-गांवों में एलईडी लगाकर घाटे को भरेगा पश्चिमांचल
-गांवों में एलईडी लगाकर बचाई जाएगी आधी बिजली
-एक्शन प्लान से शहर को मिल सकेगी आधी अतिरिक्त बिजली
Meerut: लंबे समय से बिजली की किल्लत झेल रहे शहर को अब डेढ़ गुणा बिजली मिलने वाली है। पश्चिमांचल ने इसको लेकर एक विशेष प्लान तैयार किया है। प्लान के अंतर्गत विभाग गांवों में एलईडी लगाकर न केवल अपना घाटा पूरा करेगा, बल्कि बिजली की बचत कर यह बिजली शहर को उपलब्ध कराई जाएगी।
सौ करोड़ का घाटा
दरअसल, ग्रामीण अंचलों में विभाग के सबसे अधिक कंज्यूमर (पौने तीन लाख) निवास करते हैं। इस हिसाब से यहां बिजली की खपत का आंकड़ा भी अधिक बना रहता है। चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग को यहीं से सबसे अधिक घाटा उठाना पड़ता है। मेरठ समेत पश्चिमांचल के चौदह जनपदों में यह घाटा सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर जाता है। जबकि अकेले मेरठ में ही विभाग को तीस करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एलईडी भरेगी झोली
पश्चिमांचल ने हर साल लग रहे राजस्व की चपत को पूरा करने के लिए नया फार्मूला इजाद किया है। नई व्यवस्था के अंतर्गत अब पश्चिमांचल ग्रामीण अंचलों में पारंपरिक बिजली के मुकाबले एलईडी एनर्जी पर जोर देगा। अफसरों की मानें तो गांवों में सस्ती दरों में एलईडी बल्ब उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ एलईडी यूज और एनर्जी सेविंग के लिए ग्रामीणों में जागरुकता भी लाई जाएगी। एलईडी के माध्यम से एक ओर जहां बिजली का खर्च घटकर आधा रह जाएगा, वहीं आधी एनर्जी भी सेव की जा जा सकेगी।
एक तीर से दो निशाने
ग्रामीण इलाकों से ना के बराबर आ रहे रेवेन्यू की भरपाई अब विभाग वहां आधी कटौती कर करेगा। इस आधी बिजली की पूर्ति एलईडी लगाकर की जाएगी। इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों से बची आधी बिजली को विभाग शहर में बेच सकेगा। अफसरों के मुताबिक इस आधी बिजली से न केवल शहर की बिजली आपूर्ति दुरूस्त होगी, बल्कि नए कनेक्शन देकर विभाग इससे अपना राजस्व भी बढ़ाएगा।
तेजी से बढ़ रहे उपभोक्ता
जनपद में बढ़ रही जनसंख्या के साथ ही बिजली उपभोक्ताओं में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। यदि विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो हर साल दस हजार उपभोक्ता विभाग से कनेक्शन प्राप्त कर रहे हैं।
उपभोक्ताओं की बढ़ती तदाद
साल ग्रामीण
2007 1,34,584
2008 1,44,584
2009 2,16,668
2010 2,28,577
2011 2,38,925
2012 2,47,988
2013 2,54,694
2014 2, 74,599
(सभी आंकडे़ बिजली विभाग से लिए गए हैं)
आईपीडीएस योजना के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों में एलईडी लगाने की व्यवस्था है। एलईडी लगने से गांवों बिजली का खर्च घटकर आधा रह जाएगा। बचने वाली अतिरिक्त बिजली शहर को सप्लाई की जा सकती है।
विजय विश्वास पंत, एमडी पीवीवीएनएल