इंटरनेट एंड फेसबुक
अध्यक्ष पद के दावेदार अविनाश कुमार गुप्ता, महामंत्री पद के दावेदार सुदेश कुमार उपाध्याय ने प्रचार को इंटरनेट का सहारा लिया है। सुदेश कुमार कैंपस में भ्रष्टाचार और जातियता के विरोध में चुनाव लड़ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने फेसबुक पर पेज भी बनाया है। वहीं अविनाश प्रचार के लिए अपनी फेसबुक को यूज कर रहे हैं.
मोबाइल
कैंडीडेट्स ने मोबाइल फोन को प्रचार का बेसिक हथियार बनाया है। अपने समर्थको को फोन करके एक जुट किया जा रहा है। इसके लिए फर्जी सिम भी खरीदे गए हैं। साथ ही अपने समर्थकों को सस्ते फोन भी दिलाए गए है ताकि वो प्रचार में हाथ बटा सकें.
फ्री मैसेजिंग ऐप
फ्री मैसेजिंग एप्स भी खासे चलन में हैं। कैंडीडेट्स ने अपने दोस्तों को भी दोस्तों को मैसेज करके प्रचार करने के लिए कहा है। इसके लिए वाट्स ऐप, लाइन, समेत अन्य मैसेजिंग एप्स की हेल्प ली जा रही है। इस पर वोट अपील के साथ ही विडियो और फोटो भी स्टूडेंट्स को भेजे जा रहे हैं। खास बात है कि ये सभी एप्स फ्री हैं। तो ऐसे में कोई भी उनके खिलाफ बजट लिमिट क्रॉस होने की शिकायत भी नहीं कर सकता है.
ग्रुप मैसेजिंग
इसके लिए ग्रुप मैसेजिंग भी की जा रही है। इसके लिए बाकायदा स्टूडेंट्स को मोबाइल फोन दिए जा रहे हैं.
वन टू वन
कैंपेनिंग का पारंपरिक तरीका भी अपनाया जा रहा है। जो कि वन टू वन कैंपेनिंग है। सभी कैंडीडेट्स डिपार्टमेंट्स में जाकर प्रचार कर रहे हैं। चाहे नए तरीके कितने भी हों। लेकिन वन टू वन कैंपेनिंग का कोई तोड़ नहीं है। सभी कैंडीडेट्स स्टूडेंट्स के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं.
घर घर जाकर
कैंपस में तो कैंपेनिंग हो ही रही है। लेकिन कैंडीडेट्स ने स्टूडेंट्स के घर पर जाना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही जो स्टूडेंट कैंपस के बाहर रहते हैं उन तक भी पहुंच बना ली गई है.
पेंप्लेट्स का सहारा
प्रचार के लिए कैंडीडेट्स ने सरकारी तौर पर हाथ से बने पेंपलेट्स का सहारा लेना शुरू कर दिया है। हालांकि हर पेंपलेट को हाथ से नहीं बनाया जा रहा है। कुछ कैंडीडेट्स ने एक ही पेंपलेट की फोटोकॉपी करा ली है। ये पेंपलेट स्टूडेंट्स को बांटे जा रहे हैं साथ ही पेड़ों और झाडिय़ों पर भी लगाए जा रहे हैं.
लाइब्रेरी में लगे पैनल बोर्ड पर
हाथों से बने पोस्टर लाइब्रेरी कैंपस में भी लगा दिए गए हैं। यहां पर कैंपस प्रशासन की तरफ से प्रचार सामग्री लगाने के लिए पैनल लगाए गए हैं। सभी पदों के प्रत्याशियों ने यहां अपने पोस्टर लगा दिए हैं.
मेरे खिलाफ हो रही साजिश
अध्यक्ष पद के दावेदार अविनाश कुमार गुप्ता का कहना है कि मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है। राज्य की सत्ताधारी पार्टी से जुड़े कुछ लोग मेरे खिलाफ अफवाह उड़ा रहे हैं कि मैं चुनावों में नहीं लडऩे वाला हूं। मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि मैं चुनाव लडऩे वाला हूं और पूरे दमखम के साथ लडऩे वाला हूं। क्योंकि मैं इमानदारी से बिना किसी लाग लपेट के चुनाव लड़ रहा हूं इस लिए मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है। उनका कहना है कि मैं स्टूडेंट्स का दिल जीतना चाहता हूं, मेरे पास चुनाव लडऩे के लिए पैसे नहीं है। अगर मैं कैंपस चुनाव जीत जाता हूं तो स्टूडेंट्स के लिए काम करूंगा। जो भी समस्या होगी उनके लिए मैं हमेशा तैयार रहूंगा.
ताकि भ्रष्टाचार खत्म हो
वहीं महामंत्री पद के दावेदार तेज बहादुर सिंह का कहना है कि हम लंबे समय से छात्रों के लिए मेहनत करते आ रहे हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी में अभी भी भ्रष्टाचार जारी है। अगर मैं महामंत्री पद पर आता हूं तो हर हाल में एडमिनिस्ट्रिेटिव ब्लाक में मौजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिससे कि स्टूडेंट्स को अपने काम के लिए कैंपस ना आना पड़े कॉलेज से ही ये काम हो जाएं.
हॉस्टल में जा रहा खाना
सभी पार्टी एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं कि दूसरे के कैंडीडेट हॉस्टलों में खाने पीने की सामग्री भेज रही है.
राजनीतिक समर्थन जुटाने में लगे
कुछ छात्र संगठन एक राजनीतिक पार्टियों से भी समर्थन जुटाने में लगे हैं। कैंपस के चुनाव में राजनीतिक पार्टियों का कोई रोल नहीं है। इसके बाद भी जनबल बढ़ाने के लिए ये दिखावा किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि कैंपस में इस तरह की राजनीति करना गलत है। वोटर तो आखिरकार स्टूडेंट्स को ही रहना है। किसी के समर्थन से कोई फर्क नहीं पडऩे वाला.
तुम मत लडऩा चुनाव
प्रमुख पार्टियां अभी भी प्रत्याशियों को इलेक्शन लडऩे से रोक रही हैं। जिस प्रत्याशी से खतरा महसूस हो रहा है उसको किसी भी तरह से चुनाव से बैक ऑफ करने के लिए मजूबर किया जा रहा है.
इंटरनेट एंड फेसबुक
अध्यक्ष पद के दावेदार अविनाश कुमार गुप्ता, महामंत्री पद के दावेदार सुदेश कुमार उपाध्याय ने प्रचार को इंटरनेट का सहारा लिया है। सुदेश कुमार कैंपस में भ्रष्टाचार और जातियता के विरोध में चुनाव लड़ रहे हैं। इसके लिए उन्होंने फेसबुक पर पेज भी बनाया है। वहीं अविनाश प्रचार के लिए अपनी फेसबुक को यूज कर रहे हैं.

