-ट्रांसलेम स्कूल के विज्ञान घर में आए डॉ। चंद्रमोहन नौटियाल

-देश की शिक्षा में सुधरी आईआईटी, लेकिन बिगड़ गई बेसिक शिक्षा

-देश के हुनर का लाभ उठा रहीं हैं दुनिया भर की कंपनियां

Meerut : शिक्षा के क्षेत्र में आई क्रांति के कारण देश में आईआईटियन की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन बेसिक शिक्षा कमजोर हो रही है। कक्षा में बढ़ती संख्या के बीच शिक्षक प्रश्न पूछने वाले बच्चों को प्रोत्साहित करने की बजाय डांट कर चुप कर देते हैं। यही कारण है बच्चों में पूछने की जिज्ञासा खत्म हो रही है। अब वे पढ़ लिखकर भले ही बेहतर नंबर ला रहे हों, लेकिन जीवन में कुछ भी नया नहीं कर पा रहे हैं। अब नई चीजें खोजी नहीं जाएंगी तो 'मेक इन इंडिया' के तहत बेची कैसे जाएंगी। यह कहना है नई दिल्ली स्थित बीरबल साहनी पुरावनस्पति संस्थान के वैज्ञानिक डॉ। चंद्रमोहन नौटियाल का जो शनिवार को विज्ञान घर में बाल वैज्ञानिकों के बीच उपस्थित रहे।

लैब में नहीं हो पा रहे हैं प्रयोग

डॉ। नौटियाल बताते हैं कि विज्ञान के सीधे-साधे प्रयोग भी हमारे स्कूलों के लैब में नहीं हो पाते हैं। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि फिजिक्स में खाली गुब्बारे व हवा भरे गुब्बारे के वजन में अंतर को पढ़ाया जाता है। अब गुब्बारे में हवा भरने से उसका वजन बढ़ता है, लेकिन हवा पर उसका वजन दोबारा उतना नहीं रहता है। इस प्रक्रिया को मापने के लिए जिस उपकरण की जरूरत है वह किसी भी स्कूल के लैब में उपलब्ध नहीं है।

शिक्षण के साथ परीक्षण में हो सुधार

डॉ। नौटियाल का कहना है कि वर्षो पहले अल्बर्ट आइंसटाइन ने कहा था कि शिक्षा की परीक्षण प्रणाली ठीक उसी तरह है। जिसमें एक बंदर, मछली व मधुमक्खी को पेड़ पर चढ़ने, उड़ने व पानी में तैरने की प्रतियोगिता में शामिल कराया जाता है। यह आज भी प्रासंगिक है। बच्चों का परीक्षण उनके हुनर के आधार पर किया जाना चाहिए, तभी परीक्षण का सही आंकलन किया जा सकेगा।

अब सुधार रहा माहौल

डॉ। नौटियाल ने कहा अब बाल विज्ञान कांग्रेस में लोगों की समस्या पर रिसर्च करने वाले बच्चों को अवसर मिल रहा है। विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च के लिए मिलने वाले इंस्पायर अवार्ड से बच्चों की रुचि बढ़ी है लेकिन यह प्रयास अभी नाकाफी है। बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए केवल क्रिकेटर व अभिनेताओं को दिखाने व पढ़ाने की बजाय वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं आदि की जानकारी भी प्रसारित करने की जरूरत है तभी देश में वैज्ञानिक सोच पैदा होगा।