-कई योजनाओं में आवंटियों को नहीं मिले कब्जे

-प्लाटिंग के बाद एमडीए अर्जन मुक्त योजना की जमीन

Meerut: एमडीए की महत्वाकांक्षी योजनाओं में आज भी आवंटी अपने प्लाटों पर कब्जा लेने के दिए मारे-मारे घूम रहे हैं। योजनाएं बसाने के लिए एमडीए ने किसानों की बल्क में जमीनें तो अर्जित कर ली, लेकिन मुआवजे के फेर में अर्जित जमीने किसानों के कब्जे में ही रहे गई। अंजाम यह है कि पिछले बीस सालों से योजनाएं चौपट पड़ी हैं। यहां सबसे बड़ा नुकसान उन लोगों का हुआ जिन्हें एमडीए ने सुनहरे भविष्य के सब्जबाग दिखाकर प्लाट बेच दिए। नतीजन आज तक आवंटियों को प्लाट पर कब्जा तो दूर उनकी लोकेशन भी मालूम नहीं चल पाई।

योजनाओं में फंसे पेंच

क्987 से लेकर क्99ख् तक एमडीए ने गंगानगर, लोहियानगर, शताब्दी नगर और वेदव्यासपुरी आदि योजनाओं के लिए हजारों एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। भूमि अधिग्रहण के समय एमडीए ने किसानों को मुआवजा भुगतान भी कर दिया था, लेकिन किसानों ने अतिरिक्त मुआवजे की मांग रखते हुए जमीनों से कब्जा नहीं छोड़ा और उससे पूर्व की तरह ही बो-जोतते रहे। यहां एमडीए ने सबसे बड़ा खेल यह कि जिन जमीनों से किसानों ने कब्जा नहीं छोड़ा था। उन जमीनों पर भी प्राधिकरण ने धड़ल्ले से प्लाट बेच डाले। परिणाम यह हुआ कि आज भी हजारों की तदाद में आवंटी अपने प्लाटों पर कब्जा लेने के लिए एमडीए के दफ्तरों में चक्कर काटते नजर आते रहते हैं।

आबादी की जमीन की अर्जन मुक्त

भूमि अधिग्रहण के समय एमडीए ने आबादी की कुछ जमीनें भी अर्जित कर ली थी। बिना जांच पड़ताल के ही एमडीए ने आबादी की जमीनों पर प्लाटिंग कर दी। बाद में जब किसानों ने आबादी की जमीन को अर्जन मुक्त किए जाने को लेकर हो-हल्ला किया तो एमडीए ने बोर्ड में प्रस्ताव पास कर ऐसी जमीनों को अर्जन मुक्त कर दिया। इसका खामियाजा उन बेकसूर लोगों को चुकाना पड़ा, जिनके प्लाट एमडीए ने अर्जन मुक्त जमीन पर ही काट डाले थे। अब उन लोगों लाखों रुपए प्लाट की कीमत चुकाने के बाद भी न तो प्लाट ही मिल पाए और न ही पैसा। ऐसे में एमडीए की कारगुजारी का शिकार हुए लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।