बाप को अपने बच्चों को समय-समय पर चेक करना भी बहुत जरुरी है। इसके अलावा अपने बच्चों के साथ दोस्त जैसा व्यवहार रखने के लिए और मॉडर्न जमाने के साथ चलने के लिए भी डिजिटल होना बहुत जरुरी है। बेटी सीए कर रही है और बेटा बीबीए कर रहा है। दोनों ही बच्चे बहुत समझदार हैं और उन्हें अपने सही गलत की भी पूरी नॉलेज है, लेकिन एक मां होने के नाते मेरी पूरी जिम्मेदारी बनती है कि उनका ध्यान रखा जाए कि वह किस समय क्या कर रहे हैं। आजकल जमाना डिजिटल का है इसलिए एक मां होने के नाते मुझे भी बच्चों के साथ डिजिटल रहना पड़ता है।

मैं अपने बच्चों के साथ फ्रैंक रहती हूं, फेसबुक पर, वॉटसएप पर भी मैं उनकी फ्रेंड हूं। शायद हमारे फ्रेंक नेचर की वजह से ही बच्चा हमसे शेयर करना भी पसंद करता है। मेरे हिसाब से मां-बाप को बच्चों के साथ फ्रेंक रहना भी बहुत जरुरी है।

-रीना सिंघल, सदर निवासी

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अच्छी पेरेंटिंग भी है जरुरी

शास्त्रीनगर निवासी आकांक्षा कौशिक मानती हैं कि जमाने के हिसाब से ही चलना बेहतर है। आजकल बच्चे को स्कूल में डालने के साथ ही उसकी पढ़ाई के साथ ही और भी टेंशन बनी रहती है। इसलिए मम्मियों को खुद को अपडेट करना बहुत जरुरी है। इंटरनेट ने आजकल बहुत कुछ आसान कर दिया है। कैसे अच्छी पेरेटिंग हो इसके लिए भी काफी सारी वेबसाइट व एप्स आ गए हैं, जिनपर अपडेट रहकर काफी सारे टिप्स मिलते हैं। इसलिए आकांक्षा इन वेबसाइट का यूज करके एक डिजिटल मॉम के रूप में अपने बच्चे की केयर करना पसंद करती हैं। दो साल का बेटा है। हसबेंड-वाइफ दोनों ही अच्छी पेरेंटिंग के लिए ऑनलाइन और मोबाइल एप्स पर टिप्स व नॉलेज लेते रहते हैं। अभी बच्चा प्ले स्कूल में है, मगर उसकी पेरेंटिंग के लिए टिप्स लेने शुरू कर दिए हैं। आजकल जमाना काफी आगे हो गया है।

बदलते जमाने के साथ ही हम भी अच्छे पेरेंट्स के रूप में अपने बच्चे के भविष्य को बेहतर बनाना चाहते हैं। इसलिए हम भी समय समय पर अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए खुद को अपडेट करते है और बेहतर पेरेंटिंग के टिप्स लेते हैं।

-आकांक्षा कौशिक, शास्त्रीनगर निवासी

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यह भी है डिजिटल मां बनने के कारण

- जमाने के हिसाब से खुद को ढालना है जरुरी।

- आजकल माहौल बिगड़ रहा है, ऐसे में कोई बच्चा डिजिटल चीजों का मिसयूज भी कर सकता है। बच्चों पर नजर रखने के लिए भी डिजिटल होना जरुरी है।

- बच्चों के साथ फ्रेंक नेचर रखने के लिए भी मम्मियों को डिजिटल होना जरुरी है।

- बेस्ट नॉलेज ही बेस्ट करना सिखाती है, इसलिए मम्मियां भी बेस्ट नॉलेज के लिए डिजिटल मॉम बनी हैं।