माइक्रो चिप करेगी निगरानी, रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन सिस्टम से किया जाएगा लैस
मोबाइल की तरह काम करेगी मशीन, राशन घोटाले के खुलासे के बाद सरकार ने बनाई योजना
Meerut। ई-पॉश मशीन के साथ छेड़छाड़ की तो अब जेल जाओगे। सूबे में राशन घोटाले के खुलासे के बाद इन मशीनों को अब रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (आरएफआईडी) से अटैच कर दिया है। एक माइक्रो चिप इंस्टाल करके मशीन के डाटा को मुख्यालय के सर्वर से अटैच कर दिया जाएगा। ताकि छेड़छाड़ की स्थिति में संबंधित मशीन का मैसेज सप्लाई जिला पूर्ति कार्यालय को दिया जा सके। यह मशीन मोबाइल की तरह काम करेगी।
मशीनों की होगी जियो टैगिंग
सूबे के 43 जनपदों में गत दिनों स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने राशन घोटाला पकड़ा था। सर्वाधिक केसेस इलाहाबाद के पकड़ में आए थे तो वहीं मेरठ में भी 220 से अधिक सरकारी राशन की दुकानों का लाइसेंस रद करते हुए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। फर्जी आधार नंबर से हो रहे राशन घोटाले में विभाग के दामन पर भी छींटे पड़े तो वहीं कई पूर्व अधिकारियों की भूमिका जांच के दायरे में है। ऐसे में पूर्ति विभाग अब ई-पॉश मशीनों की जियो टैगिंग करा रहा है। जिसके बाद मशीनों को तय क्षेत्र से बाहर ले जाने पर एडमिनिस्ट्रेटर और सर्विस प्रोवाइडर के पास अलर्ट आ जाएगा। नवंबर तक सभी मशीनों की जियो टैगिंग करा दी जाएगी।
क्या है जियो टैगिंग?
जिओ टैगिंग तकनीक में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) या आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) के जरिए सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में जियोग्राफिकल बाउंड्री तय की जाती है। मशीन को जैसे ही बाउंड्री से बाहर लाया जाएगा वह सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर को अलर्ट भेज देगी।
फैक्ट फिगर
नगरीय क्षेत्र में राशन की दुकानें-336
ग्रामीण क्षेत्र में राशन की दुकानें-550
जिले में कुल राशन की दुकानें-886
पात्र गृहस्थी राशन कार्ड-437891
पात्र गृहस्थी उपभोक्ता-1863656
अन्त्योदय राशन कार्ड-9229
अन्त्योदय उपभोक्ता-34568
कुल राशन कार्ड-447120
कुल उपभोक्ता-1898224
पात्र गृहस्थ (उपभोक्ता) को मिलने वाला राशन (प्रति यूनिट-प्रति माह)
गेहूं-3 किलो
चावल-2 किलो
केरोसीन तेल-2 लीटर
अंत्योदय कार्ड धारक को मिलने वाला राशन (प्रतिमाह)
गेहूं-20 किलो
चावल-15 किलो
केरोसीन -3.5 लीटर
ई-पॉश मशीन के साथ सरकारी राशन विक्रेता अब छेड़छाड़ नहीं कर सकता है। जियो टैगिंग होने के बाद न सिर्फ मशीन की लोकेशन सर्वर पर होगी बल्कि मशीन के साथ छेड़छाड़ को आरएफआईडी के जरिए पकड़ लिया जाएगा।
विकास गौतम, डीएसओ, मेरठ