मोबाइल
कैंडीडेट्स ने मोबाइल फोन को प्रचार का बेसिक हथियार बनाया है। अपने समर्थको को फोन करके एक जुट किया जा रहा है। इसके लिए फर्जी सिम भी खरीदे गए हैं। साथ ही अपने समर्थकों को सस्ते फोन भी दिलाए गए है ताकि वो प्रचार में हाथ बटा सकें।

फ्री मैसेजिंग ऐप
फ्री मैसेजिंग एप्स भी खासे चलन में हैं। कैंडीडेट्स ने अपने दोस्तों को भी दोस्तों को मैसेज करके प्रचार करने के लिए कहा है। इसके लिए वाट्स ऐप, लाइन, समेत अन्य मैसेजिंग एप्स की हेल्प ली जा रही है। इस पर वोट अपील के साथ ही विडियो और फोटो भी स्टूडेंट्स को भेजे जा रहे हैं। खास बात है कि ये सभी एप्स फ्री हैं। तो ऐसे में कोई भी उनके खिलाफ बजट लिमिट क्रॉस होने की शिकायत भी नहीं कर सकता है।

ग्रुप मैसेजिंग
इसके लिए ग्रुप मैसेजिंग भी की जा रही है। इसके लिए बाकायदा स्टूडेंट्स को मोबाइल फोन दिए जा रहे हैं।

वन टू वन
कैंपेनिंग का पारंपरिक तरीका भी अपनाया जा रहा है। जो कि वन टू वन कैंपेनिंग है। सभी कैंडीडेट्स डिपार्टमेंट्स में जाकर प्रचार कर रहे हैं। चाहे नए तरीके कितने भी हों। लेकिन वन टू वन कैंपेनिंग का कोई तोड़ नहीं है। सभी कैंडीडेट्स स्टूडेंट्स के सामने हाथ जोड़े खड़े हैं।

घर घर जाकर
कैंपस में तो कैंपेनिंग हो ही रही है। लेकिन कैंडीडेट्स ने स्टूडेंट्स के घर पर जाना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही जो स्टूडेंट कैंपस के बाहर रहते हैं उन तक भी पहुंच बना ली गई है।

पेंप्लेट्स का सहारा
प्रचार के लिए कैंडीडेट्स ने सरकारी तौर पर हाथ से बने पेंपलेट्स का सहारा लेना शुरू कर दिया है। हालांकि हर पेंपलेट को हाथ से नहीं बनाया जा रहा है। कुछ कैंडीडेट्स ने एक ही पेंपलेट की फोटोकॉपी करा ली है। ये पेंपलेट स्टूडेंट्स को बांटे जा रहे हैं साथ ही पेड़ों और झाडिय़ों पर भी लगाए जा रहे हैं।

लाइब्रेरी में लगे पैनल बोर्ड पर
हाथों से बने पोस्टर लाइब्रेरी कैंपस में भी लगा दिए गए हैं। यहां पर कैंपस प्रशासन की तरफ से प्रचार सामग्री लगाने के लिए पैनल लगाए गए हैं। सभी पदों के प्रत्याशियों ने यहां अपने पोस्टर लगा दिए हैं।

 

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