- मूल्यांकन में कॉपियां को देखकर टीचर्स दंग रह गए

- साफ नजर आ रही है नकल, बुक्स से कराई गई है सेंटरों पर नकल

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Meerut : कहते हैं नकल के लिए भी अक्ल की जरुरत होती है। अगर अक्ल के साथ नकल नहीं की गई तो उसे पकड़ने में भी देर नहीं लगती। यूपी बोर्ड के मूल्यांकन में तमाम कापियां यह साबित करती हैं कि नकल में अक्ल का इस्तेमाल नहीं हुआ। शनिवार को भी मूल्यांकन के दौरान कॉपियों कुछ ऐसे बंडल भी निकले, जिन्हें देखकर टीचर्स दंग रह गए। कुछ बंडल ऐसे भी थे, जिनको देखकर साफ जाहिर हो रहा था कि आंसर बुक्स से उतारा गया है।

उत्तर अध्याय तीन में देखिए

मेरठ के एक सेंटर पर इंटर की कॉपियों का मूल्यांकन चल रहा था। सेंटर पर बलिया जिले छपरा गांव के एक सेंटर की कॉपियों में आंसर हूबहू बुक्स से ही उतारा हुआ था। पूरे बंडल कॉपियों में एक ही तरह का काम था। यह कॉपियां अर्थशास्त्र की थी, जिनमें परीक्षार्थियों ने कुछ इस तरह से लिखा हुआ था कि मांग की लोच का नियम अध्याय के इस भाग में देखिए, प्रश्न संख्या दो का उत्तर अध्याय तीन में देखिए। निरीक्षक का कहना है कि नकल तो हुई है, लेकिन अक्ल के साथ नहीं हुई है।

मैप भी हैं एक जैसे

बलिया जिले की भूगोल की कॉपियों का पूरा बंडल ऐसा निकला है, जिसे देखकर साफ नकल का पता लग रहा है। कॉपियों में एक तो इतनी सफाई से काम किया हुआ है, जैसे किसी ने तसल्ली से किया हो, दूसरा भूगोल के मैप में नक्शे में एक एक बिंदु को हर कॉपी में एक ही जगह दर्शाया हुआ है। जिसे देखकर साफ पता लग रहा है कि यहां किसी टीचर ने बोर्ड पर मैप बनाकर नकल करवाई हो।

पूरे बंडल में एक ही राइटिंग

मूल्यांकन में नकल के खेल को देखकर निरीक्षकों को उस समय हैरानी हुई, जब एक ही सेंटर का पूरा बंडल एक ही राइटिंग में निकला। एक सेंटर पर इंटर की इंग्लिश की कॉपियों का पूरा बंडल ऐसा निकला, जिनमें किसी एक व्यक्ति के हाथ से लिखा हुआ था। जौनपुर की इन कॉपियों को देखकर साफ पता लगता है कि यह यकीनन किसी एक ने ही अपने घर पर बैठकर तसल्ली से लिखी है। निरीक्षकों का कहना है कि बोर्ड का नियम है कि हर सही जवाब पर आंसर देना है। इसीलिए नंबर देने पड़ रहे हैं। निरीक्षकों के अनुसार इन कॉपियों में यह तक ढूंढना मुश्किल हो रहा है कि आखिरकार नंबर काटे जाएं तो कहा काटे जाएं।

आंसर का एक क्रम

सभी ने किए हुए थे एक से क्वेश्चन बनारस के किसी सेंटर का होम साइंस की कॉपियों का बंडल निकला, जिसमें परीक्षार्थियों ने एक ही जैसे सवाल किए हुए थे। बंडल की लगभग सभी कॉपियां ऐसी थीं, जिनमें क्म्,क्7 और क्8 नंबर फिर क्, ब्, भ् नंबर के सवाल किए हुए थे। कॉपियों में केवल अधिक नंबर के सवाल करवाए हुए थे या फिर लघु उत्तरीय सवालों को करवाया हुआ था।

सेंटरों पर इस तरह की शिकायतें सुनने में आ रही हैं। इस मामले में सेंटरों से रिपोर्ट लेकर बोर्ड को भेजी जा रही हैं। ताकि बोर्ड स्तर से इस संबंध में कुछ कार्रवाई की जा सके।

-एके मिश्रा, डीआईओएस