मेरठ । मेरठ शहर के स्पोट्र्स गुड्स, ज्वैलरी और कैंची देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाए हैं। इसके अलावा यहां कई ऐसे उत्पाद हैं जो दुनिया भर में निर्यात होते हैं। यहां की इंडस्ट्रीज साल दर साल अपने दम पर अपनी इस पहचान को बुलंद कर रही है। साथ ही देश और प्रदेश की जीडीपी ग्रोथ में अच्छा खासा योगदान है। बावजूद इसके, यहां पर बुनियादी समस्याएं आज तक दूर नहीं हो सकी हैं।

हर पहलू को उठाएंगे

खास बात यह है कि योजनाओं के नाम पर बजट आता है। प्लानिंग बनती है। फाइलें तैयार होती हैं। पर कुछ समय बाद सब फुस्स हो जारी हैं। औद्योगिक क्षेत्रों की इन्हीं प्रमुख समस्याओं को दूर करने के उददेश्य से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सात दिवसीय कैंपेन की शुरुआत की है। इसमें प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याओं को प्रकाशित कर सुधार कराने का प्रयास किया जाएगा।

42 साल से इंतजार

गौरतलब है कि साल 1975 में दिल्ली रोड पर मेवला फ्लाईओवर के बराबर वाली जमीन को बतौर स्पोटर्स कॉम्पलेक्स इंडस्ट्रीयल एरिया विकासित किया गया था। 1981 में इस जगह पर स्पोट्र्स कारोबारियों का आना शुरु हुआ था लेकिन इस जगह पर बेसिक सुविधाओं का विकास आज तक नही हो पाया है। आज 42 साल बाद भी स्पोटर्स कॉम्पलैक्स इंडस्ट्रीयल एरिया में सड़क, नालियां, सीवर लाइन, कूड़ा निस्तारण, साफ सफाई और स्ट्रीट लाइट जैसी बेसिक सुविधाओं का अभाव है। मोहकमपुर में बदहाली मोहकमपुर शहर का प्रमुख इंस्ट्रीयल एरिया है। यहां आईआईए भवन समेत करीब 390 इंडस्ट्रीज हैं। इसके बावजूद इस क्षेत्र में जलभराव सबसे प्रमुख समस्या है। स्थिति यह है कि जरा सी बारिश में इस क्षेत्र की नालियां ओवर फ्लो हो जाती है और नालियों का पानी बड़े नाले में जाने के बजाए सड़कों पर ही भर जाता है। इसके अलावा इंडस्ट्रीज में जगह जगह कूड़ा आम सी बात है।

15 साल बाद भी अविकसित

एमडीए ने साल 2008 में लोहियानगर को बतौर न्यू इंडस्ट्रीयल एरिया विकसित करने की शुरुआत की थी। लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी आज भी लोहियानगर में बेसिक सुविधाओं तक का अभाव है। यहां बने डंपिंग ग्राउंड में कूड़े का पहाड़ लगा हुआ है। यह कूड़ा ही पूरे साल लोहियानगर की सड़क पर फैला रहता है। साई पुरम 29 साल में अधूरा विकास दिल्ली रोड से महज 200 मीटर अंदर स्थित साईपुरम इंडस्ट्रीयल एरिया स्पोटर्स गुडस की प्रमुख इंडस्ट्रीज है। लेकिन हालत यह है यहां पैदल चलने तक के लिए एक अदद सड़क तो दूर ईटों की पक्की सड़क तक नही है। जलभराव और कूड़ा यहां की प्रमुख समस्या है।

इंडस्ट्रीयल एरिया की प्रमुख समस्याएं- -

जगह जगह टूटी-फूटी, गड्ढे वाली सड़कें -

पानी की निकासी न होने के चलते भरे हुए नाले

- जगह जगह कूड़े के ढेर गंदगी, आवारा पशु - सीवर लाइन की कमी

- जल निकासी के लिए नालियों की कमी -

स्ट्रीट लाइट का आभाव

मेरठ की इंडस्ट्री का कुल टर्नओवर-

करीब 8000 करोड़ सबसे बड़ा टर्नओवर वाला उद्योगॉ

खेल उद्योग करीब 1200 करोड़ औद्योगिक विकास दर- करीब 5.5 फीसद संगठित क्षेत्रों में रोजगार-

लगभग तीन लाख प्रकाशन उद्योग- 1850 से शुरू, लगभग 1000 करोड़ कारपेट उद्योग-

लगभग 500 करोड़ रुपये ट्रांसफार्मर उद्योग- लगभग 600 करोड़ रुपये ये हैं मेरठ के प्रमुख उद्योग खेल एवं कृषि उपकरण, चीनी मिलें, मीटेक्स प्लांट, टेक्सटाइल, ट्रांसफार्मर उद्योग, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, कलपुर्जे, सीमेंट उद्योग, फूड एंड बेवरेज, फूड प्रोसेसिंग, स्टील इंडस्ट्री, प्रकाशन उद्योग, रबर कारोबार, कालीन, हैंडलूम, फिटनेस उपकरण, केमिकल प्लांट, सर्जिकल आयटम, दवा और फर्टिलाइजर्स इंडस्ट्री, कागज, कैंची उद्योग, चमड़ा उद्योग, आसव व रसायन, बैंडबाजा, वाद्य यंत्र उद्योग, सराफा कारोबार, वाहन रिपेयरिंग व मोती उद्योग प्रमुख हैं।

इंडस्ट्रीयल एरिया में सड़क नाला निर्माण का काम जारी है। बजट के हिसाब से सभी इंडस्ट्रीयल एरिया में काम किया जाएगा। नियमित रूप से साफ सफाई भी जारी है। बाकि यदि कहीं समस्या है तो उसको प्राथमिकता के स्तर पर दूर किया जाएगा। -

प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त

औद्योगिक क्षेत्र के विकास के नाम पर केवल भारी भरकम बजट और उस बजट में कमीशन का खेल चलता है काम कुछ नही होता है। जब तक सही योजना बनाकर विकास कार्य नही होंगे केवल खानापूर्ति ही रहेगी।

- सुमनेश अग्रवाल, वाइस प्रेसिडेंट, स्पोटर्स गुडस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल

औद्योगिक क्षेत्र की दशा सुधारने की मांग हमारे स्तर पर लगातार कई साल से हो रही है। अब कुछ काम शुरु हुआ तो है लेकिन यह भी योजनाबद्ध तरीके से नही है। अधिकतर इंडटस्ट्रीज बेसिक सड़क, साफ सफाई, जल निकासी की मूलभूत समस्या से जूझ रहे हैं।

- अनुराग अग्रवाल, वाइस चेयरमेन, आईएमए