-मिलों से हो रहे प्रदूषण और उसके दुष्परिणाम की सैनी गांव के ग्रामीणों ने ट्रिब्यूनल से शिकायत करेंगे

-डीएचओ और पॉल्यूशन बोर्ड की रिपोर्ट दिखाकर मांगेंगे न्याय, गांव के आसपास संचालित हैं कई पेपर मिल

Meerut: पेपर इंडस्ट्री की मार झेल रहे सैनी गांव के लोगों इंडस्ट्रीयल पॉल्यूशन के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) जाने का फैसला किया है। ग्रामीणों का कहना है कि वो प्रशासन के सामने पिछले दो सालों से पॉल्यूशन का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिल पाया है।

क्या है मामला

दरअसल, मवाना रोड स्थित सैनी गांव पेपर इंडस्ट्री का हब बना हुआ है। यहां मौजूद दर्जनों पेपर मिल्स की चिमनियों से निकली जहरीली राख और फैक्ट्री से बाहर आता अम्लीय पानी फसलों को तो बीमार कर ही रही है, साथ ही पेड़ों को भी तेजी से बांझ बनाने का काम कर रहा है। वहीं दूसरी ओर पॉल्यूशन के प्रभाव से गांव का ग्राउंड वॉटर पूर्ण रूप से विषैला हो चुका है। परिणाम यह है कि गांव को कैंसर जैसी प्राण घातक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है।

एनजीटी में चलेगा वाद

प्रशासन स्तर से कोई न्याय न मिलता देख ग्रामीणों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में जाने का निर्णय लिया है। स्थानीय किसान लोकेन्द्र सिंह ने बताया कि पॉल्यूशन से हर साल लाखों रुपए का नुकसान हो जाता है। इस संबंध में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसलिए अब मामला एनजीटी के हवाले किया जाएगा।

दोष सिद्ध, लेकिन कार्रवाई सिफर

सैनी निवासी मंजीत मलिक ने बताया कि पॉल्यूशन की शिकायत पर जिला उद्यान अधिकारी और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रपट से इंडस्ट्रीयल पॉल्यूशन का हरियाली पर प्रभाव सिद्ध हो चुका है। बावजूद इसके कार्रवाई तो दूर जांच रिपोर्ट का कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में न्याय की कम ही उम्मीदें हैं।

इंडस्ट्रीयल पॉल्यूशन मामले में पॉल्यूशन का पेड़ों पर प्रभाव स्पष्ट नजर आ रहा है। इस संबंध में एक विशेष जांच कमेटी का गठन कर जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

नवनीत सिंह चहल, सीडीओ मेरठ