- शासन की ओर से हेल्थ डिपार्टमेंट को भेजा गया लेटर

- आगे ऐसा होने पर होगी डिपार्टमेंट हेड पर सख्त कार्रवाई

Meerut : पिछले साल मेडिकल में एड्स पेशेंट के बेड 'ये एड्स पेशेंट है' का पेपर चिपकाने के मामले में शासन ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है। वहीं सूबे के सभी मेडिकल और सरकारी हॉस्पिटल को चेतावनी जारी कर दी है कि अगर पेशेंट की पहचान उजागर की गई तो कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि पिछले साल सामने आई इस हरकत की वजह से मेडिकल हॉस्पिटल की काफी बदनामी हुई थी।

कर दिया जाता है इनकार

शासन ने कहा है कि पिछले महीनों में कई जिलों में मामले सामने आ चुके हैं कि एचआईवी पीडि़तों को इलाज के लिए मना कर दिया जा रहा है। उपचार के लिए उन्हें किसी दूसरे जिले के मेडिकल कॉलेज या फिर दूसरे हॉस्पिटल में रेफर कर दिया जाता है। अगर उन्हें इलाज के लिए एडमिट भी कर दिया जाता है तो उनके बेड पर 'एचआईवी पॉजिटिव या कोई अन्य संबोधन' से लिख दिया जाता है। जिससे उनके एड्स पेशेंट होने की पुष्टि हो जाती है, जोकि कानून के खिलाफ है।

बराबर मिले सुविधा

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट और नाको की गाइडलाइन का जिक्र करते हुए कहा कि एड्स पीडि़तों को भी उतनी ही सुविधा मिलने का अधिकार है, जितना सामान्य मरीजों को। उन्होंने कहा कि सभी हॉस्पिटल में मेडिकल स्टाफ के लिए एंटीरेट्रोवायरल दवा मौजूद हैं। वहीं यूनिवर्सल प्रिकॉशन लेकर एड्स पीडि़त का इलाज करने को कहा है।

वरना होगी कार्रवाई

प्रमुख सचिव ने साफ कर दिया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट और नाको की गाइडलाइन फॉलो करता हुआ न पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं उन्होंने ये भी कहा अगर किसी की मौखिक या लिखित में भी कोई शिकायत आती है तो भी कार्रवाई की जाएगी।

मैंने अपने सभी सर्जन, वार्ड, ब्लड बैंक, डॉक्टर्स और स्टाफ को ये लेटर फॉरवर्ड कर दिया है। साथ ही उन्हें इंस्ट्रक्शन दिए हैं कि यहां पर इस तरह का रवैया न अपनाया जाए।

- डॉ। वीके गुप्ता, सीएमएस, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल