लडुअन का भोग लगे, संत करे सेवा

सोमवार से गणपति विराजमान होंगे। हर साल की तरह इस बार भी गणपति घर आने को पूरी तरह से तैयार हैं। छोटे गणेश, बड़े गणेश सभी आकार की मूर्तियां मार्केट में बिकने को तैयार है। मध्य भारत के इस महोत्सव को मनाने के लिए मेरठी भी उतने की जोश के साथ तैयारी करने में जुटे हुए हैं। कोई बने बनाए गणेश जी को घर में विराजमान करने का मन बना रहा है। तो काफी लोगों ने अपनी मन पसंद का गणेश बनाने का ऑर्डर दिया है। वहीं इस महोत्सव को मनाने के लिए मंदिरों ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि इस बार गणेश चतुर्थी पर मार्केट और मंदिरों में किस तरह की धूम है।

तब से हुई शुरूआत

मेरठ में गणेश चतुर्थी सेलब्रेट करने की परंपरा ज्यादा पुरानी नहीं है। न तो यहां गणेश प्रतिमा बनाई जाती थी। न ही विसर्जन की कोई परंपरा थी। इस महोत्सव की शुरुआत सब एरिया में मौजूद मराठा रेजिमेंट ने 30 साल पहले की थी। सिटी की सबसे पुरानी अजंता मूर्ति कला केंद्र के मालिक प्रमोद प्रजापति बताते हैं कि 30 साल पहले मराठा रेजिमेंट के अधिकारियों ने आकर मुझसे भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दिया था। मुझे आज भी याद है कि गणेश जी को स्थापित करने के लिए आर्मी ऑफिसर्स बड़े ही धूमधाम से लेकर गए थे।

14 साल पहले मंदिर का हुआ निर्माण

वैसे तो सिटी के हर मंदिर में श्री गणेश की प्रतिमा है। विधान के अनुसार सभी देवों से पहले उन्हीं की वंदना भी होती है, लेकिन सिटी में एक ही पूर्ण रूप से गणेश जी को समर्पित एक ही मंदिर है। इसका निर्माण एक सितंबर 2000 में हुआ था। इस मंदिर का नाम श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर है, जो कल्याणी विहार में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण हर किशोर गुप्ता ने कराया था।

500 से अधिक मूर्तियां

शहर के मूर्तिकारों की माने तो गणेश चतुर्थी के दौरान 500 से अधिक मूर्तियों की बिक्री हो जाती है। कारोबारियों के अनुसार इस दौरान कितने रुपए की मूर्तियां सेल हो जाती है, इस बात का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है। इसका कारण ये है कि हर दुकान में हर साइज की मूर्तियां अलग-अलग रेट पर मिलती है। साथ ही क्वालिटी के कारण भी रेट में काफी फर्क आ जाता है।

6 फुट तक की मूर्तियां

मार्केट में 6 इंच से 6 फिट तक की मूर्तियां मौजूद हैं। अगर 6 इंच की मूर्तियों की बात करें तो 50 रुपए से 70 रुपए के बीच में है। वहीं 8 इंच की मूर्ति की कीमत 100 रुपए, 12 इंच की मूर्ति की कीमत 300 रुपए और 6 फीट मूर्ति की कीमत 11 हजार रुपए है। मूर्तिकार प्रमोद प्रजापति की माने तो अधिकतर लोग मीडियम साइज की मूर्तियां पसंद करते हैं। जो साइज में भी ठीक होती हैं साथ ही उनकी पॉकेट को अलाऊ करती है।

यहां-यहां जाती है मूर्तियां

मेरठ में बनी गणेश जी मूर्तियां सिर्फ मेरठ में ही सिमटकर नहीं रह जाती हैं। यहां से सहारनपुर, मुजफ्फर नगर, रुडक़ी, शामली, बिजनौर, मोदीनगर आदि कई जिलों में जाती हैं। वहीं गाजियाबाद और नोएडा जैसे शहरों से भी कई लोग यहां से लेकर जाते हैं। गाजियाबाद से अपने घर मेरठ आई वर्तिका गुप्ता बताती हैं कि मैं हर साल गणेश चतुर्थी पर अपने घर में मूर्ति स्थापित करती हूं। मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि मेरठ से ही प्रतिमा लेकर आऊं। क्योंकि यहां काफी अच्छी प्रतिमाएं मिल जाती हैं।

मूषक की स्थापना

इस बार श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर में इस बार भगवान गणेश की सवारी मूषक की प्रतिमा को भी स्थापित किया जा रहा है। 23 गुणा 28 इंच की इस प्रतिमा का वजन चार किलोग्राम है। ये प्रतिमा मुंबई में से मंगाई गई है। ये मूर्ति पूरी तरह से चांदी की बनाई गई है। इसकी स्थापना 9 सितंबर को ही सोमवार को होगा।

प्रतिमा खरीदते समय

इन बातों का रखे ध्यान

श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर के पंडित गणेश ठाकुर बताते हैं कि कई लोगों को गणेश जी प्रतिमा को खरीदते समय कई बातों का ध्यान नहीं रखते हैं। गणेश जी की सूंड़ बाईं ओर होनी काफी जरूरी है। बाईं ओर सूंड़ का मतलब आशीर्वाद का प्रतीक होता है। सूंड़ की दिशा दाईं ओर होने का मतलब गणेश भगवान के वीभत्स रूप से है।

स्थापना के समय

- घर में गणेश जी को स्थापित करने से मूर्ति के नीचे लाल और पीला कपड़ा जरूर रखें।

- स्थापित करने के बाद घर का कोई एक सदस्य गणेश स्थापित करने वाली जगह पर जरूर सोए।

- विसर्जन करने से एक दिन पहले सत्यनारायण कथा का पाठ जरूर कराएं।

ये होंगे कार्यक्रम

श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर में इस तरह से होंगे आयोजन

- सोमवार को सुबह 9 बजे गणेश मूर्ति की स्थापना होगी।

- षोढशोपचार पूजन होगा।

- 1001 लड्डुओं का भोग लगाया जाएगा।

- रंगारंग कार्यक्रम के तहत गणेश नृत्य और शिव झांकी का आयोजन होगा।

- दिनांक 10 से 17 तारीख को शाम 5:30 से 7:30 बजे तक कीर्तन और 7:30 बजे विशेष आरती का आयोजन होगा।

'मेरठ सिटी में श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर इकलौता भगवान गणेश को समर्पित मंदिर है। यहां हर साल बड़े ही धूमधाम से गणेश चतुर्थी का आयोजन होता है। पूजन के समय अगर कुछ भूल चूक हो जाती है तो आरती से सब दूर हो जाती हैं.'

- गणेश ठाकुर, पंडित जी, श्री सिद्धी विनायक गणपति मंदिर

'सिटी में गणेश की प्रतिमा बनने की शुरुआत मराठा रेजिमेंट ने कराई थी। जब तक वो रेजिमेंट सब एरिया में रही हर साल गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाते थे। तब से हम लगातार गणेश मूर्तियां बना रहे है.'

- प्रमोद प्रजापति, ऑनर, अजंता मूर्ति कला केंद्र

'मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि मेरठ सिटी से गणेश जी की ही प्रतिमा लेकर जाऊं। अब मैं गाजियाबाद रहती हूं तो कम ही आना हो पाता है। इस बार इत्तेफाक से मैं यहां हूं तो मेरठ से ही गणेश मूर्ति लेकर जा रही हूं.'

- वर्तिका गुप्ता, हाउस वाइफ, गाजियाबाद