मेरठ ब्यूरो। शहर में नाले की समस्या पब्लिक के लिए सबसे बड़ी परेशानी बनी है। नालों से निकलने वाली सिल्ट सड़क किनारे ही छोड़ देते हैं। इससे पब्लिक को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। नगर निगम का दावा रहता है कि नियमित नालों की सफाई कराई जाती है, लेकिन दावों के मुताबिक हकीकत कुछ अलग ही होती है। नालों पर अतिक्रमण और नालों की सिल्ट परेशानी बन रही है।
सोशल मीडिया पर सर्वे
पब्लिक की इसी परेशानी को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर सर्वे कराया गया। सोशल मीडिया के हर एक प्लेटफॉर्म पर सर्वे के माध्यम से लोगों की राय जानी। फेसबुक, टि़्वटर, व्हाट्सऐप आदि पर पब्लिक ने अपनी राय रखी।

गोबर और पालीथिन से मुसीबत
नालों में गोबर और पालीथिन का कचरा सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। नालों की सफाई न होने से शहर के कई इलाकों में जलभराव की समस्या बढ़ जाती है।
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क्या नालियों की सफाई करने में कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं
हां-70
बहुत ज्यादा- 20
नहीं- 10

क्या मेरठ में नालों की सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है
हां- 74
बहुत ज्यादा- 16
नहीं- 10

क्या नालों पर अतिक्रमण और नालों की सिल्ट परेशानी बन रही है।
हां- 75
बहुत ज्यादा- 25
नहीं- 5
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शहर में नालों की सफाई नहीं होती है। कई इलाकों में नाले गंदगी से अटे पड़े हैं। इससे कई इलाकों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा है।
नीरज
कभी जब नाले की सफाई होती है तो सिल्ट को निकालकर सड़क पर फेंक दिया जाता है। इससे लोगों की मुसीबत और बढ़ जाती है।
राजीव
नालों की साफ-सफाई न होने से ड्रेनेज सिस्टम चोक हो जाता है। इस कारण पानी सड़क पर आ जाता है।
विनोद
नालों की सफाई के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन हकीकत दूसरी है। खुले नाले शहर में जानलेवा हो गए हैं। इस पर सार्थक कदम उठाए जाने चाहिए।
गोपाल