जुवेनाइल सेल मे बच्चों ने किया 12 घंटे में दूसरा बवाल

देर रात दो बजे बवाल का मामला सुलझा भी नहीं था दोपहर डेढ़ बजे बजे फिर किया हंगामा

 नशे की डोज न मिल पाने के कारण रोज हो रहा है हंगामा

 जिला प्रशासन ने खड़े कर दिए हैं हाथ, कहा, कानून से बंधे हैं हाथ

 

Meerut : जुवेनाइल सेल में बवाल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन के लिए जुवेनाइल सेल में बंद करीब 116 बच्चे सबसे बड़ा चैलेंज बन गए हैं। गुरुवार देर रात दो बजे का बवाल थमा भी नहीं था कि शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे के करीब बच्चों ने एक बार फिर हंगामा करना शुरू कर दिए। सेल के बाहर तैनात पुलिस कर्मियों पर पत्थर बरसाए गए। किसी तरह से मामले को शांत कराया गया। इस पूरे मामले में जिला प्रशासन और पुलिस को कोई हल नहीं दिखाई दे रहा है।

 

क्ख् घंटे के भीतर दूसरा हंगामा

जुवेनाइल सेल में शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे के एक बार फिरे से बवाल करना शुरू कर दिया है। शांत कराने के चक्कर में उन्होंने ऊपर से पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। किसी तरह से पुलिस कर्मियों ने अपने आपको पत्थरों की इस बरसात से अपने आपको बचाया। एक कर्मचारी ने बताया कि इनके हंगामा करने का कोई कारण नहीं है। रात को भी और अब भी फिजूल का हंगामा कर रहे हैं।

 

तो ये है असली बात

जुवेनाइल सेल में 80 फीसदी बच्चे नशे के आदी हैं। उन्हें यहां पर नशे के डोज आसानी से मुहैया कराते रहे हैं। पिछले महीनों हुई घटनाओं के बाद नशे की आवाजाही पर थोड़ा प्रतिबंध लगा है। कर्मचारी भी उनके घरों से आए सामान को टटोलने से नहीं हिचक रहे हैं। कोई भी ऐसी चीज नहीं उन तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं, जिससे कर्मचारियों की नौकरी पर कोई बात आए। ऐसे में नशे की डोज न मिल पाने के कारण इस तरह का हंगामा काटा जा रहा है।

 

रोज मांग रहे हैं चरस

सेल के एक कर्मचारी ने बताया कि उससे और बाकी कर्मचारियों को रुपए का लालच देकर चरस और अफीम और इंजेक्शन लाने का लालच भी दिया जा रहा है। अगर कर्मचारी मना कर देते हैं तो उन्हें देख लेने और बाहर निकल जाने के बाद भुगत लेने की धमकी देते हैं। सभी कर्मचारी जब तक कोई जरूरी काम न हो ऊपर की ओर देखते भी नहीं है। कई बार तो उन्होंने कर्मचारियों को भी मारने की कोशिश की है।

 

नियमों से बंधे हैं हाथ

वहीं सिटी मजिस्ट्रेट से लेकर डीएम तक कोई भी एक्शन लेने से कतरा रहा है। उनका कहना है कि उनके हाथ भी नियमों से बंधे हुए हैं। एक प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि अगर किसी तरह की सख्ती कर भी दी जाती है और कोई बदमाश बच्चा कमजोर बच्चे को नीचे फेंक देता है तो उसकी जवाबदेही किस अधिकारी की होगी? वैसे भी नियम इस तरह के हैं कि कोई भी अधिकारी इस मामले को कुछ नहीं करेगा। इससे साफ है कि प्रशासनिक अधिकारियों की से पूरी तरह हाथ खड़े कर दिए हैं।

 

सिटी मजिस्ट्रेट ने दी सिफारिशें

कुछ दिन पहले हुए हंगामें और बवाल के बाद सिटी मजिस्ट्रेट की ओर से दौरा किया गया था। उसके बाद उन्होंने अपनी कुछ सिफारिशें भी दी थी। लेकिन उन सिफारिशों पर अमल करने से हर कोई हिचक रहा है। कोई भी अधिकारी जुवेनाइल सेल में हाथ डालने से घबरा रहा है। अधिकारियों की मानें तो किसी में इतनी विल पॉवर नहीं है कि कार्रवाई कर उसके बाद इंक्वायरी झेले।

 

ये दी थीं सिफारिशें

- अंदर आने जाने वाले हरेक शख्स की चेकिंग की जाए।

- फीमेल की जांच के लिए फीमेल पुलिस स्टाफ को लगाया जाए।

- पेरेंट्स द्वारा जो सामान अंदर ले जाया जा रहा है उसकी प्रॉपर चेक होना जरूरी।

- जुवेनाइल सेल में रहने वाले बच्चों की हफ्ते में एक बार चेकिंग।

- दंबगई दिखाने वाले गैंग के बच्चों के अलग-अलग जिलों के जुवेनाइल सेल में शिफ्ट किया जाए।

 

जो हो रहा है वो काफी गलत है। लेकिन हमारे हाथ भी जुवेनाइल एक्ट बांधे हुए हैं। आखिर उन बच्चों को किस तरह से कंट्रोल करें और कैसे शांत किया जाए? इस बारे में पूरा मंथन किया जा रहा है।

- पंकज यादव, डीएम