हायर एजुकेशन में गवर्नमेंट टीचर्स कॉपियों की चेकिंग से खींच रहे हाथ, रिटायर्ड टीचर्स कर रहे है कॉपियों का मूल्यांकन

चेकिंग में लापरवाही के चलते हर साल बढ़ रही री-चेकिंग कराने वाले स्टूडेंट्स की संख्या, बढ़ रहे 40 नंबर तक

Meerut। हायर एजुकेशन में कापियों की चेकिंग को लेकर गवर्नमेंट टीचर्स अपने हाथ खींच रहे हैं, जिसकी वजह से कापी चेकिंग का जिम्मा टैम्प्रेरी टीचर को दिया जा रहा है। इसका सीधा असर मूल्यांकन के रिजल्ट में दिख रहा है। री-चेकिंग में स्टूडेंट्स के 40-40 नंबर तक बढ़ रहे हैं। परिणामस्वरूप स्टूडेंट्स का कॉपियों की चेकिंग की बजाए री-चेकिंग पर भरोसा बढ़ रहा है।

दो साल में ही इतने आंकड़े

बता दें कि सीसीएसयू में गत दो साल से कॉपियों की री-चेकिंग का सिस्टम मूल्यांकन की कमियों को सुधारने की नीयत से किया गया था। मगर अब टैम्प्रेरी टीचर्स द्वारा हायर एजुकेशन में कॉपियों का मूल्यांकन करने से री-चेकिंग के लिए आपत्तियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। अगर पिछले साल की बात करें तो 550 कापियों की री-चेकिंग के लिए स्टूडेंट्स ने अप्लाई किया था। इस साल 667 स्टूडेंट्स री-चेकिंग के लिए अप्लाई कर चुके हैं। इतना ही नहीं बीते 15 दिनों में 70 कापियों की री-चेकिंग के लिए स्टूडेंट्स अप्लाई कर चुके हैं।

ये है भी बड़ा परिणाम

स्टूडेंट्स के मुताबिक कापियों की री-चेकिंग में उनके 40 नंबर तक बढ़े रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मूल्यांकन में किस तरह से टैम्प्रेरी टीचर लापरवाही दिखाकर स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। सीसीएसयू में री-चेकिंग में नंबर बढ़ने वाले स्टूडेंट्स और एक्सपर्ट टीचर से बातचीत में मूल्यांकन में लापरवाही के बड़े कारण सामने आए।

मूल्यांकन में लापरवाही के कारण

मूल्यांकन व पेपर बनाने का मानदेय सालों तक नहीं मिलता, जिसके कारण सरकारी टीचर्स अपनी जॉब को ज्यादा प्रेफ्रेंस देने लगे है और चेकिंग को सीरियस नहीं लेते हैं।

सरकारी टीचर्स चेकिंग में इंट्रस्ट नहीं ले रहे है, जिसके कारण रिटायर्ड टीचर व छोटे अनुमोदक की ड्यूटी ज्यादा लग रही है।

अनुमोदक व रिटायर्ड टीचर्स को गर्वमेंट जॉब जाने का खतरा नहीं रहता है, इसके चलते वो सीरियस होकर चेकिंग नहीं करते हैं।

रिटायर्ड टीचर्स को लेटेस्ट अपडेट नहीं होता, बिना नॉलेज कॉपी चेक करते हैं, जिसमें लापरवाही हो रही है।

बीए की कॉपी के 18 और एमए की कॉपी के 20 रुपये मिलते हैं।

100 कापियों की कर सकते हैं मैक्सिमम चेकिंग, मगर सेटिंग से मूल्यांकन को ले लेते हैं ज्यादा कॉपियां।

सही से मूल्यांकन करने में 100 कॉपियों बहुत ज्यादा होती है लेकिन टैम्प्रेरी टीचर्स ज्यादा इनकम के लिए लापरवाही से 100 या उससे भी ज्यादा कॉपियों का मूल्यांकन एक दिन में करते हैं।

मूल्यांकन का मानदेय टीचर्स को कभी समय पर नहीं मिलता है।

स्टूडेंट भुगत रहे परेशानी

एक कॉपी की री-चेकिंग अप्लाई करने के लिए 3100 करीब रूपये स्टूडेंट्स को भरने पड़ते हैं।

री-चेकिंग के बाद उसके रिजल्ट के इंतजार में एक से दो महीने तक स्टूडेंट्स को भटकना पड़ता है।

जब तक री चेकिंग का रिजल्ट नहीं आता, तब तक स्टूडेंट कहीं जॉब या अन्य कोर्स के लिए अप्लाई नहीं कर सकते।

इनका है कहना

दरअसल टैम्प्रेरी टीचर्स कापियों की चेकिंग में लापरवाही कर रहे हैं। गर्वमेंट टीचर्स पर अन्य काम होते हैं, जिस वजह से वो कापियों को चेक करना अवॉइड कर रहे हैं।

डॉ। अर्चना, प्रिंसिपल, आरजी कॉलेज

ये असाधारण है कि कापियों की री-चेकिंग में स्टूडेंट्स के 40 नंबर तक बढ़ रहे हैं। कुछ टीचर्स स्टूडेंट्स का भविष्य दाव पर लगा रहे हैं। रिटायर्ड टीचर से चेकिंग करवाना भी गलत है।

डॉ। संध्या रानी, प्रिंसिपल, शहीद मंगल पांडे कॉलेज

मूल्यांकन मई और जून में एग्जाम के साथ होता है, जिसके चलते गवर्नमेंट टीचर चेकिंग के लिए कम जाते हैं। दूसरा कुछ ऐसे रिटायर्ड टीचर्स होते हैं जो बस कॉपी चेक करते हैं।

डॉ। किरण प्रदीप, प्रिंसिपल, कनोहरलाल कॉलेज