1965 के युद्ध की गोल्डन जुबली और इंडिपेंडेंस डे को एक साथ किया सेलीब्रेट

'नो योर आर्मी' के आर्मी मेले में करीब 20 हजार स्कूली बच्चों ने शिरकत

Meerut : देश और इंडियन आर्मी के प्रति सम्मान और जज्बा आपने कभी नहीं देखा जो इंडिपेंडेंस डे के एक दिन पूर्व 22 इंफैंट्री डिवीजन की 49 ब्रिगेड की ओर से आयोजित 'नो योर आर्मी' इवेंट में दिखा। आर्मी बैंड की धुन में कुलवंत सिंह स्टेडियम में मौजूद हर शख्स के दिल में देशभक्ति भावना पैदा कर रही थी। उसके बाद बॉर्डर फिल्म की स्क्रीनिंग ने बाद हर दिल में जोश भर दिया। करीब 20 हजार बच्चों को देश की सेना और उसके काम करने के तरीकों के बारे में बड़ी बारीकी से जानकारी दी गई।

जीओसी ने किया उद्घाटन

शुक्रवार को कुलवंत स्टेडियम में 'नो योर आर्मी' इवेंट का उद्घाटन 22 डिविजन के जीओसी मेजर जनरल आरपी सिंह ने किया। स्कूली बच्चों के साथ उन्होंने कबूतरों को खुले आकाश में उड़ाकर आजादी का प्रतीक दिया। साथ ही तिरंगे के बैलून को उड़ाकर इस बात का प्रदर्शित किया गया कि भारत देश के तिरंगे की शान दुनिया में सबसे ऊंची है। उसके बाद आगे का प्रोग्राम शुरू हुआ।

बैंड ने भर दिया जोश

सबसे पहले शुरूआत आर्मी बैंड से हुई। बैंड ने अपनी अलग-अलग धुन के साथ लोगों के दिलों में देश भक्ति की लौ जगाने का काम किया। बैंड की धुन शुरू होते ही पूरे स्टेडियम में शांति छा गई। जिस ओर भी बैंड जाता वहीं से तालियों की तड़तड़ाहट से पूरा स्टेडियम गूंज उठता। जब तक बैंड चलता रहा। पूरा स्टेडियम तालियों से गूंजता रहा।

श्वान और घोड़ों की सलामी

दो रस्सियों पर चलते श्वान, आग के बीच से कूदकर करतब दिखाते आर्मी डॉग को देखकर लोग रोमांचित हो उठे। सबसे खूबसूरत पल वो था, जब आर्मी डॉग ने करतब दिखाने के बाद मौजूद लोगों को सलामी दी। इस सलामी के बाद स्टेडियम में बैठा कोई भी शख्स अपने को ताली बजाने से नहीं रोक सका। उसके बाद बारी थी घोड़ों की। जिन्होंने अपनी पैरा जंपिंग से सभी का दिल जीतते काफी मनोरंजन किया। उसके बाद युद्ध कौशल और टैंकों का प्रदर्शन देख स्कूली बच्चे रोमांचित हो उठे।

देश और सेना को सलाम

कुलवंत सिंह स्टेडियम में बच्चों को जब सेना द्वारा युद्ध कौशल का डेमो दिया गया। हर स्कूली बच्चे ने दिल से देश की सेना और देश को सलाम किया। सेंट जोंस से आए अर्चित विश्नोई ने कहा कि इस तरह का युद्ध कौशल उन्होंने सिर्फ टीवी और सिनेमाघरों में ही देखा था। आज पता चला कि बॉर्डर पर हमारी रक्षा के लिए किस तरह से सेना कार्रवाई करती है। सिख लाइन स्कूल की स्टूडेंट यामिनी कहती हैं कि ये पल ऐसा था कि इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

आखिर क्या था उद्देश्य?

इस दो दिवसीय आर्मी मेले का आयोजन करने का मकसद बताते हुए 49 ब्रिगेड के ब्रिगेडियर एसके सिंह बताते हैं कि हम इस वर्ष 1965 के युद्ध की गोल्डन जुबली सेलीब्रेट कर रहे हैं। 15 अगस्त देश की आजादी का दिन भी पड़ रहा है। ऐसे में हमने सोचा कि एक ऐसा इवेंट किया जाए जिससे देश और आर्मी के बारे में देश का भविष्य जान सके। बीती लड़ाइयों से देश के बच्चे प्रेरणा ले सके। आर्मी किस तरह से काम करती है और देश और दुनिया में देश की आर्मी ने क्या-क्या झंडे गाड़े हैं उनके बारे में पता चल सके।

यादगार पल से कम नहीं

इस मौके पर सीसीएसयू के वीसी एनके तनेजा ने कहा कि इस तरह के लम्हे यादगार होते हैं। ये मेरे लिए यादगार रहेंगे। देश के युवाओं को आर्मी की गौरव गाथाओं की जानकारी देने से ही उनमें देश की सेना के प्रति सम्मान बढ़ेगा। साथ ही बच्चे भी देश की आर्मी ज्वांइन करने के लिए इंस्पायर होंगे। उन्होंने कहा इस तरह के आर्मी मेले का आयोजन हर साल होना चाहिए।

टैंक को देखकर रोमांचित स्टूडेंट्स

जिन वेपन का इस्तेमाल देश के दुश्मनों के खिलाफ किए जाते हैं, उन्हें अपने सामने देखकर अपने हाथों में लेकर स्टूडेंट्स काफी रोमांचित हो उठे। आर्मी मेले में पहली बार जेडयू 23 एमएम 2बी गन के सामने खड़े होकर फोटो भी खिंचवाए। वहीं एमएमजी, हैंड ग्रेनेड फायर हन और टैंक साथ फोटो खिंचवाकर बच्चों ने काफी आनंद लिया।