- डीसीआरबी में दबकर रह जाती है गायब बच्चों की फाइल
- मेरठ शहर से गायब हैं पिछले छह माह में 12 बच्चे
- आज तक नहीं किया किसी ने कोई आंदोलन
Meerut: इन दिनों दिल्ली में जेएनयू से नजीब नामक छात्र गायब होने से बवाल मचा हुआ है। आंदोलन किए जा रहे हैं, पर क्या कोई बताएगा अन्य शहरों से गायब होने वाले बच्चों के लिए कोई विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं करता? अकेले मेरठ शहर से पिछले छह माह में लगभग 12 छात्रों के गायब होने की सूचना है, जिनकी गुमशुदगी सिर्फ डीसीआरबी की फाइलों में दबी है। साथ ही कुछ दिन तक उनके फोटो संबंधित थानों की दीवार पर लगाए गए थे। उसके बाद घरवाले थानों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें रोज समझाकर घर भेज दिया जाता है।
पांच मिनट में एक बच्चा
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2011 से 2015 के बीच पूरे देश में 3 लाख 28 हजार बच्चे लापता हुए हैं। औसत एक लाख बच्चे देश भर से हर साल गायब हो रहे हैं। इनमें 40 हजार बच्चों का अपहरण का मामला दर्ज है। एक आंकड़े के अनुसार देश में हर आठ मिनट में एक बच्चा गायब हो रहा है.उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बच्चे असुरक्षित हैं। आंकडों के मुताबिक यूपी से सर्वाधिक बच्चे गायब हुए हैं। मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है।
मेरठ जोन के हालात खराब
वर्ष 2016 में एक जनवरी से अगस्त तक पूरे प्रदेश में में 643 बच्चे गायब होने की रिपोर्ट है, जिसमें से 256 बच्चे अकेले मेरठ जोन में गायब हुए हैं। वहीं बरेली जोन में सर्वाधिक कम 66 बच्चे गायब हुए हैं। आगरा में 191, वाराणसी में 154 बच्चे गायब होने का की रिपोर्ट हैं। जिनमें से 377 बच्चों को खोजकर उनके परिजनों को सौंपा जा चुका है।
नोट: ये आंकड़े उत्तर प्रदेश के साल दर साल हैं
वर्ष गुमशुदा खोजे बच्चे
2007 4130 3864
2008 3461 3163
2009 2329 2852
2010 3313 2978
2011 3833 2490
2012 3879 2310
2013 1795 927
2014 2776 2156
2015 2804 2243
बच्चे गायब होने का कारण
सर्वे के अनुसार 85 प्रतिशत बच्चे पढ़ाई में असफल होने और परिजनों के सपनों को पूरा न कर पाने के चक्कर में घर छोड़ते हैं। दस प्रतिशत बच्चों का अपहरण होता है, जबकि पांच प्रतिशत किशोर प्यार के चक्कर में भी घर छोड़ देते हैं।
वर्जन
सभी गायब हुए बच्चों का डीसीआरबी में रिकॉर्ड रहता है। साथ ही संबंधित थाने में उसकी फोटो चिपकाई जाती है। इसके अलावा संबंधित फोटो वेबसाइट पर भी डाला जाता है
-अजय सहदेव, एसपी क्राइम