मेरठ ब्यूरो। नवजात शिशु में होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की समय पर पहचान हो। तो गंभीर से गंभीर बीमारी दूर हो सकती है। यह बात मेडिकल कॉलेज मेरठ के बाल रोग विभाग में तीन दिवसीय ट्रेनिंग सेशन में एक्सपर्ट ने कही। मेडिकल कॉलेज में बीते तीन दिन से चल रहे ट्रेनिंग सेशन का शनिवार को समापन किया गया। मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ वी डी पांडेय ने बताया कि ट्रेनिंग में मेरठ, शामली,मुजफ्फरनगर, बागपत सहारनपुर, बिजनौर, कासगंज, गौतम बुध नगर, बुलंदशहर आदि विभिन्न जिलों से आए 6 डॉक्टर्स एवं 18 स्टाफ नर्स समेत कुल 24 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।

डेथ रेट कम हो

उन्होंने बताया कि नवजात शिशुओं की डेथ रेट को घटाने के लिए यह ट्रेनिंग कैंप आयोजित किया गया था। इसके तहत बीमार पैदा होने वाले बच्चों तथा पैदा होने वाले शिशु जो रोग से ग्रसित हैं, उनको समय रहते इलाज प्राप्त कराने से उनकी जान को खतरा ना बने और उनका स्वास्थ्य बेहतर रहे। इसके लिए डॉक्टर्स और स्टाफ नर्सों को ट्रेनिंग दी गई

शिशु मृत्युदर में कमी लाने का प्रयास

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। आर सी गुप्ता ने बताया कि सरकार के आदेश के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में तैनात डॉक्टर्स और स्टॉफ नर्स की ट्रेनिंग कराई जा रही है। इससे वह अपने हॉस्पिटल में नवजात शिशु की देखभाल अच्छे से कर सकें तथा नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।

इस मौके पर बाल रोग विभाग के विभागध्यक्ष बाल रोग विभाग डॉ। नव रतन गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर को इस प्रकार के ट्रेनिंग से कम किया जा सकता है। विभिन्न सीएचसी एवं जिला अस्पताल में भी बच्चों को उचित सुविधाएं दी जा सकती हैं। डॉ नवरत्न गुप्ता ने नवजात शिशु में होने वाली समस्याओं के लक्षण की पहचान पर अपना व्याख्यान दिया।

इलाज की ट्रेनिंग दी

बाल रोग विभाग के आचार्य डॉ। विकास अग्रवाल ने नवजात शिशु में होने वाले रोग की पहचान, जांच एवं इलाज की ट्रेनिंग दी। साथ ही बाल सघन चिकित्सा केंद्र में शिशु देखभाल के बारे में बताया। डॉ। अभिषेक सिंह आचार्य बाल रोग विभाग ने पोस्ट नेटल केयर, एनआईसीयू केयर पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की ट्रेनिंग हमारे यहां समय-समय पर होती रहती है। विगत वर्ष भी तीन प्रशिक्षण सत्र इस चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा सफलता पूर्वक संपन्न कराए गए हैं।