- मेरठ के इस्माईल डिग्री कॉलेज में पहुंचे पर्यावरणविद् अनिल जोशी

- प्रधानमंत्री के सम्मान के खिलाफ जाने वालों पर रोक लगाने की आवश्यकता

Meerut : इस्माईल डिग्री कॉलेज में गुरुवार को पहुंचे पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने जेएनयू के मुद्दे की कड़ी निंदा करते हुए विरोध जताया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी अभिव्यक्ति को प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता है, लेकिन उसका भी एक सीमित दायरा है। अपने देश के हित में, प्रधानमंत्री के लिए इस तरह के नकारात्मक व्यवहार रखने वालों या उनके सम्मान के खिलाफ जाने वालों पर रोक लगाने की आवश्यकता है और ऐसा शिक्षण केंद्रों पर छात्रों द्वारा करना तो और भी निंदनीय है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग अपनी राजनीति के चलते ऐसे लोगों को बढ़ावा भी दे रहे हैं जो कि बहुत ही निंदनीय है।

इवन-ऑड फॉर्मूले का समर्थन

अनिल जोशी ने कहा कि प्रदूषण के मामले में वायु प्रदूषण दूसरे नंबर पर है। उन्होंने कहा कि विकास की जीवनशैली का जो सामान उद्योगों से आता है। उन उद्योगों के कारण ही प्रदूषण हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली में चलने वाले इवन-ऑड के फॉर्मूले की तरफ इशारा करते हुए कहा कि जो राजनीतिक लोग इस फॉर्मूले का विरोध कर रहे हैं शायद वो सांस ही नहीं लेते होंगे जो इतने स्वार्थी हो रहे हैं।

वोट का चोट करें

उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाओं के चलते पर्यावरण पर होने वाले अटैक एक दिन बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए आमजन को समझना होगा कि अब उन्हें वोट का चोट करना होगा। इससे राजनीति में सुधार होगा।

बिना श्रम का भोजन जहर होता है

अनिल जोशी ने कहा कि अक्सर हम यह सोचते हैं कि हम न नहाने से ही बीमार पड़ते हैं, लेकिन मेरा अनुभव है कि तीन दिन तक आप बिना नहाए रहें तो भी आप बीमार नहीं पड़ते हैं। उन्होंने कहा कि बैक्टीरिया तो तब आते हैं, जब हम बिना श्रम का भोजन करते हैं। क्योंकि बिना श्रम किए भोजन खाना जहर के सम्मान होता है। उन्होंने बताया कि मेरा अनुभव है और डॉक्टर्स भी यही बताते हैं कि व्यायाम से जो पसीना निकलता है वो एंटी बैक्टीरिया का काम करता है। इसलिए बिना व्यायाम किए आप भोजन करते रहते हैं जो बीमारी का कारण है।

एजुकेशन गायब एग्रीकल्चर

पर्यावरणविद् अनिल जोशी ने कहा कि सीबीएसई, यूपी बोर्ड व आईसीएसई सहित अन्य पढ़ाई में भी अब एग्रीकल्चर स्टडी की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि पहले हमें दूसरी, चौथी आठवीं में खेती, हवा, पानी आदि के बारे में बताया जाता था, लेकिन आज एग्रीकल्चर स्टडी से गायब होती जा रही है। आज हर बच्चे की आवश्यकता है कि उसे पता हो हवा क्या है, पानी, मिट्टी और खेती क्या है।