-स्टेंट के सरकारी रेट पर कुंडली मार कर बैठे डॉक्टर्स

-रेट सब्सिडाइज होने के बावजूद भी पहुंच से बाहर स्टेंट

मेरठ। शहर में दिल के मरीजों को शासन से मिलने वाली सुविधाएं उन तक नहीं पहुंच पा रही हैं। शासन ने सब्सिडी देकर स्टेंट के जो रेट कम किए थे, डॉक्टर्स द्वारा आज भी पुराना रेट वसूला जा रहा है। कुछ डॉक्टर्स ने स्टेंट का रेट कम कर, अपनी सुविधाओं का खर्चा बढ़ा दिया है।

हॉस्पिटल चार्ज में बड़ा खेल

पुराने रेट पर खर्चा

-स्टेंट का कुल पैकेज - 1.50 लाख

-स्टेंट की कीमत - 80 हजार से एक लाख

-डॉक्टर की फीस - 25 से 30 हजार

-हॉस्पिटल चार्ज - 20 से 25 हजार

-ओटी चार्ज - 15 से 20 हजार

नए रेट पर खर्चा

-स्टेंट का कुल पैकेज - 1.50 लाख

स्टेंट की कीमत - 29,600 रुपए

डॉक्टर की फीस - 30 से 40 हजार रुपए

हॉस्पिटल चार्ज - 40 से 50 हजार रुपए

दवाई - 10 से 20 हजार

ओटी चार्ज- 15 से 20 हजार

20 प्रतिशत दिल के मरीज

-दिल के मरीजों की संख्या करीब - 4 लाख

-स्टेंट के जरूरत मंद मरीज- 90 हजार

-मरीजों को हर साल लगने वाले स्टेंट - 30 से 40 हजार

सरकार ने दिल के मरीजों को राहत दी है। यदि डॉक्टर्स इसके विपरीत फीस वसूल कर रहे हैं। तो यह पूरी तरह से गलत है। ऐसी शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ। वीरोत्तम तोमर, अध्यक्ष आईएमए

क्या है स्टेंट?

दरअसल, सामान्य भाषा में कहें तो स्टेंट हार्ट ब्लॉकेज को खोलने के काम आता है। हार्टअटैक की शिकायत होने पर मरीज की एंजियोग्राफी जांच की जाती है। जांच में देखा जाता है कि मरीज की किस धमनी में और कहां पर रुकवाट है। जहां रुकवाट पाई जाती है। वहां प्राइमरी एंजियोप्लॉस्टी में स्टेंट का इस्तेमाल किया जाता है।